बेंच पर बैठा है भविष्य का मेसी, क्या अब अपनी ये भूल सुधारेगा अर्जेंटीना?
अर्जेंटीना को प्री-क्वार्टर फाइनल में फ्रांस जैसी युवा और मजबूत टीम से खेलना है।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। मौजूदा विश्व कप में अर्जेंटीना का हाल किसी से छुपा नहीं है। गिरते-पड़ते दो बार की विश्व चैंपियन टीम प्री-क्वार्टर फाइनल में तो पहुंच चुकी है लेकिन इस टीम की आगे की राह और कोच जॉर्ज साम्पोली की रणनीति किसी को समझ में नहीं आ रही है। हालात ऐसे हैं कि साम्पोली को अपनी सर्वश्रेष्ठ अंतिम-11 के बारे में भी पता नहीं है। मैच दर मैच बदलाव हो रहे हैं लेकिन नतीजे कुछ ज्यादा सुखद नहीं रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल मौजूदा समय में अर्जेटीना के दूसरे सबसे काबिल खिलाड़ी और भविष्य के मेसी कहे जाने वाले पॉलो डायबाला को लगातार बेंच पर बैठाने को लेकर उठ रहा है।
डायबाला पर हिंगुएन को तरजीह
नाइजीरिया के खिलाफ अर्जेटीना को अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम उतारनी थी क्योंकि वहां सिर्फ जीत से बात नहीं बनने वाली थी। साम्पोली ने मुकाबले में गोंजालो हिंगुएन को मैच में उतारा जिनकी टीम उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं। एंजेल डि मारियो को भी शुरुआती लाइन-अप मे शामिल किया गया। टीम में 24 वर्षीय डायबाला जैसे बेहतरीन खिलाड़ी के होने के बावजूद मैक्सिमिलानो मेजो और इंजो पेरेज से साम्पोली द्वारा शुरुआत कराना किसी को समझ से परे रहा।
इतिहास गवाह है
अर्जेंटीना के इतिहास के पन्नों को टटोलें तो 1978 का विश्व कप याद आता है जब तत्कालीन कोच सीजर लुइस मेनोती ने डिएगो मेराडोना जैसे उभरते खिलाड़ी को विश्व कप की टीम में शामिल नहीं किया था। विश्व कप से एक साल पहले मेट्रोपोलिटानो चैंपियनशिप में अर्जेंटीना को शुरुआती 13 मुकाबलों में से केवल चार में जीत हासिल हुई थी। उस समय अर्जेंटीनी टीम में मेराडोना भी शामिल थे जिनकी उम्र महज 16 साल की थी। वह अर्जेंटीना के लिए जूनियर स्तर पर 49 मुकाबलों में 19 गोल कर चुके थे और राष्ट्रीय टीम का दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन इसके बावजूद कोच ने मेराडोना को टीम से बाहर बैठाया।
तब टीम में शामिल किए गए केंपेस, लुक्यू और बार्तोनी ने अर्जेंटीना के लिए आखिरी चार मैचों में 11 गोल किए जिससे कोच के फैसले पर कोई सवाल नहीं खड़े किए गए लेकिन मौजूदा कोच साम्पोली के लिए डायबाला के बाहर बैठने को लेकर कोई पुख्ता वजह नहीं है और ना ही इसका जवाब है कि उन्होंने डायबाला पर जिन्हें तरजीह दी वे क्या कर पाए हैं।
ये कैसा मौका
2018 विश्व कप में डायबाला को क्रोएशिया के खिलाफ 0-3 की हार वाले मुकाबले में साम्पोली ने दूसरे हाफ (68वें मिनट) में मैदान पर उतारा था लेकिन फिर दूसरे ही मुकाबले में उन्हें मैदान से बाहर बैठाना सबको हैरान करता है। डायबाला को उनके तेज और तकनीकी रूप से दक्ष खेल के लिए जाना जाता है। विश्व कप जैसे बड़े आयोजन में वह टीम के लिए एक आधार बन सकते थे। वक्त अभी भी नहीं बदला। अर्जेंटीना को प्री-क्वार्टर फाइनल में फ्रांस जैसी युवा और मजबूत टीम से खेलना है जहां डायबाला की मौजूदगी टीम में ताकत भर सकती है।