Gujarat: राजकोट और अहमदाबाद में एक माह में 196 बच्चों की मौत
Rajkot Civil Hospital. गुजरात के राजकोट व अहमदाबाद सिविल अस्पताल में भी एक माह में 196 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है।
अहमदाबाद, जेएनएन। Rajkot Civil Hospital. राजस्थान के कोटा में 110, जोधपुर में 146 और बीकानेर में 162 बच्चों की मौत के बाद गुजरात के राजकोट और अहमदाबाद सिविल अस्पताल में भी एक माह में 196 बच्चों की मौत होने का मामला सामने आया है।
इस बीच, उपमुख्यमंत्री व राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने रविवार को बच्चों की मौत होने की बात स्वीकार की और कहा कि राज्य में बाल मृत्यु दर कम होते होते 25 प्रतिशत तक है। राज्य सरकार इसमें भी कमी लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
नितिन पटेल ने बताया कि राजकोट में सिविल अस्पताल में दिसंबर में 111 और अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 85 बच्चों की मौत हो गई है। बाल मृत्यु दर बहुत ही संजीदा मामला है। हम इसे राजस्थान के परिपेक्ष्य में नहीं देख रहे हैं। गुजरात सरकार बाल मृत्युदर एवं नवजात शिशुओं की चिकित्सा सुविधा पर पहले से ही विशेष बल दे रही है। यही कारण है कि मृत्यु दर क्रमशः कम होते-होते 25 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इसे और भी कम किया जाएगा।
नितिन पटेन बताया कि राज्य के अस्पतालों में प्रति वर्ष 12 लाख बच्चे पैदा होते हैं। राज्य सरकार के प्रयासों के बाद अब 99 प्रतिशत प्रशूति अस्पतालों में होने लगी है। राज्य में 1997 में बाल मृत्युदर 62 प्रतिशत थी। सरकारी अस्पतालों में सुवाधाएं उपलब्ध करवाने के बाद 2003 में यह 57 प्रतिशत, 2007 में 52 प्रतिशत, 2013 में 36 प्रतिशत, 2017 में 30 प्रतिशत और 2019 में यह 25 प्रतिशत तक पहुंच गया है। नितिन पटेल बताया कि बच्चों व प्रसूता महिलाओं की मृत्यू दर को रोकने के लिए सरकार निजी अस्पताल के बाल चिकित्सकों, विशेषज्ञों को 49 हजार रुपये प्रति महीने अदा करती है। उन्होंने बताया कि एनेमिक, कुपोषित, न्यूमोनिया व कम वजन के कारण नजजात बच्चों की मौत होती है।
उन्होंने कहा कि राजकोट सिविल अस्पताल में नवंबर में 846 प्रसूति हुई। इनमें से 281 को एसएनसीयू में दाखिल किया गया। प्राइवेट अस्पताल से 175 बच्चें भी दाखिल किए गए। इस प्रकार कुल 456 में से 71 बच्चों की मौत हो गई । यह 5.5 प्रतिशत है। दिसंब में 804 प्रसूति में 228 को एसएनसीयू में रखा गया। प्राइवेट अस्पताल से आए 160 के साथ कुल 388 बच्चों की चिकित्सा के दौरान 11 की मौत हो गई है। वहीं, अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 85 बच्चों की मौत हुई है।
गुजरात में राजकोट सिविल अस्पताल के डीन मनीष मेहता के मुताबिक, राजकोट सिविल अस्पताल में दिसंबर में 111 बच्चों की मौत हुई है।
वहीं, अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक जीएस राठौड़ ने कहा कि दिसंबर में 455 नवजात शिशुओं को आइसीयू में भर्ती कराया गया था, जिनमें से 85 की मृत्यु हो गई।
इस बीच, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राजकोट अस्पताल में शिशुओं की मौत पर टिप्पणी देने से इन्कार कर दिया है।
2019 के आखिरी तीन महीनों में राजकोट में 269 शिशुओं की मौत
साल 2019 के आखिरी तीन महीनों में राजकोट के सरकारी अस्पताल में 269 शिशुओं की मौत हुई है। जबकि क्रमशः अक्टूबर और नवंबर में राजकोट के सिविल अस्पताल में 87 और 71 बच्चों की मौत हो गई। दिसंबर में 111 शिशुओं की मौत हुई।
अस्पताल के प्रमुख मनीष मेहता के मुताबिक, अस्पताल में इलाज के दौरान सुविधाओं की कमी के कारण बच्चों मौत हुई है। मेहता ने कहा कि हमारे पास इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।
वहीं, वडोदरा में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सरकारी अस्पताल में शिशुओं की मौत पर पत्रकारों के सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया।
गुजरात के दो सरकारी अस्पतालों में दिसंबर के दौरान 196 शिशुओं की मौत पर सीएम रूपाणी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 85 बच्चों की मौत हुई।
अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक जीएस राठौड़ ने कहा, "दिसंबर में कुल 455 बच्चों को भर्ती कराया गया था, जिनमें से 85 ने इलाज के दौरान अपनी जान गंवाई।
वहीं, राजकोट सिविल अस्पताल के प्रमुख मनीष मेहता के अनुसार अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर महीनों में 269 बच्चों की मौत हुई।
#WATCH: Gujarat Chief Minister Vijay Rupani walks away when asked about reports of deaths of infants in hospitals in Rajkot and Ahmedabad. pic.twitter.com/pzDUAI231Z — ANI (@ANI) January 5, 2020
गौरतलब है कि राजस्थान के कोटा में 110 बच्चों की मौत के बाद बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में भी दिसंबर में आइसीयू में 162 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। इस बीच, जोधपुर में भी 146 बच्चों की मौत की खबर हैं। बच्चों की मौत पर जयपुर से लेकर दिल्ली व लखनऊ तक राजनीति हो रही है। इस मामले में कांग्रेस और भाजपा-आमने सामने है।