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जागरण विशेष: इंदौर के कलाकार ने स्क्रैप-मेटल से बनाई हनुमानजी की प्रतिमा, गुजरात के इस शहर में होगी स्थापित

जागरण विशेष हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर हम पूरी तरह से स्क्रैप-मेटल से बनी 8.5 फीट ऊंची और 350 किलोग्राम वजन वाली हनुमान जी की मूर्ति के बारे में बात करेंगे। इंदौर के एक कलाकार द्वारा बनाई गई यह प्रतिमा अगले महीने गुजरात के गोधरा में स्थापित की जानी है। इस प्रतिमा को बनाने वाले इंदौर के कलाकार देवल वर्मा से गुजराती जागरण की टीम ने खास बातचीत की।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Published: Tue, 23 Apr 2024 09:14 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2024 09:14 AM (IST)
स्क्रैप-मेटल से बनी 8.5 फीट ऊंची हनुमानजी की प्रतिमा (फाइल फोटो)

धर्मेंद्र ठाकुर, अहमदाबाद। आज देशभर में हनुमान जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। सुबह से ही हनुमानजी के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। तो आज हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर हम पूरी तरह से स्क्रैप-मेटल से बनी 8.5 फीट ऊंची और 350 किलोग्राम वजन वाली हनुमान जी की मूर्ति के बारे में बात करेंगे। इंदौर के एक कलाकार द्वारा बनाई गई यह प्रतिमा अगले महीने गुजरात के गोधरा में स्थापित की जानी है।

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इस प्रतिमा को बनाने वाले इंदौर के कलाकार देवल वर्मा से गुजराती जागरण की टीम ने खास बातचीत की। जिसमें उन्होंने हनुमानजी की मूर्ति बनाने से लेकर प्लानिंग तक सारी जानकारी के बारे में बात की। जिसे हम शब्दशः यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।

हनुमानजी की मूर्ति

इस मूर्ति के बारे में बात करते हुए देवल वर्मा ने कहा, 'हम पिछले 7-8 सालों से स्क्रैप-मेटल आर्ट पर काम कर रहे हैं। स्क्रैप-मेटल से हम कलाकृतियां बनाते हैं। और ऑर्डर के अनुसार मूर्ति बनाते हैं। गोधरा से एक ऑर्डर आया था। आमतौर पर क्लायंट हमें जगह दिखाता है और सुझाव चाहता है कि वहां क्या होना चाहिए। उन्हें भगवान की एक मूर्ति स्थापित करनी थी। वे हमसे जानना चाहते थे कि कौन सी मूर्ति बननी चाहिए और किस तरह से बननी चाहिए। हमने उन्हें हनुमानजी की मूर्ति सुझाई। फिर हमने हनुमानजी की मूर्ति डिजाइन की।'

देवल वर्मा ने आगे कहा कि, 'सबसे पहले तो यह हनुमानजी की मूर्ति है और हम स्क्रैप से काम कर रहे हैं. मतलब बनानी तो स्क्रैप से ही थी. लेकिन यह ऐसा था, हम सामान्य तौर पर जो करते हैं उससे कुछ अलग करेंगे। यानी हम मूर्ति को थोड़ा अलग बनाएंगे। हमने इसमें बहुत सारा पीतल और स्टेनलेस स्टील डाला है।'

डिज़ाइन बनाने में 2-3 महीने का समय लगा

'हनुमानजी की इस मूर्ति को डिजाइन करने में हमें 2-3 महीने लगे। डिज़ाइन में प्रपोशन-डायमेंशन सेट किया। डिजाइन फाइनल होने के बाद हमने मटेरियल की तलाश शुरू कर दी कि, कोन से मटेरियल से मूर्ति बनाई जाए। स्क्रैप ढूंढने में बहुत समय लगता है. प्रतिमा में पीतल की कड़ाही, प्लेट और स्टेनलेस स्टील के पाइप हैं। एसएस शीट भी लगी हुई हैं. कारों के स्प्रिंग, गियर बियरिंग अलग-अलग तरह के स्क्रैप से बनाई गई हैं।'

हनुमान चालीसा

हनुमानजी की मूर्ति बनाने के लिए हमने हनुमान चालीसा का अनुवाद भी किया। उनकी विशेषताएं क्या हैं? जैसे, कांधे मूंज जनेऊ साजै।, यानी जनेऊ कैसे पहनाया जाता है। फिर कानों में कुंडल कैसे हैं। उस तरह की डिटेलिंग की गई है। कहा जाता है कि श्री राम जानकी हनुमानजी के सीने में बैठे हैं। तो हमने वैसा ही एक स्केच बनाया, उसे डिजिटल रूप से पीतल में उकेरा, एक पेंडेंट बनाया और उनकी छाती पर लगा दिया। इस तरह की डिटेलिंग की गई है।

क्या रही चुनौती?

सबसे बड़ी चुनौती हनुमानजी की प्रतिमा बनाने में सामने यह आती है कि, हनुमानजी का शरीर एकदम स्वस्थ है। हनुमानजी शक्तिशाली हैं. इसके साथ ही हनुमानजी का चेहरा अत्यंत सौम्य है। चेहरे पर वह कोमलता और सौम्यता लाना बहुत बड़ी चुनौती थी।

कैसे मटेरियल का किया गया इस्तेमाल 

स्टेनलेस स्टील, पीतल, माइल्ड स्टील का उपयोग किया गया है। जैसे की पीतल की प्लेट है तो इसे कहां इस्तेमाल करना है, कैसे इस्तेमाल करना है, उस प्रकार से काटकर फिट की गई है।

मूर्ति बनाने में कितना लगा समय 

हनुमानजी की इस मूर्ति को बनाने में कुल 1 साल का समय लगा। डिज़ाइन से लेकर मटेरियल संग्रह से लेकर अंतिम निर्माण तक। ऑर्डर पिछले फरवरी में हमारे पास आया और प्रतिमा इस साल मार्च में बनकर तैयार हो गई।

मूर्ति बनाने में कितने लोगों ने काम किया?

इस मूर्ति को बनाने में हमारी 4 लोगों की टीम ने काम किया। मैं देवल वर्मा, चीफ मैकेनिकल इंजीनियर फैजान खान, चीफ वेल्डर राजेश झा और हेल्पर अर्जुन। यह प्रतिमा इंदौर में हमारे डिजाइन स्टूडियो में बनाई गई है।

इसे कहां और कब स्थापित किया जाएगा?

यह मूर्ति गोधरा में बस स्टैंड के पास श्री सार्वत रेस्तरां में स्थापित की जानी है। इस मूर्ति को बनाते समय सबसे बड़ी चुनौती हनुमानजी के चेहरे पर भाव लाना था। क्योंकि, स्क्रैप सामग्री से कुछ बनाना और उसके चेहरे पर भाव लाना सबसे चुनौतीपूर्ण काम है। जब लोग इस प्रतिमा को देखते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है कि हनुमान जी उन्हें देख रहे हैं। लोगों ने हमें ऐसा बताया है. प्रीव्यू के दौरान कई लोग हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रो पड़े थे।

हमारे यहां पे सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, तो कैमरे आमतौर पर मोशन डिटेक्ट करते हैं। रात को कैमरा हनुमानजी को फ्रेम कर रहा था। कैमरा उस तरीके से डिटेक्ट कर रहा था कि यहां कोई खड़ा है. लाइट बंद होने के बाद भी कैमरा उसे डिटेक्ट कर रहा था।

हनुमानजी की दाढ़ी में स्टेनलेस स्टील के तार लगे हैं। गदा पीतल के हुण्डा से बनी होती है। मुकुट पर लोटा है. नीचे पीतल के गिलास हैं। मुकुट के पीछे सिलाई मशीन का पहिया है।


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