फीफा विश्व कप 2018: अपने प्रदर्शन से रूसी टीम ने जीता सभी का दिल
रूसी टीम भले ही क्वार्टर फाइनल में क्रोएशिया के हाथों पेनाल्टी शूटआउट में 3-4 से हारकर बाहर हो गई, लेकिन उसने दिखा दिया कि वह भी किसी से कम नहीं है।
योगेश शर्मा, नई दिल्ली। मेजबान हो तो रूस जैसा। दुनिया की 70वें नंबर की टीम रूस को मेजबान होने के नाते फीफा विश्व कप में खेलने का मौका मिला, लेकिन उसने इसे भुनाते हुए सभी को दिखा दिया कि उसको कम आंकना हर किसी के लिए भारी पड़ेगा।
रूसी टीम को हर कोई कमजोर मानकर चल रहा था और यह उम्मीद थी कि वह ग्रुप स्टेज से बाहर हो जाएगी, लेकिन उसकी टीम के एकजुट प्रदर्शन और उसके दर्शकों से मिले अपार समर्थन ने रूसी टीम को क्वार्टर फाइनल तक पहुंचाया। रूसी टीम भले ही क्वार्टर फाइनल में क्रोएशिया के हाथों पेनाल्टी शूटआउट में 3-4 से हारकर बाहर हो गई, लेकिन उसने दिखा दिया कि वह भी किसी से कम नहीं है।
अकीनफीव ने बचाया तो चेरीशेव ने मारा : रूसी कप्तान और गोलकीपर अकीनफीव ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया। उन्होंने अपनी टीम को कई मौकों पर गोल खाने से बचाया तो वहीं, चेरीशेव ने गोल दागकर रूस को मैच में बनाने की कोशिश की। रूसी टीम प्री-क्वार्टर फाइनल में दुनिया की 10वें नंबर की टीम स्पेन को पेनाल्टी शूटआउट में हराने में सफल हुई थी, जिसमें अकीनफीव का योगदान अहम रहा था। उन्होंने शूटआउट में स्पेनिश खिलाड़ी कोके और एस्पैस के शानदार शॉट को खराब करके टीम को क्वार्टर फाइनल में पहुंचाया था। इस मैच के शूटआउट में चेरीशेव ने भी गोल दागा था। इसके बाद क्वार्टर फाइनल में रूस और क्रोएशिया का मैच शूटआउट तक गया, लेकिन वहां भी अकीनफीव ने टीम को बाहर होने से बचाने की कोशिश की। उन्होंने शूटआउट के दौरान क्रोएशियाई खिलाड़ी कोवाकिक को गोल करने नहीं दिया, जबकि चेरीशेव ने मैच में निर्धारित समय के अंदर एक गोल किया था। चेरीशेव ने इस विश्व कप में अपनी टीम की तरफ से सबसे ज्यादा चार गोल किए थे।
कोच ने भरा जोश : रूस के इस शानदार प्रदर्शन के पीछे उनके कोच स्टानिसलाव चेरीशोव का भी योगदान रहा है। उन्होंने मैदान पर सही समय पर सही खिलाड़ी को भेजा और सटीक रणनीति से विरोधियों पर भारी पड़े। हालांकि, क्रोएशिया के खिलाफ टीम को भाग्य का साथ नहीं मिला, लेकिन टीम आखिरी समय तक मैच जीतने के लिए लड़ती रही। क्रोएशिया के खिलाफ भी जब मैच अतिरिक्त समय में चला गया तब भी कोच मैदान पर दर्शकों से खिलाडिय़ों में जोश भरने की अपील करते दिखाई दिए।
आंसुओं का सैलाब : मेजबान रूस के इस टूर्नामेंट से बाहर होने के साथ ही रूस की सड़कों पर 'रशिया-रशिया' के जोशीले नारे थम गए और स्टेडियम में आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। मैच हारने के साथ टूर्नामेंट में उम्मीदों से कहीं ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करते हुए अंतिम-आठ में पहुंचे रूस के सफर का भावुक अंत हुआ। रूसी टीम ने ट्विटर पर लिखा, 'हमारे आंखों में आंसू, लेकिन गर्व के साथ सिर उठाकर टूर्नामेंट से बाहर हो रहे हैं।
गौरवांवित होना चाहिए : रूस के पास गौरवांवित महसूस होने का पूरा कारण है। विश्व कप शुरू होने के साथ मीडिया को लग रहा था कि टूर्नामेंट में सबसे निचली रैकिंग वाली टीम किस्मत से ही कोई मैच जीतेगी, लेकिन रूस ने सबको गलत साबित किया। उसने ग्रुप स्टेज के अपने पहले मैच में सऊदी अरब को 5-0 से और दूसरे मैच में मिस्र को 3-1 से हराया। हालांकि, वह अपना तीसरा मैच उरुग्वे से 0-3 से हार गया, लेकिन अगले दौर में पहुंचने में सफल रहा। प्री-क्वार्टर फाइनल में रूस ने 1-1 से मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद सितारों से सजी और खिताब जीतने की दावेदारों में शामिल स्पेन को पेनाल्टी शूटआउट में 4-3 से हराकर पूरी दुनिया को चौंका दिया।
इस बार नहीं चमकी किस्मत : क्रोएशिया के खिलाफ मैच में भी रूस ने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की, लेकिन इस बार किस्मत उसके साथ नहीं थी और वह भले ही मैच हार गया, लेकिन देश और दुनिया के करोड़ों फुटबॉल प्रेमियों का दिल जीतने में सफल रहा।
मीडिया में भी छाई रूसी टीम : रूस के खेल को सलाम करते हुए लोकप्रिय स्थानीय अखबार 'स्पोर्ट एक्सप्रेस' ने अपनी खबर के शीर्षक में लिखा, 'हमारे दिलों की विजेता। अखबार ने इसके बाद उसकी तारीफ करते हुए लिखा, 'रूस को पता है कि फुटबॉल कैसे खेलते हैं।