नर्मदा वेंटिलेटर पर, इतिहास में पहली बार तीर्थस्थल कबीरवड बंद
प्रसिद्ध तीर्थस्थान कबीरवड में बोट सेवा बंद कर दी गई है। यानी कि बारिश होने और नर्मदा में पानी आने तक श्रद्धालु इस तीर्थस्थल के दर्शन नहीं कर सकेंगे। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि नर्मदा का जल स्तर इतना अधिक कम हो गया है।
वडोदरा। भरुच जिले का प्रसिद्ध तीर्थस्थान कबीरवड में बोट सेवा बंद कर दी गई है। यानी कि बारिश होने और नर्मदा में पानी आने तक श्रद्धालु इस तीर्थस्थल के दर्शन नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा यहां बना राज्य का पहला फ्लोटिंग रेस्टोरेंट भी बंद होने की कगार पर है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि नर्मदा का जल स्तर इतना अधिक कम हो गया है। मढीघाट से कबीरवड जाने के लिए श्रद्धालु नाव से जाते हैं।
- गर्मी के इस मौसम में कबीरबड में रोज करीब 4 हजार श्रद्धालु आते हैं।
- नाव न चलने से संचालकों को 20 से 25 लाख का घाटा हो रहा है।
- गांव वालों के अनुसार इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, कबीरवड को बंद किया गया।
- पहले कबीरबड तक करीब 30 फीट पानी रहता था, अब वहां 7 फीट पानी रह गया है।
- पानी नाव घाट से 600 मीटर दूर चला गया है।
- पानी कम होने से न केवल नाव संचालक, बल्कि मछलीमारों को भी विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
फ्लोटिंग रेस्टारेंट की हालत खस्ता
भरुच नर्मदा पार्क के पास राज्य की सबसे पहली फ्लोटिंग रेस्टारेंट शुरू किया गया है। दो करोड़ की लागत से बनने वाले इस रेस्टारेंट में करीब 25 व्यक्ति एक साथ नदी के बीच में भोजन का आनंद ले सकें, इसके लिए मिनी क्रूज की व्यवस्था की गई है। नदी में पानी का स्तर घट जाने से मिनी क्रूज किनारे कीचड़ में फंस गई है। इससे यह फ्लोटिंग रेस्टारेंट के बंद होने की संभावना बढ़ गई है।
नदी में पानी कम होने का कारण
नर्मदा नदी पर हाल ही में सरदार ब्रिज और गोल्डन ब्रिज की बगल से नया ब्रिज बनाया गया जा रहा है। इस कारण डेम से पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। नदी में भरती के समय समुद्र का पानी सुदूर झनोर तक पहुंच गया है। समुद्र में पानी के कारण नदी में कटौती का प्रमाण बढ़ गया है। इस कटौती के कारण नदी का जल स्तर किनारों से लगातार कम हो रहा है।
मगरमच्छों से भी हो रही है पर्यटकों की संख्या में कमी
एक तरफ कबीरबड को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं, तो दूसरी तरफ इसी कबीरबड में मगरमच्छों के डर से पर्यटकों की संख्या में तेजी से कमी देखी गई। इससे नाव संचालकों को 15 लाख रुपए का घाटा हुआ था।