72 वर्षीय नेत्रहीन कर्मचंद वोट डालने पंचकूला से अंबाला पहुंचे रात पड़ोसी के घर बिताई
कोई आंखें तो हुए भी वोट डालना नहीं चाहता तो किसी के पास वोट के लिए समय नहीं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : कोई आंखें तो हुए भी वोट डालना नहीं चाहता तो किसी के पास वोट के लिए समय नहीं। लेकिन जिनमें देशभक्ति की भावना है और जो लोकतंत्र को मजबूत करना चाहते हैं वह विषम परिस्थितियों में भी वोट जरूर करेंगे। ऐसे ही हैं अंबाला सेक्टर 9 में रहने वाले 72 वर्षीय कर्मचंद। कर्मचंद नेत्रहीन हैं। दोनों आंखों से देख नहीं पाते। करीब 12 साल पहले एक हादसे में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी जबकि एक आंख पहले नहीं थी। बेटी की शादी हो चुकी है और बेटा भी अपनी पत्नी के साथ पंचकूला है। कुछ दिन पहले वह भी अंबाला सेक्टर 9 से अपना मकान बेचकर बेटे के पास चले गए थे। लेकिन वोट अंबाला में ही हैं। इसीलिए शनिवार को अंबाला में पंचकूला से पहुंच गए। यहां आकर जिस मकान में रहते थे वहां अपने पूर्व पड़ोसी के घर इसीलिए रूके कि सुबह वोट डालनी हैं। कर्मचंद की पत्नी कांता देवी भी उनके साथ अंबाला में आई हैं। कर्मचंद ने बताया कि जब तक जिदा है वोट जरूर करेंगे क्योंकि प्रत्येक वोट बहुत कीमती होती है।
38 वर्षीय नेत्रहीन रेनू भी करेगी देश के लिए वोट
हाउसिग बोर्ड कालोनी सेक्टर 9 में रहने वाली 38 वर्षीय नेत्रहीन रेनू भी आज देश के लिए वोट करेगी। वह बचपन से ही नहीं देख पाती। जन्म से ही आंखें नहीं है। लेकिन देश को रोशनी दिखाने के लिए वोट करने का जज्बा शुरू से ही मन में है। रेनू अपनी सास 88 वर्षीय राम चमेली के साथ मिलकर वोट करने जाएंगी। हालांकि दोनों के साथ बेटा कृष्ण लाल भी होगा।