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Ahmedabad: जज साहब...पति से छुड़ाकर गर्लफ्रेंड मुझे दिलाइए, कोर्ट में गिड़गिड़ाया प्रेमी; लगा जुर्माना

Gujarat अहमदाबाद में एक युवक ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है कि उसकी गर्लफ्रेंड को उसके पति से छुड़ाकर उसे सौंप दिया जाए। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariPublished: Fri, 17 Mar 2023 01:46 PM (IST)Updated: Fri, 17 Mar 2023 01:46 PM (IST)
गुजरात हाई कोर्ट में युवक ने अपने गर्लफ्रेंड की कस्टडी की मांग करते हुए याचिका दाखिल की

अहमदाबाद, ऑनलाइन डेस्क। गुजरात के अहमदाबाद से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आ रहा है। दरअसल, एक व्यक्ति ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि उसकी प्रेमिका की जबरदस्ती शादी कराई गई है, इसलिए वो प्रेमिका की कस्टडी चाहता है। हालांकि, इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया है।

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मांगी गर्लफ्रेंड की कस्टडी

यह मामला बनासकांठा जिले में रहने वाले एक शख्स का है। इसने हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस पिटीशन दाखिल की थी। उसने मांग की थी कि उसकी गर्लफ्रेंड को उसके पति से छुड़ाकर उसे सौंप दिया जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसकी गर्लफ्रेंड की शादी जबरदस्ती की गई है और वो अपनी मर्जी के बिना अपने पति के साथ रह रही है। यहां तक कि शादी के बाद वो अपने पति को छोड़कर उसके पास रहने भी आ गई थी।

लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट को बनाया आधार

याचिकाकर्ता ने कहा कि वो अपनी प्रेमिका के साथ रह रहा था और दोनों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप का एग्रीमेंट भी हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद उसकी प्रेमिका के परिजन आए और फिर उसे अपने साथ लेकर चले गए। याचिकाकर्ता ने याचिका में लिखा कि उसकी प्रेमिका और पति का अवैध रिश्ता है, इसलिए प्रेमिका उसे सौंप दी जाए। याचिकाकर्ता ने लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट को कोर्ट में पेश किया, जिसमें महिला ने याचिकाकर्ता शख्स के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की थी।

राज्य सरकार के वकील ने किया विरोध

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने इस मांग का विरोध किया और कहा कि उसे ऐसी कोई याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि जिसे याचिकाकर्ता अपनी गर्लफ्रेंड बता रहा वह किसी प्रकार की अवैध कस्टडी में हैं।

कोर्ट ने लगाया पांच हजार का जुर्माना

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस वी एम पंचोली और जस्टिस एम एम प्रच्चक ने कहा कि महिला ने न ही तलाक लिया है और न ही कोई दूसरी शादी की है तो ऐसे में महिला के पति के साथ होने को अवैध कस्टडी नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कस्टडी मांगने व्यक्ति को 5000 रुपये स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी में जमा करने का निर्देश दिया।


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