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जानें, धोलावीरा की हड़प्पा संस्कृति के बारे में, जो वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल, मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी ने किया ट्वीट

Know about the Harappan culture of Dholavira यूनेस्को ने गुजरात के धोलावीरा की हड़प्पा नगरीय सभ्यता के अवशेषों को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल किया। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस पर खुशी जताते हुए अपने ट्विटर हेंडल के माध्यम से यह जानकारी दी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 05:36 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 05:37 PM (IST)
जानें, धोलावीरा की हड़प्पा संस्कृति के बारे में, जो वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल, मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी ने किया ट्वीट
मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने खुशी जताते हुए अपने ट्विटर हेंडल के माध्यम से यह जानकारी दी।

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। यूनेस्को ने गुजरात के धोलावीरा की हड़प्पा नगरीय सभ्यता के अवशेषों को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल किया। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस पर खुशी जताते हुए अपने ट्विटर हेंडल के माध्यम से यह जानकारी दी। गुजरात के कच्छ मैं स्थित भचाऊ कस्बे के पास खडीरबेट इलाके में धोलावीरा की प्राचीन हड़प्पा नगरी सभ्यता के अवशेष मौजूद हैं।

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करीब 5000 साल पुरानी यह सभ्यता मानी जाती है वर्ल्ड हेरिटेज सूची में यूनेस्को ने इसे शामिल करने की घोषणा की है। इससे पहले अहमदाबाद शहर, पाटण स्थित रानी की वाव तथा चंपानेर-पावागढ़ को भी वर्ल्ड हेरिटेज सूचना शामिल किया जा चुका है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। यह शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करने का प्रयास करती है। यूनेस्को का मुख्यालय पेरिस में है।

54 साल पहले चर्चा में आई हड़प्पा संस्कृति

पहली बार 1967 में धोलावीरा की हड़प्पा संस्कृति चर्चा में आई। यह नगरीय सभ्यता का एक शानदार उदाहरण माना गया। यहां 77 लाख लीटर पानी के संग्रह का एक बड़ा टांके के अवशेष तालाब, कूंए, स्नानागार जैसे स्ट्रक्चर पाए गये। किले नुमा अवशेष के साथ सामान्य लोगों के आवास के अवशेष भी यहां पाए गए। सभासद अथवा अधिकारियों के आवास विशेष डिजाइन में बने हुए पाए गए। ऐसा माना जाता है कि इस प्राचीन नगर में करीब 50 हजार लोगों के रहने की व्यवस्था की गई थी।

नहर के जरिए पानी को नगर के जलाशयों तक लाने के लिए तराशी हुई ईटों से विशेष प्रकार की नालियों का निर्माण यहां किया गया। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर पीएस ठक्कर बताते हैं कि प्राचीन लोगों को अशिक्षित माना जाता है लेकिन हड़प्पा सभ्यता उनके वैज्ञानिक एवं बेहतर तकनीक का उदाहरण है। जिसमें जलापूर्ति के संग्रह तथा वितरण की शानदार व्यवस्था बनी हुई थी।


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