स्टेशन, तालाब, थिएटर और स्कूल...नरेंद्र मोदी का कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर, ये किस्से हैं इसके गवाह
बीएन हाईस्कूल में लगभग 60 वर्ष पहले एक नाटक का मंचन किया गया था। इसमें जोगीदास खुमाण के पात्र ने मंच पर जिस अंदाज में तलवार खींची थी वो ²श्य शिक्षकों व लोगों को आज भी याद है। जोगीदास का पात्र निभाने वाला बालक कोई और नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही थे। उन्हें बचपन में नाटक परंपरागत खेल का बहुत शौक था।
शत्रुघ्न शर्मा, वडनगर। बीएन हाईस्कूल में लगभग 60 वर्ष पहले एक नाटक का मंचन किया गया था। इसमें जोगीदास खुमाण के पात्र ने मंच पर जिस अंदाज में तलवार खींची थी, वो दृश्य शिक्षकों व लोगों को आज भी याद है। जोगीदास का पात्र निभाने वाला बालक कोई और नहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही थे। उन्हें बचपन में नाटक, परंपरागत खेल का बहुत शौक था।
वडनगर अपने बेटे को तीसरी बार पीएम बनते देखना चाहता है। यहां के लोग कहते हैं कि मोदी ने 10 साल में वह कर दिखाया जो 70 साल में नहीं हो सका। दूसरों के काम के लिए वे हमेशा तत्पर रहते हैं। ऐतिहासिक शहर वडनगर में जहां एक ओर पुरातत्व महत्व का वडनगर का तोरण, सात प्राचीन दरवाजे, 5वीं सदी के बौद्ध स्तूप, प्राचीन हाटकेश्वर मंदिर दिखता है तो दूसरी ओर लाल पत्थर से दमकता शर्मिष्ठा तालाब, टावर बिल्डिंग में चलता शेठ पुस्तकालय, प्राचीनता और आधुनिकता की गवाही देता वडनगर रेलवे स्टेशन नजर आता है।
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पीएम मोदी का जन्म इसी कस्बे के कालावासुदेव नुं चाचरु (मोदीवास) के एक मकान में हुआ। अब यह मकान इनके चाचा के हिस्से में चला गया है। मोदी का बचपन इन्हीं गलियों में बीता। जिस घर में मोदी रहे, अब वहां कोई दूसरा परिवार रहता है। लेकिन, यहां के लोगों के चेहरे पर अपने नरेन्द्र के प्रधानमंत्री बनने की खुशी साफ झलकती है। वडनगर चाहता है कि उसका बेटा तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बने।
दिलीप मोदी बताते हैं कि मोदी ने पीएम रहते जो किया, वह कोई दूसरा नहीं कर सकता था। मोदी ने हर वर्ग का ध्यान रखा और देश का विकास किया। राममंदिर कोई दूसरा नेता नहीं बनावा सकता था। अनुच्छेद-370 हटाना भी किसी और के बस की बात नहीं थी।
स्कूल के दिनों से ही आरएसएस से हो गया था जुड़ाव
मोदी को पढ़ाने वाले हरगोविंद चेलदास पटेल बताते हैं कि नरेन्द्र कहते थे कि उन्हें स्कूल की हर गतिविधि में रखें। लेकिन, उनकी शर्त होती थी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का यदि कोई काम होगा तो वे इसमें भाग नहीं ले सकेंगे। स्कूल के दिनों से ही उनका लगाव आरएसएस से था। मोदी एनसीसी के कैडेट भी रहे। नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उनके गांव में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके शिक्षक और गांव वाले बताते हैं कि कई लोग अपने काम कराने के लिए उनसे मिलते थे। लेकिन, मोदी ने अपने शिक्षक, गांव व समाज के नेताओं से कह रखा था कि किसी के निजी काम के लिए सिफारिश मत करना। हां, यदि गांव और समाज का कार्य होगा तो दरवाजे हमेशा खुले हैं।
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