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फीफा विश्व कप: 1950 विश्व कप में जूते ने छीना था भारत का सपना

1950 का विश्व कप दो खास बातों के लिए जाना जाता है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 07:32 PM (IST)Updated: Wed, 30 May 2018 12:33 PM (IST)
फीफा विश्व कप: 1950 विश्व कप में जूते ने छीना था भारत का सपना

नई दिल्ली। 24 जून से 16 जुलाई तक ब्राजील में हुआ 1950 का विश्व कप दो खास बातों के लिए जाना जाता है। एक तो विश्व की 12 वर्षो के बाद वापसी हो रही थी और दूसरा इसमें भारत का विश्व कप खेलने का सपना पूरा नहीं हो सका। दूसरे विश्व युद्ध के कारण 1938 के बाद से विश्व कप का आयोजन नहीं हो सका और फीफा ने 1950 में फुटबॉल के इस महाकुंभ की वापसी कराई। वहीं, सबसे चर्चित इस विश्व कप में भारत को पहले सीधे क्वालीफाई मिला, लेकिन उसे सिर्फ जूते नहीं होने के कारण इससे अपना नाम वापस लेना पड़ा। इसके बाद से भारत अब तक विश्व कप में अपना पहला मैच खेलने का सपना पूरा नहीं कर सका। दूसरे विश्व युद्ध के कारण फीफा को 1938, 1942 और 1946 विश्व को रद करना पड़ा था। हालांकि, ब्राजील ने इस टूर्नामेंट का प्रचार करने के लिए अपने देश में ब्राजीलियन स्टैंप जारी किया था। 

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नंगे पैर खेलते थे खिलाड़ी : 1948 के ओलंपिक खेलों में भारत के खिलाडि़यों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से विश्व के खेलप्रेमियों को अपना मुरीद बनाया था। उस दौरान कई भारतीय खिलाड़ी नंगे पैर या मोजे में खेलते हुए नजर आए थे। इस बात ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह पहला मौका था जब स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला था। भारत के खिलाड़ी पहले से ही ओलंपिक में नंगे पैर खेलते नजर आए थे तो फीफा ने भारतीय टीम को आगाह करते हुए कह दिया कि अगर वे टूर्नामेंट में खेलना चाहते हैं तो उन्हें जूते पहनने होंगे। एशिया से एक ही टीम चुनी जानी थी और फिलीपींस, इंडोनेशिया और बर्मा ने क्वालीफिकेशन राउंड के पहले ही अपना नाम वापस ले लिया। इस तरह भारत को एशिया महाद्वीप की तरफ से एकमात्र टीम के रूप में अपने आप फीफा में शामिल होने के लिए जगह मिल गई।

उरुग्वे का डबल खिताब : 23 दिनों तक चले इस टूर्नामेंट के 22 मैच छह शहरों में आयोजित हुए थे। इस विश्व कप के विजेता का चयन चार टीमों के फाइनल ग्रुप से हुआ था जबकि यह केवल एकमात्र टूर्नामेंट था जिसका फाइनल एक मैच से नहीं हुआ। हालांकि, जर्मनी और जापान को विश्व कप क्वालीफिकेशन के लिए फीफा ने अनुमति नहीं दी और इसके साथ ही कई टीमों ने हिस्सा नहीं लिया। उरुग्वे ने फाइनल ग्रुप के पहले मैच में स्पेन से मुकाबला 2-2 से ड्रॉ खेला था, जबकि उसने स्वीडन को 3-2 से मात दी। फिर आखिरी मैच में उरुग्वे ने ब्राजील को 2-1 हराकर दूसरी बार खिताब अपने नाम किया। विश्व कप का पहला विजेता उरुग्वे ही था। ब्राजील उपविजेता रहा और तीसरे स्थान पर स्वीडन, जबकि चौथे पर स्पेन की टीम रही।

नंबर गेम : 

-16 टीमों ने विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया था, लेकिन तीन टीमें इटली, तुर्की, स्कॉटलैंड के हटने से सिर्फ 13 टीमें ही खेल पाई

-88 गोल कुल टूर्नामेंट में सभी टीमों ने मिलकर दागे, जिसमें प्रत्येक मैच में औसतन चार गोल हुए

-08 सर्वाधिक गोल ब्राजील के अडेमीर मार्कस ने टूर्नामेंट में किए


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