दुनिया की सबसे बड़ी कुरान क्रिकेटर इरफान पठान के परिवार में
मांडवी स्थित ऐतिहासिक जुम्मा-मस्जिद में 250 साल पुरानी कुरआन-ए-शरीफ को संभालकर रखा गया है। शाही मोअजीन पठान अब्दुल मजीदखान शेर जहमान खान का दावा है कि हाथ से लिखी गई दुनिया की सबसे बड़ी कुरान है।
वडोदरा। शहर के मांडवी स्थित ऐतिहासिक जुम्मा-मस्जिद में 250 साल पुरानी कुरआन-ए-शरीफ को संभालकर रखा गया है। शाही मोअजीन पठान अब्दुल मजीदखान शेर जहमान खान का दावा है कि हाथ से लिखी गई दुनिया की सबसे बड़ी कुरान है।
इस कुरान को इराक से आए एक पीर ने लिखा था। इसके लिए कागज और स्याही भी उन्होंने खुद तैयार की थी। इसे मस्जिद के पहली मंजिल पर दर्शनार्थ रखा गया है। बताते चलें कि क्रिकेटर इरफान पठान और युसूफ पठान इसी मस्जिद में पले-बढ़े हैं। पहले इस ऐतिहासिक कुरआन की देखभाल पठान बंधुओं के पिता महमूद खान करते थे। अब यह जिम्मेदारी पठान बंधुओं के चाचा मजीद खान उठा रहे हैं।
इराक से आए पीर ने लिखी थी कुरआन
इराक से आए मोहम्मद गौस नाम के एक पीर जब वडोदरा आए थे, तब उनकी उम्र 17 साल थी। इस उम्र से उन्होंने कुरआन लिखना शुरू किया और 80 वर्ष की उम्र में लिखना खत्म किया। कुरआन-शरीफ की लम्बाई 75 इंच और चौड़ाई 41 इंच है। इतना ही नहीं, इसका लेखन पूरा होने के बाद वडोदरा के उस समय के महाराजा ने इसकी भव्य सवारी भी निकाली थी।
सामान्य देखभाल के बाद भी सुरक्षित
शाही मोअजीन के अनुसार यह कुरान-ए-शरीफ हमारे लिए बहुत ही मूल्यवान और पवित्र है। इसकी देखभाल हम बहुत ही सामान्य तरीके से करते हैं, फिर भी यदि यह सुरक्षित है, तो इसे एक चमत्कार ही माना जाएगा।
इसे लिखने के लिए कागज भी पीर ने ही तैयार किया था
अरबी में लिखी इस कुरआन की बॉर्डर पर फारसी में अनुवाद भी किया गया है। इसे लिखने के लिए संत ने कागज भी स्वयं बनाया। इसके लिए जो स्याही का इस्तेमाल किया गया है, वह वास्तव में आंखों में लगाए जाने वाल काजल ही है। लिखने के लिए मोर के पंख को कलम के रूप में इस्तेमाल किया गया। इसकी बॉर्डर की रूप-सज्जा के लिए बरख का इस्तेमाल किया गया है।