दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या के मामले में कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला
Life Imprisonment. कोर्ट ने फांसी की सजा को 30 वर्ष के कारावास में तब्दील करते हुए कहा है कि राज्य या केंद्र सरकार इस सजा को कम नहीं कर सकेगी।
अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात हाईकोर्ट की खंडपीठ ने फांसी की सजा को 30 वर्ष के कारावास में तब्दील करते हुए कहा है कि राज्य या केंद्र सरकार इस सजा को कम नहीं कर सकेगी। कच्छ जिले की रापर तहसील में छह वर्ष की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के बाद अभियुक्त देवाधना कोली को फांसी की सजा हुई थी।
हाईकोर्ट के जस्टिस वीबी मायाणी और हर्षा देवाणी की खंडपीठ ने यह फैसला दिया है। रापर तहसील के गांव में 15 जून, 2015 को यह घटना हुई थी। यहां तीन-चार बालिकाएं खेत में नहाने गई थीं। पीड़ित बालिका छह वर्ष की थी। बालिकाओं में वह सबसे छोटी थी। अभियुक्त देवा कोली पीड़िता का अपहरण का फरार हो गया था। अन्य बालिकाओं ने पीड़िता के परिवार को घटना की जानकारी दी थी। तलाश के बाद पीड़िता का शव बरामद हुआ था।
इस मामले में पुलिस ने पास के गांव के देवा कोली को गिरफ्तार किया था। जांच से पता चला था कि आरोपित शातिर अपराधी था। अंजार कोर्ट के एडिशनल सेशन जज एसडी पाण्डेय ने इस मामले में फांसी की सजा दी थी। अभियुक्त ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फांसी की सजा रद करते हुए अभियुक्त को 30 साल की सजा का आदेश दिया।