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Gujarat Assembly Election 2022: सौराष्ट्र की 16 सीटों पर पाटीदार उम्मीदवारों के बीच दिलचस्प चुनावी मुकाबला

पहले चरण की 89 सीटों पर कुल 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। सौराष्ट्र की बात करें तो सौराष्ट्र की 54 सीटों में से 16 सीटों पर पाटीदारों के खिलाफ पाटीदार उम्मीदवार हैं। कुछ सीटों पर तीनों उम्मीदवार पाटीदार हैं तो कुछ सीटों पर दो उम्मीदवार पाटीदार हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 18 Nov 2022 02:15 PM (IST)Updated: Fri, 18 Nov 2022 02:15 PM (IST)
Gujarat Assembly Election 2022: सौराष्ट्र की 16 सीटों पर पाटीदार उम्मीदवारों के बीच दिलचस्प चुनावी मुकाबला
सौराष्ट्र की बात करें तो सौराष्ट्र की 54 सीटों में से 16 सीटों पर पाटीदारों के खिलाफ पाटीदार उम्मीदवार

अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। पहले चरण की 89 सीटों पर कुल 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। सौराष्ट्र की बात करें तो सौराष्ट्र की 54 सीटों में से 16 सीटों पर पाटीदारों के खिलाफ पाटीदार उम्मीदवार हैं। कुछ सीटों पर तीनों उम्मीदवार पाटीदार हैं तो कुछ सीटों पर दो उम्मीदवार पाटीदार हैं।

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विधानसभा चुनाव के दौरान पाटीदार मतदाताओं और उम्मीदवारों का ध्यान सौराष्ट्र की सीटों पर ज्यादा रहता है। हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी के मैदान में आने से भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बदल गए हैं। 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन का असर 2017 के चुनाव में देखने को मिला था। भारतीय जनता पार्टी को पाटीदार वोटरों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ था। इस वजह से सौराष्ट्र की 54 सीटों में से 30 सीटें कांग्रेस के खाते में चली गईं थी, जबकि 23 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। एक सीट पर एनसीपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की।

भाजपा-कांग्रेस के वोट शेयर को प्रभावित करेगी AAP 

भारतीय जनता पार्टी सौराष्ट्र की सभी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश कर रही है। भाजपा इस चुनाव में सौराष्ट्र से ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है। जबकि कांग्रेस पिछले चुनाव में जिस तरह का प्रदर्शन किया था, उसे बरकरार रखने की कोशिश कर रही है। हालांकि, सौराष्ट्र में आम आदमी पार्टी दोनों पार्टियों के लिए सिरदर्द बन सकती है। आम आदमी पार्टी की दीवानगी ग्रामीण इलाकों में भी खूब देखी जा रही है, जिसका सीधा असर प्रमुख और सदियों पुराने दोनों राजनीतिक दलों पर पड़ सकता है। आप इन दोनों पार्टियों के वोट शेयर को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकते हैं।


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