अदालत के आदेश पर 28 साल बाद पीतल की तोप का सफल परीक्षण, भगवान रणछोड़जी मंदिर की परंपरा से जुड़ा है यह मामला
वडोदरा में पीतल की पुरानी तोप का 28 साल बाद अदालत के आदेश के तहत सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। दीपावली के अवसर पर भगवान रणछोड़जी की वार्षिक शोभा यात्रा के दौरान इस तोप का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन यह परंपरा 1996 के बाद दुर्घटना के कारण बंद हो गई। याचिका में तोप के उपयोग की अनुमति मांगी गई है।
पीटीआई, वडोदरा। वडोदरा में पीतल की पुरानी तोप का 28 साल बाद अदालत के आदेश के तहत सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। दीपावली के अवसर पर भगवान रणछोड़जी की वार्षिक शोभा यात्रा के दौरान इस तोप का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन यह परंपरा 1996 के बाद दुर्घटना के कारण बंद हो गई।
इस परंपरा को बहाल करने के लिए मंदिर के पुजारी ने याचिका दायर की है। याचिका में तोप के उपयोग की अनुमति मांगी गई है।
मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील कौशिक भट्ट ने कहा,"भगवान रणछोड़जी महाराज मंदिर के पुजारी ने प्रतिबंध हटाने के लिए अदालत का रुख किया है।"
पुलिस और वकील की मौजूदगी में तोप का परीक्षण किया गया
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ सिविल जज एआर पटेल की अदालत ने अधिकारियों को फोरेंसिक अधिकारियों, पुलिस और एक वरिष्ठ वकील की मौजूदगी में तोप का परीक्षण करने का निर्देश दिया था ताकि यह साबित किया जा सके कि यह उपयोग के लिए सुरक्षित है या नहीं। शनिवार को वडोदरा के नवलखी मैदान में गोला-बारूद भरकर तोप रखी गई थी।
परीक्षण रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाएगी
मंदिर के पुजारी जनार्दन दवे ने अगरबत्ती का उपयोग करके तोप को चलाया। परीक्षण सफल रहा। परीक्षण के बाद एफएसएल अधिकारी द्वारा तोप का निरीक्षण किया गया। परीक्षण रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाएगी जिसके आधार पर यह आदेश दिया जाएगा कि क्या तोप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
शोभा यात्रा के दौरान तोप से फाय¨रग की विरासत बड़ौदा के गायकवाड़ राजवंश से जुड़ी है। वर्ष 1996 में तोप से गोले दागने के दौरान कुछ लोग घायल हो गए थे। इसके बाद इस परंपरा को बंद कर दिया गया।
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