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पैलेस में है पैगम्बर साहब के चाचा की 1300 साल पुरानी तलवार

लक्ष्मी विलास पैलेस में श्री प्रताप शस्त्रागार है। इसकी स्थापना 18 मार्च 1941 में स्व. श्रीहमंत प्रतापसिंहराव गायकवाड़ ने की थी। इस हाल को 75 साल पूरे हो गए हैं। इसमें मोहम्मद पैगम्बर साहब के चाचा की 1300 साल पुरानी अब्बासी अलेमा की तलवार भी रखी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 20 May 2016 05:47 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2016 05:51 AM (IST)

वडोदरा। शहर के लक्ष्मी विलास पैलेस में श्री प्रताप शस्त्रागार है। इसकी स्थापना 18 मार्च 1941 में स्व. श्रीहमंत प्रतापसिंहराव गायकवाड़ ने की थी। इस हाल को 75 साल पूरे हो गए हैं। इसमें मोहम्मद पैगम्बर साहब के चाचा की 1300 साल पुरानी अब्बासी अलेमा की तलवार भी रखी है।

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- इस शस्त्रागार में अनेक अनमोल व देश-विदेश के बेजोड़ शस्त्रों का खजाना भी सुरक्षित है।

- हीरा-पन्ना जड़ित अनमोल तलवार भी यहीं है।

- स्व. श्रीमंत महाराजा प्रतापसिंह राव गायकवाड़ को पौराणिक शस्त्रों के प्रति लगाव था।

- वे शस्त्रों के अच्छे जानकार भी थे। इस जानकारी को आगे बढ़ाया प्रो. माणेकराव का साथ।

- दोनों ने देश-विदेश की यात्राएं कर शस्त्रों का संग्रह किया।

- इस दौरान उन्हें मोहम्मद पैगम्बर के चाचा की वह तलवार भी मिली, जिसका इस्तेमाल उन्होंने कर्बला के युद्ध में किया था।

- इस तलवार के बदले में महाराजा को बहुत ही बड़ी रकम देनी पड़ी थी।

बेशकीमती तलवारों का खजाना

इसके अलावा अनेक हीरा-पन्ना जड़ित सोने-चांदी और हाथी दांत की नक्काशीदार मूठ वाली बेशकीमती तलवारों का भी खजाना है। इसमें है सर सयाजीराव गायकवाड़ की वह हीरा-पन्ना जड़ित अनमोल तलवार भी है।

खूब देखभाल की जाती है

म्युजियम क्यूरेटर नंदा हींगुरा ने बताया कि यहां सुरक्षित शस्त्र एक अलग ही पहचान रखते हैं। इसके लिए बहुत ही बढ़िया कैटलॉग भी बनाया गया है। ताकि आने वाली पीढ़ी को इसकी पूरी जानकारी मिल सके। यह भारत का सबसे अच्छा कैटलॉग वाला शस्त्रागार है।

सिख गुरु गोविंद सिंह की पंचकुला तलवार भी

श्री प्रतापसिंह शस्त्रागार में करीब 500 से 700 वर्ष पुरानी अनेक तलवारों में सिख गुरु गोविंद सिंह की पंचकुला तलवार भी है। इसके अलावा शिवाजी महाराज की तलवार, पेशवाई पट्टापन तलवार, मुगल शासक औरंगजेब की तलवार, खुराश की नागीन तलवार, गायकवाड़ी शासन की प्रिय सकेला जैसी अनेकों बेमिसाल तलवारों का खजाना है। बंदूकों की शुरुआत से आधुनिक समय में इस्तेमाल में लाई जा रही रिवाल्वर तक का भी अनूठा संग्रह है।


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