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गुजरात में फिर टली बोर्ड निगम की नियुक्तियां, पालिका व पंचायत चुनाव की जीत से भाजपा उत्साहित

स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा को राज्य भर में समर्थन मिला वही सभी छह महानगर पालिका में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी अपना वर्चस्व कायम रखने में सफल रही। राज्‍य में बोर्ड तथा निगमों में राजनीतिक नियुक्तियों के फैसले को टाल दिया है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 02:55 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 02:55 PM (IST)
गुजरात सरकार के बोर्ड व निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां एक बार फिर टल गई

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात सरकार के बोर्ड व निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां एक बार फिर टल गई है। स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा को मिले जबरदस्त समर्थन के बाद अब बोर्ड निगम की नियुक्ति को सरकार बे मायने समझ रही है। गुजरात में हाल ही संपन्न हुई छह महानगरपालिका 31 जिला पंचायत, 231 तहसील पंचायत तथा 81 नगरपालिका में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भारी सफलता हासिल हुई है। 

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 मुख्यमंत्री विजय रुपाणी तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील की जोड़ी ने विधानसभा उपचुनाव के बाद स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा को जबरदस्त समर्थन दिल आया है। स्थानीय निकाय चुनाव के पहले यह माना जा रहा था कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार खाली पड़े बोर्ड निगमों के चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशकों के पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां कर सकती है। स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा को राज्य भर में समर्थन मिला वही सभी छह महानगर पालिका में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी अपना वर्चस्व कायम रखने में सफल रही। कांग्रेस कि इन चुनावों में बुरी तरह हार हुई है जिसके चलते पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा तथा नेता विपक्ष परेश धनानी ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। 

 एक और प्रदेश कांग्रेस में इस माह के अंत तक बड़े फेरबदल होने वाले हैं वही दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी कि राज्य सरकार ने अब बोर्ड तथा निगमों में राजनीतिक नियुक्तियों के फैसले को टाल दिया है। प्रदेश सरकार की सार्वजनिक इकाइयां पहले से ही नुकसान में चल रही है तथा लगभग एक साल के महामारी काल में पब्लिक सेक्टर यूनिट्स अपना खर्चा भी नहीं निकाल पा रही है। राज्य सरकार इन सार्वजनिक निगमों के खर्चों को बढ़ाने के बजाय इनके कामकाज को फिर से पटरी पर लाने की योजना पर काम कर रही है लेकिन इनमें राजनीतिक नियुक्तियों की संभावनाओं को फिलहाल सरकार अब जरूरी नहीं समझ रही है। 

 इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि गुजरात की शहरी तथा ग्रामीण जनता पूरी तरह भाजपा के साथ है तथा लगभग 25 साल के प्रदेश के सत्ता में होने के बावजूद भाजपा को भारी बहु मत के साथ इन चुनावों में जिताया है। वैसे भी प्रदेश भाजपा में हाल मुख्यमंत्री रुपाणी तथा प्रदेश अध्यक्ष पाटिल के नेतृत्व को कोई चुनौती देता नजर नहीं आ रहा है पार्टी की हाल ही हुई जीत के बाद जिला क्षत्रप भी पार्टी नेतृत्व के आगे नतमस्तक हो गए हैं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस इन चुनावों में पूरी तरह जमींदोज हो गया है इसकी वजह से सरकार अपने चिर परिचित अंदाज से ही आगे बढ़ेगी किस में कोई ज्यादा परिवर्तन की गुंजाइश नजर नहीं आती है। 


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