माफिया बेचता खनन, सुस्त पड़ गई अफसरशाही, 9 स्क्रीनिग प्लांट होंगे सील
गैरकानूनी ढंग से चल रहे स्क्रीनिग प्लांटों को बंद कराने में अफसरशाही नाकाम साबित हुई है।
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़
गैरकानूनी ढंग से चल रहे स्क्रीनिग प्लांटों को बंद कराने में अफसरशाही नाकाम साबित हुई है। जुलाई में खनन विभाग के निरीक्षण में स्पष्ट हो गया था कि इन प्लांटों में रेत, बजरी और ग्रेवल बेचा जा रहा है। न इनके पास लाइसेंस था और न ही प्रदूषण नियंत्रण विभाग की एनओसी। इसके बावजूद भारी स्टॉक पाया गया। इसके बाद भी इन प्लांटों को सील नहीं किया गया। इसका फायदा खनन माफिया ने उठाया। वे स्टॉक किए माल को बेचते रहे और अफसरशाही सोती रही। करीब पौने दो माह बाद नारायणगढ़ पुलिस ने अलग-अलग दो मामले दर्ज किए। हालांकि इन मामलों में भी सीधे तौर पर किसी स्क्रीनिग प्लांट के मालिक को आरोपित नहीं बनाया गया। अब काफी स्टॉक बिकने के बाद खनन विभाग इन नौ स्क्रीनिग प्लांटों को सील करने की प्रक्रिया में जुट गया है। मंगलवार को खनन विभाग के अधिकारी और पुलिस ने स्क्रीनिग प्लांटों का दौरा कर स्टॉक चेक किया। जुलाई माह में जो स्टॉक पड़ा था वह सितंबर में कम हो गया है। ये प्लांट होंगे सील
खनन विभाग ने आठ जुलाई को नारायणगढ़ में चल रहे स्क्रीनिग प्लांटों का निरीक्षण कर दस्तावेज और स्टॉक चेक किया। न तो एनओसी थी और न ही लाइसेंस, फिर भी भारी स्टॉक मिला। इनमें एस. स्क्रीनिग प्लांट डेरा, श्री कृष्ण स्क्रीनिग प्लांट, महामाया बाला जी स्क्रीनिग प्लांट, श्रीगंगा स्क्रीनिग प्लांट, डेरा डी-1 के स्क्रीनिग प्लांट, एसएस एसोसिएट डेरा प्लांट, गोटरा स्क्रीनिग प्लांट टोका, हरिमोहन स्क्रीनिग प्लांट टोका, सैमसन स्क्रीनिग प्लांट गांव टोका शामिल हैं। खनन विभाग के अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण विभाग को पत्र लिख रहे हैं। मामला दर्ज है, तफ्तीश जारी : एसएचओ
एसएचओ नारायणगढ़ ने कहा कि मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि खनन विभाग के साथ स्क्रीनिग प्लांटों का मुआयना किया गया था। उनसे पूछा गया कि एफआइआर के कॉलम नंबर सात में प्लांट के मालिकों को आरोपित क्यों नहीं बनाया गया, तो इस पर वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।