Surat Migrant Workers Clash: घर वापसी के लिए श्रमिकों का हंगामा, पथराव; देखें वीडियो
Clash In Surat. सूरत के कटोदरा और पलसाणा बारडोली में उग्र श्रमिकों ने पुलिस पर पथराव किया जिससे तीन पुलिसकर्मियों को चोटें आईं।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Clash in Surat. लॉकडाउन बढ़ने के बाद गुजरात के सूरत में फंसे श्रमिकों ने अपने वतन जाने की मांग को लेकर सोमवार को फिर उत्पात मचाया। उग्र श्रमिकों ने पुलिस पर पथराव किया तो पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले दागे तथा लाठीचार्ज किया। उधर, राजस्थान सरकार की बेरुखी से प्रदेश के हजारों श्रमिक व प्रवासी गुजरात में फंसे हुए हैं। गुजरात से देश के अन्य प्रांतों के लिए 18 ट्रेन चलीं, लेकिन पड़ोसी राजस्थान के लिए एक भी नहीं चलाई जा सकी।
सूरत में हजारों की संख्या में फंसे श्रमिक बीते तीन दिनों से अपने अपने प्रदेशों में जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने पर सोमवार को पुलिस व श्रमिक आमने-सामने आ गए। सूरत के कटोदरा और पलसाणा, बारडोली में उग्र श्रमिकों ने पुलिस पर पथराव किया, जिससे तीन पुलिसकर्मियों को चोटें आईं। वाहनों में तोड़फोड़ व आगजनी की। पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए आंसूगैस के 10 गोले दागे तथा 70 श्रमिकों को गिरफ्तार किया है।
कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगीः डीजीपी
इस बीच, सूरत में श्रमिकों की पुलिस के साथ झडप के चलते गांधीनगर पुलिस महानिरीक्षक एचजी पटेल को सुरत पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। वे वर्तमान पुलिस आयुक्त आरबी ब्रम्हभट्ट के साथ मिलकर काम करेंगे। सूरत में शांति एवं कानून व्यवस्था की निगरानी करेंगे। डीजीपी शिवानंद झा ने कहा कि कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
बीते तीन दिनों में 18 ट्रेनों से 21500 श्रमिकों को उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा व झारखंड रवाना किया गया है। उत्तराखंड, पंजाब, यूपी व कोटा में फंसे 3000 गुजराती महिला-पुरुष व छात्रों को भी विशेष बसों से गुजरात लाया, लेकिन गुजरात व राजस्थान सरकार के बीच तनातनी का माहौल है। लॉकडाउन लागू होने के दो तीन दिन बाद से हजारों श्रमिक पैदल बांसवाडा, डूंगरपुर, सिरोही, पाली, उदयपुर के लिए रवाना हो गए थे। कुछ दिनों से यहां फंसे श्रमिकों की जानकारी ली जा रही है, लेकिन एक भी बस या ट्रेन गुजरात से राजस्थान के लिए नहीं चली।
एनसीपी राजस्थान के अध्यक्ष उम्मेद सिंह चम्पावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को आपस में संवाद कायम कर गरीब, श्रमिक व मध्यम वर्ग प्रवासियों को उनके घर भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए। दोनों राज्यों के अफसरों की तनातनी के चलते आम जनता पिस रही हैं। राजस्थान के एक आईएएस अधिकारी को गुजरात में कैंप कर ये सब व्यवस्था करनी चाहिए। गत दिनों भाजपा सांसद सीआर पाटिल ने भी ऐसी ही गुजारिश मुख्यमंत्री गहलोत से की थी।
दक्षिण गुजरात के सूरत, वापी, भरूच सहित सौराष्ट्र और अहमदाबाद में भी अन्य प्रांतों के लोग रोजी-रोटी के लिए आते हैं। यहां के कपड़ा, डायमंड, रोलिग मिल, कैमिकल सहित कई उद्योगों में बाहर से आए श्रमिक काम करते हैं। दक्षिण गुजरात के सूरत शहर में अब एम्ब्रोयडरी क्षेत्र में भी लाखों मजदूर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं। हालांकि देश में कोरोना वायरस के कारण शुरू हुए लॉकडाउन के कारण श्रमिक बेकार हो गए हैं। इनकी आर्थिक हालत भी खराब हो गई है। राज्य सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी वह इन लाखों श्रमिकों को दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल पा रही है। वहीं, इन श्रमिकों को मकान का किराया सहित अन्य सुविधाओं के लिए भी धन का अभाव खलने लगा है। इस कारण ये श्रमिक अपने प्रदेश जाना चाहते हैं। राज्य सरकार ने इनके लिए विशेष रेलगाड़ी की व्यवस्था के बाद भी अफरातफरी का माहौल है।
#WATCH Gujarat: A clash erupts between migrant workers & police in Surat. The workers are demanding that they be sent back to their native places. pic.twitter.com/aiMvjHGukY— ANI (@ANI) May 4, 2020
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने अन्य राज्यों के श्रमिकों को उनके प्रदेश भेजने के लिए विशेष रेलगाड़ियों द्वारा उत्तर प्रदेश तथा बिहार के लिए रेलगाड़ियों की व्यवस्था की जा रही है। हालांकि श्रमिकों की संख्या अधिक होने से गाड़ियों की संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही है।
श्रमिकों ने कराया मुंडन
वतन में जाने की व्यवस्था न होने से नाराज सूरत के पांडेसरा क्षेत्र के 70-80 श्रमिकों ने मुंडन करवाकर विरोध व्यक्त किया। वहीं, बहुत से श्रमिक बस संचालकों के शोषण का शिकार भी हो रहे हैं। इनके पास से किराया वसूल करने के बाद भी इनके जाने की व्यवस्था नहीं की जा रही है।
सूरत में पहले भी हंगामा कर चुके हैं श्रमिक
गौरतलब है कि इससे पहले भी गत 10 अप्रैल को सूरत में श्रमिकों ने घर वापसी की मांग को लेकर हंगामा किया था। डायमंड बुर्स और लसकाना इलाके में सड़क पर उतरे श्रमिकों ने पुलिस पर पथराव कर सब्जी की पांच रेहड़ियों में आग लगा दी थी। पुलिस ने हुड़दंग करने वाले 70 से अधिक मजदूरों को हिरासत में लिया था।
16 अप्रैल को भी अन्य श्रमिक सड़क पर आ गए थे। उनका कहना था कि लॉकडाउन चलता रहेगा तो उनका गुजारा कैसे होगा। फैक्टरी और मिल मालिकों ने वेतन देने से इन्कार कर दिया। मकान मालिक किराया मांग रहे हैं। उन्हें दो वक्त की रोट खाने के लिए लाले पड़ गए हैं। ऐसे में उनके और परिवार की हालत खराब है। सरकार से भी उन्हें कोई सहायत नहीं मिल पा रही है।
सूरत में सैकड़ों प्रवासी कामगारों ने प्रदर्शन किया था। कामगार लॉकडाउन के बावजूद अपने मूल निवास स्थल तक भेजने की मांग कर रहे थे। इससे पहले शुक्रवार को भी सूरत में प्रवासी कामगारों ने हिंसक प्रदर्शन किए थे। पुलिस ने कहा कि सूरत शहर के वरच्छा इलाके में प्रवासी कामगार जमा हो गए और मूल निवास स्थान तक वापस भेजे जाने की मांग करते हुए सड़क पर बैठ गए। वरच्छा सूरत का हीरा पॉलिश हब है और लाखों मजदूरों को रोजगार मुहैया कराता है। इसी इलाके में कई टेक्सटाइल यूनिटें भी हैं। प्रदर्शन कर रहे कामगारों में ज्यादातर ओडिशा, उत्तर प्रदेश और बिहार से थे।
प्रदर्शनकारियों को समझाने के लिए स्थानीय विधायक एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री किशोर कनानी भी प्रदर्शन स्थल तक पहुंचे।घटनास्थल पर मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'ये प्रवासी कामगार अपने मूल निवास स्थान लौटना चाहते हैं। हमने उनसे लॉकडाउन के कारण धैर्य नहीं खोने के लिए कहा है। उनमें से कुछ ने खाने को लेकर शिकायत की। हमने एक एनजीओ को बुलाया और उनके लिए तुरंत फूड पैकेट खरीदे गए। स्थिति अब नियंत्रण में है।