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ऑटो चालक की बेटी ने मेडिकल संकाय में 88 फीसद अंक लेकर सरकारी स्कूल में किया टॉप

रुको नहीं तुम डिगो नहीं तुम। बस आगे तुमको बढ़ना है। चाहे जितनी चुनौती राहों में हों हर किसी का मुकाबला करना है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 09:31 AM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 09:31 AM (IST)
ऑटो चालक की बेटी ने मेडिकल संकाय में 88 फीसद अंक लेकर सरकारी स्कूल में किया टॉप
ऑटो चालक की बेटी ने मेडिकल संकाय में 88 फीसद अंक लेकर सरकारी स्कूल में किया टॉप

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : रुको नहीं तुम, डिगो नहीं तुम। बस आगे तुमको बढ़ना है। चाहे जितनी चुनौती राहों में हों, हर किसी का मुकाबला करना है। विपरित परिस्थितियों ने घेरा हो, चाहे लाख बखेड़ा हो। रुकना नहीं तुझे, डिगना नहीं तुझे। बस आगे तुमको बढ़ना है। इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया अंबाला की दो होनहार बेटियों ने। एक के पिता की हादसे में मौत हो गई जबकि दूसरी के पिता ऑटो चलाते हैं। विषम परिस्थितियों के बावजूद दोनों बेटियों ने हिम्मत नहीं हारी और अपने माता-पिता का नाम 12वीं कक्षा के परिणाम में शानदार अंक लाकर रोशन कर दिया। एक ने साइंस संकाय में 92.2 फीसद अंक लाकर स्कूल में टाप किया जबकि दूसरी ने 88 फीसद अंक मेडिकल संकाय में लेकर अपने पिता और स्कूल का नाम पूरे जिले में रोशन कर दिया। इन दोनों बेटियों के नाम हैं समीना और हरनीत कौर। राजकीय प्रेम नगर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की समीना ने साइंस में 92.2 फीसद और हरनीत ने मेडिकल में 88 फीसद अंक पाए।

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तीन बेटियों के पिता चलाते हैं आटो, अब बेटी बनेगी डॉक्टर

मेडिकल संकाय में 88 प्रतिशत अंक पाने वाली दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में हरनीत कौर ने बताया कि उसके पिता इकबाल ऑटो चलाते हैं। गांव सारंगपुर जो अंबाला शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर है से वह रोजाना प्रेम नगर के सरकारी स्कूल में पढ़ने आती है। हरनीत की दो छोटी बहनें हैं जबकि एक छोटा भाई भी है। हरनीत ने बताया कि उसके पिता ने ही उसकी हिम्मत बढ़ाई। पिता इकबाल सिंह ने ही कहा था कि बेटी तुम सब चिता छोड़ दो बस पढ़ो। मैं तुम्हे स्कूल से लाउंगा भी और छोड़कर भी आऊंगा। पिता की इस बात ने ही उसका उत्साह बढ़ाया। रिजल्ट आया तो बेटी को साथ लेकर इकबाल ही स्कूल में पहुंचा था। जैसे ही पता चला कि बेटी ने पूरे स्कूल में मेडिकल में टॉप किया है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हरनीत डाक्टर बनाना चाहती है और इसके लिए उसने नीट का एग्जाम भी दे दिया है। वह भी बिना किसी कोचिग के।

पिता का 5 साल पहले हुए था निधन, मां ने सिलाई कर पाला

प्रेम नगर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली समीना ने 92.2 फीसद अंक लेकर पूरे स्कूल में हर संकाय में टॉप किया। समीना करीब 15 किलोमीटर दूर गांव नन्यौला से पढ़ने अंबाला के सरकारी स्कूल में आती है। क्योंकि वहां कोई साइंस वाला स्कूल नहीं है। पिता का निधन कई वर्ष पहले हो गया था जब वह छोटी सी थी। पिता का साया उठने के बाद मां ने सिलाई कर तीन भाई-बहनों को पाला। पिता की मौत का असर यह हुआ कि छोटा भाई जो पांच साल का है पूर्ण रूप से विकसित भी नहीं हो सका और वह मानसिक तौर पर अक्षम है। एक ट्रक चालक ने उन्हें उस समय टक्कर मार दी थी जब वह मोटरसाइकिल से घर आ रहे थे। इस मामले में परिवार को इंसाफ नहीं मिला था। इसकी टीस आज भी समीना को है। इसीलिए अब समीना आइएएस अधिकारी बनाना चाहती है ताकि दूसरों को इंसाफ दिला सके। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में समीना ने बताया कि उसकी बहन रवीना व भाई अरमान है। पिता सौदागर खान कारपेंटर थे। बड़ी बहन बीए कर रही है। समीना ने 10वीं में भी गुरु तेग बहादुर स्कूल से टॉप करते हुए 94.2 अंक हासिल किए थे। समीना ने बताया कि उसकी मामा फजहर अली और लियाकत अली उनकी फीस भरते हैं। समीना ने इंग्लिश में 100, हिदी में 91, फिजिक्स में 87, कमिस्ट्री में 86, गणित में 97 अंक अर्जित किए।

जब सब सो जाते थे तब पढ़ती थी सिम्मी

गांव जंडली में रहने वाली सिम्मी ने प्रेम नगर सरकारी स्कूल से पढ़ते हुए आ‌र्ट्स में 90 फीसद अंक लेकर स्कूल में टाप किया। पिता डीजी सिंह ट्रैक्टर मकेनिक हैं और मां लखविद्र कौर हाउस वाइफ हैं। सिम्मी ने बताया कि जब घर में सभी सो जाते थे तब वह पूरी रात पढ़ती थी। पिता का सपना है कि वह आईपीएस बनें। इसीलिए वह दिनरात मेहनत।

जुड़वां बहनों का जन्म भी एक दिन और रिजल्ट भी एक दिन :-

जन्म भी एक दिन और दाखिला भी एक दिन। इतना ही नहीं स्कूल भी वही और संकाय भी वही। पीके आर जैन पब्लिक स्कूल अंबाला शहर में पढ़ने वाली साक्षी गुप्ता और श्रुति गुप्ता दोनों जुड़वां बहनों की यही कहानी है। दोनों बहनों अभी तक एक जितने ही अंक लेकर पास होती आई। लेकिन बोर्ड ने दोनों के बीच अंतर निकाल दिया। एक ने 91.6 फीसद तो दूसरी ने 90.2 फीसद अंक लेकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। साक्षी ने 91.6 प्रतिशत और श्रुति ने 90.2 प्रतिशत अंक अर्जित किए। पिता राकेश कुमार गैस हाईड्रोजन गैस की सप्लाई कंपनियों के लिए करते हैं। दोनों बहनें जेबीटी कर शिक्षक बनाना चाहती है।

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