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Gujarat Politics: गुजरात कांग्रेस में इन नेताओं को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

Gujarat Politics गुजरात कांग्रेस में लंबे समय से बड़े पदों पर जमे निष्क्रिय नेताओं को बाहर कर युवाओं को अग्रिम पंक्ति में लाया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अर्जुन मोढवाडिया नारण राठवा हार्दिक पटेल आदि के नामों की चर्चा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 07:03 PM (IST)
गुजरात में कांग्रेस के निष्क्रिय नेता होंगे पार्टी से बाहर। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। कांग्रेस आलाकमान गुजरात के पार्टी संगठन में बड़े आपरेशन की तैयारी कर रहा है। लंबे समय से बड़े पदों पर जमे निष्क्रिय नेताओं को बाहर कर युवाओं को अग्रिम पंक्ति में लाया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अर्जुन मोढवाडिया, नारण राठवा, हार्दिक पटेल आदि के नामों की चर्चा है। नेता विपक्ष के रूप में शैलेष परमार, वीरजी ठुमर के नाम आगे हैं। गुजरात कांग्रेस प्रभारी पद पर राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा की नियुक्ति के बाद पार्टी आलाकमान जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष व नेता विपक्ष के पदों पर भी फैसला करेगा। स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा व विधानसभा में नेता विपक्ष परेश धनाणी ने अपने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित पूरी सरकार का चेहरा बदले जाने के बाद संभावना यह भी जताई जा रही है कि गुजरात में समय से पहले चुनाव कराए जा सकते हैं। कांग्रेस की समस्या यह भी है कि वह कई साल से पार्टी में जमे निष्क्रिय नेताओं को दूर किए बिना संगठन में ऊर्जा भी भरना चाहती है और जीतना भी।

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सीआर पाटिल का गुजरात विधानसभा की सभी सीटें जीतने का दावा

वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की चुनौती कम नहीं है। हाल ही संपन्न गांधीनगर महानगरपालिका के चुनाव परिणाम पर नजर दौड़ाएं तो आम आदमी पार्टी (आप) कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बनकर उभरी है। सूरत के बाद गांधीनगर में भी कांग्रेस की हार के लिए सीधे तौर पर आप की मौजूदगी को जिम्मेदार माना सकता। कांग्रेस पाटीदार समुदाय को जोड़ने का प्रयास कर रही है, लेकिन पिछले चुनाव परिणाम देखें तो वह इसमें सफल होती नजर नहीं आ रही है। नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को भी दावेदार माना जा रहा है, लेकिन प्रदेश के वरिष्ठ नेता हार्दिक के बजाय किसी वरिष्ठ नेता को ही पसंद करेंगे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया व पूर्व केंद्रीय मंत्री नारण राठवा का नाम हाल सबसे आगे है। उधर, नेता विपक्ष के रूप में दलित नेता शैलेष परमार, पूंजाजी वंश तथा पाटीदार नेता वीरजी ठुमर का नाम सबसे ऊपर है।

कांग्रेस की पाटीदार, ओबीसी  व आदिवासी मत साधने की रणनीति 

अध्यक्ष पद पर किसी आदिवासी या ओबीसी समुदाय के नेता को चुना जाता है तो नेता विपक्ष पर पाटीदार या दलित नेता को चुना जाएगा। ओबीसी व आदिवासी कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है, लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री रहते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदिवासी वोट बैंक में बड़ी सेंध लगा दी थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी, पूर्व सांसद जगदीश ठाकोर व दिग्गज ओबीसी नेता हैं। पार्टी को इनकी उपेक्षा करना भारी पड़ सकता। सोलंकी के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस विधानसभा के दो चुनाव हार चुकी है। ऐसे में पार्टी अब उनको फिर से जिम्मेदारी सौंपने के मूड में नहीं लगती। कांग्रेस की समूची रणनीति पाटीदार, ओबीसी व आदिवासी मत बैंक को साधने की है। दलित मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए पार्टी निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को पहले ही आगे कर चुकी है।

रघु शर्मा करेंगे गुजरात के कांग्रेस संगठन में भारी फेरबदल

प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा तीन दिन गुजरात में रहकर पार्टी नेताओं से रायशुमारी कर चुके हैं तथा 16 अक्टूबर को होने वाली कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद गुजरात के कांग्रेस संगठन में भारी फेरबदल करेंगे। कांग्रेस का एक गुट हार्दिक के पक्ष में हैं तो दूसरा गुट मोढवाडिया को अध्यक्ष बनाना चाहता है। कांग्रेस की गुजरात में सबसे बड़ी चिंता यही है कि उसके वरिष्ठ नेता वोट खींचने में कामयाब क्यों नहीं हो पा रहे हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 77 सीटें जीत कर बहुमत के थोड़ा करीब पहुंच गई थी, लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर पाटिल के आने के बाद सभी दलों के समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस को ऐसे नेता की तलाश है, जो पाटिल के खिलाफ कांग्रेस को दमदार तरीके से चुनावी जीत दिला सके। 


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