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अनाथ बेटियों के सामूहिक विवाह में फेरे लेगा अरबपति बिजनेसमैन का बेटा

सूरत के नामी बिजनेसमैन महेश सवाणी ने अपने बेटे मितुल और भतीजे जय की शादी भी अनाथ बेटियों के सामूहिक विवाह समारोह में करने का फैसला किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 01 Aug 2016 06:43 AM (IST)Updated: Mon, 01 Aug 2016 06:47 AM (IST)
अनाथ बेटियों के सामूहिक विवाह में फेरे लेगा अरबपति बिजनेसमैन का बेटा

सूरत। 1000 अनाथ बेटियों के दत्तक पिता बनने का संकल्प लेने वाले सूरत के नामी बिजनेसमैन महेश सवाणी ने अपने बेटे मितुल और भतीजे जय की शादी भी अनाथ बेटियों के सामूहिक विवाह समारोह में करने का फैसला किया है। 25 दिसंबर-2016 को होने वाले सामूहिक विवाह में 236 अनाथ बेटियों की भी डोली उठेगी।

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बिजनेसमैन महेश सवाणी का कहना है कि भगवान ने मेरे परिवार को तमाम खुशियां दी हैं। ये खुशियां सामान्य परिवारों के साथ बांटने के विचार से सामूहिक विवाह में बेटे की शादी करने का फैसला किया है। मैं समझता हूं कि खुशियां बांटने का इससे अच्छा विकल्प और कुछ नहीं हो सकता। अन्य धनवान लोगों को इससे अच्छा मैसेज मिलेगा कि एक ही विवाह के खर्च में कई विवाह एवं गरीब तथा पिता की छत्रछाया खो चुकी बेटियों के दत्तक पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। आगामी 22 दिसंबर 2016 को मेहंदी की रस्म, 23 को परंपरागत रास-गरबा और 25 दिसंबर को फेरे होंगे।

इस घटना के बाद लिया संकल्प
बात 2008 की है। सवाणी परिवार के ईश्वरभाई सवाणी की दो बेटियां मितुला, अमृता का विवाह होना था। विवाह से एक सप्ताह पहले ही ईश्वरभाई चल बसे। ईश्वरभाई के परिवार पर तो दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। यह चिंता भी बेटियों के हाथ कैसे पीलें होंगे? ईश्वरभाई के परिवार की मदद के लिए महेशभाई पहुंचे, बेटियों के विवाह सहित पूरी जिम्मेदारी उठाने की इच्छा जता कर इजाजत मांगी। परिवार ने रजामंदी दी । महेशभाई ने मितुला, अमृता का विवाह करवाया और खुद कन्यादान भी लिया। तब महेश को लगा कि समाज में मितुला, अमृता जैसी कई बेटियां हैं, जिनके पिता नहीं है। खुद की बेटी न होने का दुख और बिना पिता की छत्रछाया वाली बेटियों के दुख के एहसास के साथ उन्होंने तय कर लिया कि वे 1001 ऐसे बेटियों के पालक पिता बनेंगे। सिर्फ कन्यादान ही नहीं, विवाह के बाद एक पिता के रूप में अन्य सभी जिम्मेदारियां भी निभाएंगे।

सामूहिक विवाह में उपहार
2008 के बाद उन्होंने राज्य में विविध स्थलों पर आयोजित सामूहिक विवाह का हिस्सा बनना भी आरंभ कर दिया। ऐसे आयोजनों जाकर वह बेटियों को एक पिता के रूप में उपहार भी देते हैं। 2012 तक वह कन्यादान करते थे। 2013 से उन्होंने खुद ही सामूहिक विवाह आयोजित करने शुरू कर दिए। अभी तक 472 बेटियों का कन्यादान कर चुके हैं। महेशभाई कहते हैं कि मुझे बेटियों का विवाह करवा कर ईश्वरीय आनंद प्राप्त होता है। 472 बेटियों का विवाह करवाने का अवसर प्राप्त हुआ। कम से कम 1001 बेटियों का तो विवाह करवाने का संकल्प है ही। अब तो लाइफ टाइम ऐसे अवसर जाने नहीं दूंगा।


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