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गुजरात में आदिवासियों पर पकड़ बनाएगी भाजपा, मनाएगी विश्व आदिवासी दिवस

आदिवासी समाज पर भाजपा की पकड़ बनाए रखने के लिए गुजरात सरकार नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस को राज्यभर में धूमधाम से मनाएगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 06:41 PM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 07:02 PM (IST)
गुजरात में आदिवासियों पर पकड़ बनाएगी भाजपा, मनाएगी विश्व आदिवासी दिवस
गुजरात में आदिवासियों पर पकड़ बनाएगी भाजपा, मनाएगी विश्व आदिवासी दिवस

गांधीनगर, शत्रुघ्न शर्मा। कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले आदिवासी समाज पर भाजपा की पकड़ बनाए रखने के लिए गुजरात सरकार नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस को राज्यभर में धूमधाम से मनाएगी। प्रतिभाशाली आदिवासियों के सम्मान उनके लोक देवताओं की पूजा के साथ उनके जल जंगल व जमीन की मांग को भी बुलंद करेगी।

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उत्तर गुजरात के अंबाजी से लेकर दक्षिण गुजरात के उमरगाम तक 14 जिलों के साढ़े चार हजार गांवों में बसे करीब 90 लाख आदिवासी आमतौर कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहे हैं। पूर्व सीएम दिवंगत अमर सिंह चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री नारणभाई राठवा, तुषार चौधरी, पूर्व सांसद प्रभा तावियाड, विधायक अश्विन कोटवाल आदि कांग्रेस के चर्चित आदिवासी नेता रहे हैं लेकिन अमर सिंह के निधन के बाद इस समुदाय पर कांग्रेस की पकड़ ढीली होती गई।

वर्ष 2012 में आदिवासियों ने खुलकर भाजपा के समर्थन में मतदान किया। उत्तर व दक्षिण गुजरात की आदिवासी बहुल सीटों पर सर्वाधिक 80 फीसदी मतदान हुआ तथा 75 फीसदी से अधिक सीटें भाजपा के खाते में गई। भाजपा की ओर से आदिवासी वोट बैंक को साधने का काम आदिवासी विकास मंत्री गणपत सिंह वसावा कर रहे हैं। वसावा ने ही बुधवार को कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से विश्व आदिवासी दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था।

आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा जहां एक ओर अपने परंपरागत वोट बैंक पाटीदारों को साथ रखने की हरसंभव कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस का कभी वोट बैंक रहे आदिवासी समुदाय पर भी अपनी पकड को बरकरार रखने के प्रयास कर रही है। नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस को पहली बार सरकार राज्यस्तरीय समारोह के रूप में मना रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते आदिवासियों के लिए 12 हजार करोड की वनबंधु योजना की शुरुआत की थी, जिसके चलते अंबाजी से उमरगाम तक बसे इस समुदाय के जीवन स्तर में आमूल चूल परिवर्तन दिखने लगा। अब भाजपा इस समाज के साथ घुलमिल जाने के लिए उनके लोकदेवता व उत्सव की डिप्लोमेसी अपना रही है। आदिवासी युवाओं व खिलाडियों सहित आदिवासी समाज के लिए सम्मानित लोगों का सम्मान कर राज्य सरकार उनके करीब खडा होते दिखना चाहती है।  


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