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EXCLUSIVE: विश्व का सबसे बड़ा 'श्री यंत्र' बनकर हुआ तैयार, शक्ति पीठ अंबाजी में किया जाएगा स्थापित

अहमदाबाद में दुनिया का सबसे बड़ा श्री यंत्र बनकर तैयार हो चुका है। इसे अहमदाबाद के जय भोले ग्रुप ने तैयार किया है। इस ग्रुप के दीपेशभाई पटेल ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा श्री यंत्र तांबा पीतल सोना चांदी और लोहे जैसी पांच धातुओं से बना है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaPublished: Fri, 26 May 2023 07:01 PM (IST)Updated: Fri, 26 May 2023 07:01 PM (IST)
EXCLUSIVE: विश्व का सबसे बड़ा 'श्री यंत्र' बनकर हुआ तैयार, शक्ति पीठ अंबाजी में किया जाएगा स्थापित
विश्व का सबसे बड़ा 'श्री यंत्र' बनकर तैयार (जागरण फोटो)

किशन प्रजापति, अहमदाबाद। अहमदाबाद के जय भोले ग्रपु ने सोने, चांदी, तांबे, पीतल और लोहे से दुनिया का सबसे बड़ा श्री यंत्र बनाया है। 2200 किलो के इस श्री यंत्र को आने वाले दिनों में शक्तिपीठ अंबाजी मंदिर में स्थापित किया जाएगा। जय भोले ग्रुप के दीपेशभाई पटेल ने गुजराती जागरण से खास बातचीत की। जिसमें उन्होंने इस श्री यंत्र की विशेषताएं और इसे बनाने की प्रोसेस के बारे में रोचक जानकारी साझा की।

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"कोई भी सरलता से कर सकेगा पूजा"

जय भोले ग्रुप के दीपेशभाई पटेल ने कहा,

दुनिया का सबसे बड़ा श्री यंत्र तांबा, पीतल, सोना, चांदी और लोहे जैसी पांच धातुओं से बना है। इस श्री यंत्र की ऊंचाई, चौड़ाई और लंबाई 4.6 फीट है। इतना ऊंचा श्री यंत्र इस लिए बनाया गया, क्योंकि इसकी आसानी से पूजा की जा सके। इस यंत्र को नीचे की तरफ से देखें तो सर्वप्रथम इसके चारो ओर द्वार हैं और इसमें आठ सिद्धियों का वास है। उसके ऊपर तीन आवरण हैं, जो भूत, वर्तमान और भविष्य है।

उन्होंने कहा कि इस यंत्र के ऊपर कमल की सोलह पंखुडियां हैं जिन पर मां विराजमान हैं और ऊपर की ओर अष्ट नागदल है तो उसके ऊपर चौदह मन्वंतर हैं। साथ ही उसके ऊपर 10 महाविद्याएं हैं। इसके ऊपर विष्णु के 10 अवतार हैं। उसके ऊपर आठ वसु हैं। इसके ऊपर ब्रह्मा, विष्णु, महेश और देवियों में महालक्ष्मी, महाकाली और महा सरस्वती का वास है। इसके शीर्ष पर ललिता त्रिपुर सुंदरी विराजमान हैं, जो श्री यंत्र की देवी हैं।

कहां स्थापित किया जाएगा श्री यंत्र?

दीपेशभाई पटेल ने कहा,

आठ साल पहले श्री यंत्र बनाने का विचार आया था। श्री विद्या में चार द्वारा का वर्णन किया गया है। 1500 साल पहले आदि शंकराचार्य द्वारा लिखी गई श्री विद्या के हिस्से के रूप में सौंदर्य लहरी की विद्याएं यंत्र के अंदर लिखी गई हैं। जिसमें यंत्र क्या है? कौन सा पद है? कौन सी देवी कहां रहती है? इस पूरे यंत्र में सामने की ओर से ऊपर के पांचों को शक्ति कहा जाता है। ऊपर से पीछे की ओर पांच भाग शिव कहलाते हैं। इसलिए उन्हें यंत्रो का राजा कहा जाता है। अंबाजी मंदिर में इस श्री यंत्र को स्थापित करना हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है।

दीपेशभाई पटेल ने बताया कि, ''रिसर्च के बाद तीन साल पहले 150 एमएम का श्री यंत्र बनाया गया था। उसमें हुई गलतियों को सुधारकर हमने श्रृंगेरी मठ और ज्योर्ति मठ के शंकराचार्य का मार्गदर्शन लिया। दोनों शंकराचार्यों द्वारा श्री यंत्र में सुधार किए जाने के बाद हमने सबसे पहले श्री यंत्र की प्रतिकृति बनाई, जो बिल्कुल सही थी। जिसके तहत हमने दुनिया का सबसे बड़ा 2200 किलो का पंचधातु श्री यंत्र बनाया है।''

"1200 डिग्री पर नहीं रहता सोना और चांदी का अस्तित्व"

दीपेशभाई पटेल ने कहा, ''इस यंत्र को बनाने की प्रक्रिया की बात करें तो यह कहा जा सकता है कि सिंपल फाउंड्री के अंदर हमारी किसी भी तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया है, क्‍योंकि सोने और चांदी को पिघलाने के लिए उसे कम तापमान की जरूरत होती है, लेकिन तांबे, पीतल और लोहे को पिघलाने के लिए 1200 डिग्री से ज्यादा तापमान की जरूरत होती है। इस स्थिति में सोना और चांदी 1200 डिग्री पर नहीं रहेगा, भले ही हम इस श्री यंत्र में जितना सोना और चांदी डालते हैं, उतना ही हमें वापस मिल जाता है। यह मनुष्य की कृपा से ही संभव है।


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