सवालों से बचने को सरकार ने सत्र खिसकाया : राहुल
गुजरात में राहुल गांधी ने बुधवार को सौराष्ट्र के सावरकुंडला में कहा कि गुजरात के विकास का लाभ 5-10 उद्योगपतियों को ही मिला है।
अहमदाबाद, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। नोटबंदी, जीएसटी के बाद राफेल डील पर भी सवाल उठाते हुए राहुल ने कहा कि संसद में जवाब देने से बचने के लिए सरकार ने शीतकालीन संसद सत्र को ही खिसका दिया। गुजरात में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण पर भी सरकार को घेरने का प्रयास किया।
गुजरात में राहुल गांधी ने बुधवार को सौराष्ट्र के सावरकुंडला में कहा कि गुजरात के विकास का लाभ 5-10 उद्योगपतियों को ही मिला है। मुद्रा में राज्य सरकार ने एक ही औद्योगिक समूह को 45 हजार हेक्टेयर जमीन एक रुपये प्रति मीटर के दाम पर दे दी। बाद में वही जमीन उस उद्योगपति ने इंडियन ऑयल आदि को 2 से 5 हजार प्रति वर्गमीटर से बेच दी। राज्य की शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं का भी निजीकरण कर दिया जिससे गरीब के लिए ना शिक्षा आसान रही और ना ही स्वास्थ्य सेवा।
राफेल डील पर भी राहुल ने सवाल उठाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने फ्रांस जाकर डील में बदलाव कर दिया जिससे सरकारी कंपनी के बजाए राफेल का ठेका अंबानी परिवार की ऐसी कंपनी को मिल गया जिस पर 45 हजार करोड़ का कर्ज है। इन सब सवालों से बचने के लिए ही केंद्र सरकार ने अब संसद के सत्र को भी आगे बढ़ा दिया है।
कैबिनेट कमेटी और मेरी सलाह पर आगे बढ़ाया गया संसद सत्र: महाजन
संसद का शीतकालीन सत्र कैबिनेट कमेटी और मेरी सलाह के बाद आगे बढ़ाया गया है। पहले भी कई बार सत्र की तारीख आगे बढ़ाई जा चुकी है। इस पर इतना हंगामा करने की जरू रत नहीं है। संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से पांच जनवरी के बीच होगा। यह बात लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बुधवार को इंदौर में कही। वह नगर निगम द्वारा शहर की सफाई और नदी संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यो के निरीक्षण के दौरान पत्रकारों से चर्चा में बोल रही थीं।
विपक्ष द्वारा संसद सत्र गुजरात चुनाव के बाद कराने संबंधी बात पर स्पीकर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सत्र को आगे बढ़ाने के कुछ जरू री कारण हैं। फिलहाल सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हैं। ऐसे में सत्र के दौरान हंगामा होता, जिससे समय बर्बाद होता और कोई हल नहीं निकलता। ऐसी स्थिति में सत्र आगे बढ़ाना ही उचित रास्ता था। स्पीकर ने इस फैसले की पैरोकारी करते हुए कहा कि ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले कई बार सत्र आगे-पीछे होते रहे हैं।
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