तेजी से पैर पसार रहा है कांगो बुखार, इलाज कर रहे डॉक्टर-नर्स भी चपेट में; जानें किन लोगों को हो सकता है खतरा
गुजरात में कांगों बुखार अपने पैर पसारता जा रहा है इस बुखार से अब तक वहां दो महिलाअें की मौत हो चुकी है और इलाज कर रहे डॉक्टर और नर्स भी इसकी चपेट में आ गए हैं।
अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात में कांगो फीवर से दो महिलाओं की मौत हो चुकी है अन्य पांच मरीजों की पहचान से स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हुआ है। विभाग में इस बीमारी को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। कांगों फीवर की चिकित्सा कर रहे एक डॉक्टर और दो नर्स भी कांगो बुखार की चपेट में है। उन्हें भर्ती कर चिकित्सा शुरू कर दी गयी है। राज्य सरकार ने लोगों से अपील की है कि बुखार आने के साथ सिर में दर्द और उल्टी दस्त शुरू होते ही अपने निकट के सरकारी अस्पताल का संपर्क करें। सरदार वल्लभ भाई पटेल वही अस्पातल हैं कि जिसका हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकार्पण किया इस अस्पताल ने आयुष्मान भारत कार्ड धारक मरीजों के पास से चिकित्सा शुल्क वसूल करने के मामले में भी चर्चा में आयी है।
मलेरिया व डेंगू से भी लोग त्रस्त
अतिवृष्टि के कारण राज्य सहित अहमदाबाद में मच्छर जनित बीमारिया बढ़ गई हैं। मलेरिया एवं डेंगू से भी लोग त्रस्त हैं। ऐसे समय कांगो फीवर से महिला की मौत से स्वास्थय विभाग सतर्क हो गया है। यहां के सुरेन्द्रनगर जिला के लींबड़ी शहर के पास स्थित जामड़ी गाँव की 75 वर्षीय महिला की अहमदाबाद के एसवीपी अस्पताल में चिकित्सा के दौरान कल मौत हो गयी। इसके अतिरिक्त इसी गाँव की एक महिला सुरेन्द्रनगर की सी.यू. शाह अस्पातल में मौत हो गयी। महिला की चिकित्सा कर रहहे एक डॉक्टर और दो नर्स को भी कोंगो फीवर की असर के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया है। अहमदाबाद शहर के रायखड़ अस्पातल में भर्ती किया गया है।
राज्य में अतिवृष्टि के कारण जगह-जगह पानी भरा हुआ है। मच्छर जनित मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड, जैसी बीमारियां बढ़ गयी है। ऐसे हालात में सुरेन्द्रनगर जिला की 75 वर्षीय सुखीबेन करसनभाई मेणिया को 20 अगस्त को अहमदाबाद की एस.वीपी अस्पताल में भर्ती किया गया था। रविवार की रात को इसकी मृत्यु हो गयी। इसके ब्लड का सेंपल पूना स्थित नेशनल वायरोलोजी इन्स्टीट्यूट भेजा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे कोंगो फीवर था। इससे उसकी मौत हुई है। इसी जामड़ी गाँव की लीलाबेन वामाभाई सिंधव को सुरेन्द्रनगर सी.यू. शाह अस्पताल में भर्ती किया गया था। उसे डेंगू पोजीटिव था। चिकित्सा के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। रिपोर्ट से पता चला कि उसे भी कांगो फीवर था। इसके अतिरिक्त लींबड़ी के एक युवक को भी शंकास्पद कोंगों फीवर है। राज्य के स्वास्थय विभाग की एक टीम इस ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर हालात का निरीक्षण कर रही हैं। एस.वीपी. अस्पताल में कांगो बुखार ग्रस्त महिला की चिकित्सा कर रहे डॉकटर और दो नर्स को भी कोंगों फीवर की असर के कारण यहां भर्ती किया गया है।
क्या है कांगो बुखार
कांगो बुखार एक विषाणुजनित रोग है। यह वायरस पूर्वी एवं पश्चिमी अफ्रीका में बहुत पाया जाता है। यह वायरस सबसे पहले 1944 में क्रीमिया नामक देश में पहचाना गया। फिर 1969 में कांगो में रोग दिखा। तभी इसका नाम सीसीएचएफ (Crimean–Congo hemorrhagic fever ) पड़ा। फिर 2001 में पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका में भी इसका प्रकोप बढ़ा। ये रोग पशुओं के साथ रहने वालों को आसानी से हो जाता है, हिमोरल नामक परजीवी इस रोग का वाहक है। इसलिए इसकी चपेट में आने का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ एवं कुत्ता आदि जानवरों को पालते हैं या उनके संपर्क में रहते हैं।
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