करियर के शुरुआती दिनों में कई बार रोए थे भारतीय कप्तान, खुद किया खुलासा
भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने कहा है कि वे करियर के शुरुआती दिनों में कई बार रोया करते थे।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत के स्टार फुटबॉलर और टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने एक बड़ा खुलासा किया है। सुनील छेत्री ने बताया है कि वे कई बार करियर के शुरुआती दिनों में रो दिया करते थे। उन्होंने कहा है कि जब उनसे दबाव नहीं झेला जाता था तो वे इस खेल तक को छोड़ने के बारे में सोचने लगते थे।
सुनील छेत्री ने कहा है, "मैं कोलकाता (मोहन बगान क्लब) में खेलते हुए अपने करियर के शुरुआती दिनों में इतना दबाव में रहता था कि कई बार रोया करता था। यहां तक कि मैंने इस खेल को छोड़ने का भी मन बना लिया था।" छेत्री ने बताया कि यही कारण था कि उन्हें मदद के लिए अपने पिता को फोन करना पड़ता था जो सेना में थे।
मौजूदा भारतीय कप्तान सुनील छेत्री का पहला पेशेवर अनुबंध कोलकाता के मोहन बगान क्लब के लिए था और तब वह 17 साल के थे। उस समय पैसे भी कम मिला करते थे, लेकिन खेल में दिलचस्पी होने के कारण वे इस क्लब और इस खेल से जुड़े रहे। यही वजह है कि सुनील छेत्री दुनियाभर में नाम कमा रहे हैं।
उन्होंने अपने एक बया में कहा है, "पहला साल मेरे लिए एक युवा फुटबॉलर के तौर पर अच्छा था। मुझे मैचों में 20 या 30 मिनट का गेम टाइम मिलता था और लोग मुझे अगला बाइचुंग भूटिया कहने लगे थे। जब आप हारना शुरू कर देते हो तो भीड़ काफी उग्र हो जाती है और ऐसे ही समय में मैं रोया करता था।"
सुनील छेत्री ने आगे कहा है, "कोलकाता में हारना कोई विकल्प नहीं है। यह आसान नहीं है, काफी खिलाड़ी खेल छोड़ चुके हैं। ऐसी भी घटनाएं होती थीं जिससे मैं हिल गया था और एक बार मैंने अपने पापा को भी फोन किया था और कहा था कि मुझे नहीं लगता कि मुझे यह करना चाहिए।"