बिना इलाज जब 50 साल की महिला बनी मां
सालों से संतान सुख से वंचित रही इस 50 वर्षीय महिला ने उम्र के इस पड़ाव में मां बनने का सुख हासिल किया है।
सूरत। इन दिनों गुजरात के सिनेमाघरों में 'केरिनो रस' नाम की एक फिल्म चल रही है, जिसमें संतान सुख से वंचित एक महिला आईवीएफ पद्धति द्वारा एक बच्चे को जन्म देती है। इस फिल्म की कहानी को सूरत की एक 50 वर्षीया महिला ने टक्कर दी है। सालों से संतान सुख से वंचित रही इस 50 वर्षीय महिला ने उम्र के इस पड़ाव में मां बनने का सुख हासिल किया है, वह भी बगैर किसी इलाज के।
मूल रूप से बिहार की रहने वाली इस महिला ने जैसे ही 50 साल के बाद बच्ची को जन्म दिया, वैसे ही परिवार में खुशी का माहौल छा गया। सूरत के पांडेसरा विस्तार के अंतर्गत आने वाले शांतानगर की रहने वाली कुला देवी (50 वर्ष) की शादी 28 साल पहले रमेश यादव से हुई थी। शादी के बाद रमेश उन्हें लेकर सूरत आ गए और यहीं बस गए। रमेश मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते हैं और कुला देवी घरों में काम करके जैसे-तैसे अपना घर चला रही थी। हालांकि, शादी के बाद उन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पाया। यह सुख उन्हें 28 साल के बाद मिला। उनके घर में लड़की के पैदा होने से उनकी सालों की मन्नत पूरी हो गई।
रमेश यादव ने बताया की वह बेटी के जन्म से बहुत खुश हैं। उन्होंने आशा छोड़ दी थी कि उनके घर किसी बच्चे की किलकारी गूंजेगी। 50 वर्ष की उम्र में कुला देवी ने गर्भधारण किया। आखिरकार उन्हें वह खुशी मिल गई जिसके लिए उन्होंने 28 साल तक मन्नत मांगी। एक दिन पहले ही जन्म की पीड़ा होने से कुला देवी को प्रसूति के लिए सिविल अस्पताल मे भर्ती कराया गया, जहां पर तड़के सुबह 6 बजे उन्होंने लड़की को जन्म दिया जिसका वजन 2.6 किलोग्राम है।