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फीफा विश्व कप 2018: एक के बाद एक पेनाल्टी शूटआउट खेलना काफी मुश्किल

एक के बाद एक पेनल्टी शूटआउट खेलना किसी भी टीम के लिए मुश्किल होता है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 07:34 PM (IST)
फीफा विश्व कप 2018: एक के बाद एक पेनाल्टी शूटआउट खेलना काफी मुश्किल
फीफा विश्व कप 2018: एक के बाद एक पेनाल्टी शूटआउट खेलना काफी मुश्किल

डिएग मेराडोना का कॉलम

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एक के बाद एक टाई ब्रेकर का सामना करने से होने वाले मानसिक तनाव को झेलना काफी मुश्किल है। मैं 1990 के अपने अनुभव से यह बात कह सकता हूं। जब अर्जेंटीना ने यूगोस्लाविया को क्वार्टर फाइनल में और इटली को सेमीफाइनल में पेनाल्टी शूटआउट में हराया, तब मैं कप्तान था। क्रोएशिया ने भी इसी का सामना किया है। हालांकि उन्हें यह थोड़ी जल्दी ही झेलना पड़ा। नॉकआउट मैचों में 240 मिनट खेलना और उसके बाद शूटआउट का तनाव झेलना बहुत ही भारी है। मुझे याद है कि 1990 में हमने इसका असर महसूस किया था। हमने कोशिश की और प्रशंसकों को याद होगा कि हमें आखिरकार पेनल्टी में हार झेलनी पड़ी। हालांकि इस दौरान हमारे दो खिलाडिय़ों को लाल कार्ड भी दिखाया गया था।

मैं इसलिए यह बता रहा हूं क्योंकि क्रोएएशिया के पास इन सबसे उबरने और खुद को विश्व कप सेमीफाइनल के लिए फिर से तरोताजा करने के लिए महज तीन दिन ही मिले हैं। मेरा मन गोलकीपर डेनिजेल सुबासिच को लेकर थोड़ा चिंतित है। सर्गियो गोयाचेहा की तरह उन्होंने भी अपनी टीम को टाई ब्रेकर के दौरान बचाया। रूस के खिलाफ दूसरे हाफ में चोटिल होने के बावजूद उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाया और अंतिम क्षणों में एक शॉट बचाया। उनके लिए इस तरह का प्रदर्शन दोहराना काफी मुश्किल होगा मगर उनके पास कोई विकल्प नहीं है। फाइनल के इतना करीब आने के बाद कोई भी हारना नहीं चाहता है। जाटको डालिक की टीम जीत के लिए बेताब होगी। दूसरी तरफ गेरेथ साउथगेट की टीम काफी तरोताजा महसूस कर रही होगी क्योंकि उन्होंने 90 मिनट में ही क्वार्टर फाइनल जीत लिया था। हालांकि इससे पहले उन्हें भी पेनाल्टी शूटआउट तक जाना पड़ा।

इन दोनों टीमों के अंतिम चार तक पहुंचने के पैटर्न को देखें तो इंग्लैंड के अधिकतर गोल योजनाबद्ध तरीके से आए। वे गेंद को तेजी से बॉक्स में ले जाते हैं और हेडर से अंजाम तक पहुंचा रहे हैं। इस तरह से गोल करने वालों में सिर्फ हैरी केन ही नहीं हैं। क्रोएशिया इस तरह के हमलों को रोकने में मुश्किलें आई हैं और कई गोल हेडर के जरिये खाए हैं। पिछले मैच में रूस के हेडर से ही मैच पेनाल्टी शूटआउट तक खिंचा था। यह एक चिंता की बात है। हालांकि अभी तक वे मैच हारे नहीं है, यह अच्छा आंकड़ा है। हालांकि अब हार से आप बाहर हो जाएंगे। ऐसे में सतर्क रहना दोनों टीमों के लिए अहम होगा।

क्रोएशिया मूव बनाने में थोड़ा ज्यादा समय लेता है। लुका मॉड्रिक के नेतृत्व में उनके मिडफील्डर गेंद को अपने पास ही रखते हैं मगर गेंद को आगे ले जाकर मौका बनाने के मामले में वे उतने अच्छे नहीं दिखते हैं। इस क्षेत्र में इंग्लैंड ज्यादा मजबूत दिख रहा है। वे तेजी से मूव बनाते हुए और बहुत ही कम पास के साथ स्ट्राइकिंग जोन तक पहुंचते हैं। बॉक्स में लंबे कद के खिलाडिय़ों की वजह से पिछले मैच में उन्हें आसानी हुई। हालांकि मुझे क्रोएशिया के डिफेंस का तरीका पसंद है। वे मजबूत फाइटर हैं और आप उनके खेल और बॉडी लैंग्वेज में सकारात्मकता और प्रतिबद्धता देख सकते हैं। उनके पास अच्छे डिफेंडर्स हैं, जिन पर काफी कुछ निर्भर है। पोजीशन को लेकर अनुशासित खिलाड़ी बेसिक्स में काफी मजबूत दिख रहे हैं और वे संगठित भी हैं। मैं जानता हूं कि विश्व कप के इस चरण में भविष्यवाणी न करना ही बेहतर विकल्प है मगर इस मैच से जुड़े फैक्टर और खिलाडिय़ों को देखते हुए मैं यही कहूंगा कि क्रोएशिया की दबाव झेलने की क्षमता की कड़ी परीक्षा है।


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