Gujarat: हाई कोर्ट ने पूछा, इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेजों में शुल्क माफी क्यों नहीं
Gujarat गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार और निजी शिक्षण संस्थानों को वार्ता करने और एक ऐसा सर्वमान्य हल तलाशने का आदेश दिया है जिसमें हर भागीदार के हितों का ध्यान रखा जाए।
गांधीनगर, आइएएनएस। गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि यदि शिक्षा देना एक आदर्श और परोपकारी कार्य है तो इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज के छात्रों को शुल्क माफी से वंचित क्यों रखा गया। हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार के 16 जुलाई के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें प्राइवेट स्कूलों को लॉकडाउन के दौरान किसी प्रकार की फीस नहीं लेने को कहा गया। कोर्ट ने सरकार और निजी शिक्षण संस्थानों को वार्ता करने और एक ऐसा सर्वमान्य हल तलाशने का आदेश दिया है, जिसमें हर भागीदार के हितों का ध्यान रखा जाए। गुजरात सरकार के 'नो फी आर्डर' के खिलाफ सेल्फ फाइनेंसिंग एवं प्राइवेट स्कूल संघ और फेडरेशन की ओर से दाखिल चार पीआइएल का निपटारा करते हुए मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ एवं जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने वसूली जा चुकी फीस लौटाने संबंधी सरकारी आदेश को भी रद कर दिया।
कोर्ट ने सवाल किया कि सरकार ने अपने सरकारी संकल्प (जीआर) में जैसा कहा है उसके अनुसार यदि शिक्षा देना एक आदर्श और परोपकारी कार्य है तो राज्य सरकार ने कॉलेजों के भी शिक्षण शुल्क माफ करने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए? आखिर सभी शिक्षण संस्थानों, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों के लिए शुल्क माफी क्यों नहीं होनी चाहिए। गुजरात के शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह चूडास्मा ने गत दिनों कहा है कि सरकारी शालाओं के बच्चों के साथ अब सरकार निजी स्कूलों के बच्चों को भी ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करेगी।
इससे पहले निजी शाला संचालकों ने ऑनलाइन कक्षाओं को बंद करने का एलान कर दिया था। सरकार ने अब कक्षा तीन से 12 तक के सभी निजी स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए मुफ्त में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करने का फैसला किया है। कक्षाएं गुजराती और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में संचालित होंगी। राज्य सरकार पहले से ही वंदे गुजरात चैनल के माध्यम से कक्षा तीन से 12 वीं तक के गुजराती माध्यम के छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रही है।