मैनचेस्टर युनाइटेड और इंग्लैंड के लिए खेलना सपना सच होने जैसा : मार्कस रशफोर्ड
इस आक्रामक खिलाड़ी ने अभी से ही स्टार बनने के संकेत दे दिए हैं।
मार्कस रशफोर्ड की उम्र महज 21 साल है, लेकिन अभी से ही वह मैनचेस्टर युनाइटेड और इंग्लैंड के लिए अहम खिलाड़ी बन चुके हैं। इस आक्रामक खिलाड़ी ने अभी से ही स्टार बनने के संकेत दे दिए हैं। साथ ही वह कड़ी मेहनत से भी पीछे नहीं हटते। उन्होंने अपने करियर, प्रेरणादायक परिवार और प्रीमियर लीग व अंतरराष्ट्रीय सत्र की उम्मीदों के बारे में बात की।
-नए अनुबंध के हस्ताक्षर के पीछे क्या कारण रहे?
--यह मेरा क्लब है। मैनचेस्टर मेरा घर है और मैनचेस्टर युनाइटेड मेरी टीम है, तो भला मैं यहीं क्यों नहीं रह सकता? नए अनुबंध पर हस्ताक्षर को लेकर मुझे गर्व है। मैं यहां खुद को लंबे समय के लिए देखना चाहता हूं क्योंकि मुझे यहां काफी कुछ हासिल करना है।
-पुर्तगाल के लिए नेशंस लीग फाइनल्स खेलने का अनुभव कैसा रहा?
--यह एक और शानदार अनुभव था। हॉलैंड के खिलाफ पेनाल्टी में स्कोर करके मुझे बड़ी खुशी हुई, लेकिन सेमीफाइनल में एक्स्ट्रा टाइम में हारने से बहुत निराशा हुई। मगर इससे हमारे आगे बढ़ने का सफर बाधित नहीं हुआ है। मुझे इंग्लैंड की टीम के साथ ट्रेनिंग करने में मजा आ रहा है और निश्चित तौर पर इंग्लैंड की टीम के लिए खेलना गर्व की बात है। पुर्तगाल में रहने पर मुझे काफी कुछ सीखने को मिला और अब हमारा फोकस यूरो कप है। हमें विश्वास है कि हम अच्छा करेंगे।
-मैनचेस्टर युनाइटेड और इंग्लैंड के लिए खेलने का दबाव कैसा रहता है?
--मुझे हमेशा दबाव लेना पसंद है। मैं भाग्यशाली हूं कि मैं ऐसी स्थिति में हूं, जहां इसका फायदा उठा सकता हूं। मैं लंबे समय से फुटबॉल खेल रहा हूं। युनाइटेड और इंग्लैंड के लिए खेलना सपने के सच होने जैसा है। मैं इसे बोझ की तरह नहीं देखता, लेकिन कुछ दबाव तो झेलना पड़ता है और मैं इससे खुश हूं।
-आपने फुटबॉल खेलना कब शुरू किया था और कब से आप फुटबॉलर बनना चाहते थे?
--बहुत ही छोटी उम्र से। मेरा भाई अपने दोस्तों के साथ खेला करता था और मैं हमेशा उनके साथ खेलना चाहता था। मुझे याद है कि चार साल की उम्र में मैं स्कूल की टीम में खेला करता था। जब मैंने संडे लीग टीम के लिए खेलना शुरू किया, तब भी मेरी उम्र काफी कम थी और मुझे अपनी जगह बनानी पड़ी। मैं और मेरा भाई हर रोज खेला करते थे और खुद भी काफी ट्रेनिंग करते थे। कभी-कभी हम ट्रैक पर जाकर एथलीटों की तरह लंबी दूरी की दौड़ लगाते थे। इसके बाद लांग जंप करते थे। सब कुछ हमारे लिए एक प्रतिस्पर्धा थी और अब भी इसमें बदलाव नहीं हुआ है। मैं बॉल पर अपना नाम लिखकर रखता था और अगर मुझसे यह गुम हो जाती थी तो बहुत दुख होता था। मैं हमेशा इसे अपने पास रखता था।
-महज 12 साल की उम्र में जेसी लिंगार्ड और पॉल पोग्बा जैसे युनाइटेड खिलाडि़यों के साथ ट्रेनिंग करना कैसा लगा था?
--12 साल की उम्र में अंडर-18 में खेलना सच में बड़ा कदम था। जो मैंने उनसे सीखा, उसे मैंने अपनी उम्र के खिलाडि़यों के साथ साझा किया। उन्होंने अपने कौशल को मुझसे साझा किया और मैंने इसे अपनी उम्र के खिलाडि़यों से बांटा। यह मेरे करियर में बड़ा बदलाव लेकर आया था। जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मेरी ट्रेनिंग और विकास सब अंडर-18 खिलाडि़यों के साथ हुआ। मुझे लगता है कि मैच में स्थानापन्न खिलाड़ी बनकर जितना मैंने नहीं सीखा, उससे ज्यादा मैंने उनके साथ ट्रेनिंग के दौरान सीखा।
-पहले मैनचेस्टर युनाइटेड और फिर इंग्लैंड के लिए पहले मैच का अनुभव कैसा था?
--यह सब बहुत ही रोमांचक था। इस पर दोनों ही टीमों के लिए अपने पहले ही मैच में गोल करना और भी खास था। जो चीज पहली बार होती है, वो फिर कभी नहीं होती। इसलिए आपको यह महसूस होना चाहिए कि आप भाग्यशाली हैं और इसका लुत्फ उठाना चाहिए। इसके बाद रूस में हुआ विश्व कप आया, जिसका सपना मैं पांच साल की उम्र से देखता था। आप इसे एक सामान्य मैच की तरह लेने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह समझना भी अहम है कि यह खास मौके हैं। मैं अपने सफर का लुत्फ उठा रहा हूं और मुझे पता है कि अभी लंबा रास्ता तय करना है।
-अगले सत्र में खिलाड़ी के तौर पर सफल होने के लिए आपको क्या करना है?
--मुझ जैसे खिलाड़ी के लिए गोल करना या उसमें मदद करना ही सबसे अहम है। इसकी कोई सीमा नहीं है। मुझे बस मौके का पूरा फायदा उठाना है और मुझे पता है कि इसके लिए मुझे अच्छे से सुनना, समझना और कड़ी मेहनत करनी होगी।