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Morbi Bridge Collapse Case: गुजरात के मोरबी पुल हादसे में सात आरोपियों की जमानत याचिका को कोर्ट ने किया खारिज

मोरबी पुलिस ने पिछले सप्ताह इस मामले में आरोपपत्र दायर किया था जिसमें पटेल सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए अन्य नौ लोगों में कंपनी के दो प्रबंधक दो टिकट बुक करने वाले क्लर्क तीन सुरक्षा गार्ड और दो ठेकेदार शामिल हैं।

By AgencyEdited By: Shashank MishraPublished: Sat, 04 Feb 2023 05:01 PM (IST)Updated: Sat, 04 Feb 2023 05:01 PM (IST)
Morbi Bridge Collapse Case: गुजरात के मोरबी पुल हादसे में सात आरोपियों की जमानत याचिका को कोर्ट ने किया खारिज
हैंगिंग ब्रिज पर करीब 250 लोग सवार थे।

मोरबी, पीटीआई। गुजरात के मोरबी शहर में एक पुल गिरने के मामले में गिरफ्तार किए गए सात लोगों की जमानत याचिका को आज अदालत ने खारिज कर दी। प्रधान सत्र न्यायाधीश पी सी जोशी ने ओरेवा समूह के दो प्रबंधकों सहित सात आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया। बता दें माछु नदी पर ब्रिटिश काल का पुल 30 अक्टूबर, 2022 को ढह गया था। ओरवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल ने अपनी गिरफ्तारी से पहले 1 फरवरी को अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।

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एसआईटी ने कंपनी की ओर से कई खामियों का दिया हवाला

मोरबी पुलिस ने पिछले सप्ताह इस मामले में आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें पटेल सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए अन्य नौ लोगों में कंपनी के दो प्रबंधक, दो टिकट बुक करने वाले क्लर्क, तीन सुरक्षा गार्ड और दो ठेकेदार शामिल हैं।

इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट ने इन नौ लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहले, राज्य सरकार द्वारा इस घटना की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने कंपनी की ओर से कई खामियों का हवाला दिया था।

एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल, हैंगिंग ब्रिज पर करीब 250 लोग सवार थे। एसआईटी के अनुसार, इन खामियों में पुल तक पहुंचने वाले लोगों की संख्या पर प्रतिबंध की कमी और टिकटों की बिक्री पर कोई अंकुश नहीं लगाना शामिल था, जिससे संरचना पर कोई रोक नहीं लगाई गई और विशेषज्ञों से परामर्श किए बिना मरम्मत की गई थी।

जांच में पता चला कि फर्म द्वारा किए गए नए धातु के फर्श ने संरचना का वजन बढ़ाया था और वह उस तार को बदलने में विफल रहा था जिस पर पूरा पुल लटक रहा था। एसआईटी ने कहा कि इसके अलावा पटेल की कंपनी द्वारा किराए पर लिए गए ठेकेदारों को इस तरह के मरम्मत और नवीकरण का काम करने के लिए योग्य नहीं ठहराया गया।

जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि ओरेवा समूह ने मरम्मत और नवीकरण के बाद जनता के लिए इसे खोलने से पहले कैरिजवे की भार वहन क्षमता का आकलन करने के लिए किसी विशेषज्ञ एजेंसी को नियुक्त नहीं किया था।

कई धाराओं के तहत मामला किया गया दर्ज

अभियोजन पक्ष ने इससे पहले निचली अदालत को सूचित किया था कि कंपनी ने अकेले गिरने के दिन 3,165 टिकट बेचे थे और पुल के दोनों ओर टिकट बुकिंग कार्यालयों के बीच कोई समन्वय नहीं था। जयसुख पटेल सहित सभी 10 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या), 336 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 337 (किसी भी तरह की लापरवाही या लापरवाही से किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाना) और 338 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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