मोहन बगान और एटीके का हुआ ऐतिहासिक विलय, 'एटीके मोहन बगान एफसी' के नाम से होगी नई शुरुआत
भारतीय फुटबाल जगत में यह ऐतिहासिक विलय ऐसे समय हुआ है जब दोनों अपने पूरे शबाब में थे।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। भारतीय फुटबॉल के 'बड़े मियां' और 'छोटे मियां' अब साथ मिलकर नई इबारत लिखेंगे। 131 साल पुराने मोहन बगान और महज छह साल की उम्र वाले एटीके ने 'एटीके मोहन बगान एफसी' के रूप में नया अवतार लिया है। भारतीय फुटबाल जगत में यह ऐतिहासिक विलय ऐसे समय हुआ है, जब दोनों अपने पूरे शबाब में थे। मोहन बगान ने हाल में पांचवीं बार राष्ट्रीय लीग पर कब्जा जमाया तो एटीके ने तीसरी बार आइएसएल की ट्रॉफी अपने नाम की। दोनों टीमें अब एक होकर नया सफर शुरू करने को तैयार हैं। नए क्लब को एटीके मोहन बगान प्राइवेट लिमिटेड के तौर पर पंजीकृत कराया गया है। इस कंपनी के निदेशक मंडल में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व बीसीसीआइ के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली भी शामिल हैं।
इसके प्रधान मालिक डा. संजीव गोयनका ने बताया-'मोहन बगान बचपन से ही मेरे दिल के बेहद करीब रहा है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे इस विरासती फुटबॉल क्लब का सर्वोत्तम फुटबॉल देखने का सुअवसर मिला है।' भारतीय फुटबॉल पर नजर रखने वाले इसे संजीव गोयनका का 'मास्टर स्ट्रोक' बता रहे हैं। गोयनका आइएसएल की टीम एटीके के भी मालिक थे। उन्होंने यह कदम उठाकर एक झटके में मोहन बगान के सारे समर्थक अपनी ओर कर लिए हैं। यही वजह है कि मोहन बगान की विरासत को बरकरार रखते हुए उसकी जर्सी के हरे और मैरून रंग को बरकरार रखा गया है। नई टीम के लोगों में मोहनबगान का नौका वाला ही चित्र है यानी नए क्लब में भी मोहन बगान को ही ज्यादा तरजीह दी गई है।
कंपनी के निदेशक सृंजय बोस ने कहा-' हम खुश हैं कि मोहन बगान की जर्सी के रंग को बरकरार रखा गया है।' सौरव गांगुली ने कहा-'मुझे उम्मीद है कि एटीके और मोहन बगान साथ मिलकर नया इतिहास रचेंगे।' गौरतलब है कि इस साल जनवरी में दोनों टीमों के विलय की घोषणा की गई थी और एक जून को इसके मूर्त रूप लेने की बात थी लेकिन लॉकडाउन के कारण इसमें थोड़ा विलंब हुआ। गोयनका ने कहा-'हमारा लक्ष्य एटीके मोहन बगान को विश्व स्तरीय फुटबॉल टीम में तब्दील करना है। बंगाल में एक विश्व स्तरीय फुटबॉल अकादमी का भी निर्माण किया जाएगा ताकि स्थानीय प्रतिभाओं को तलाश कर बंगाल को भारतीय फुटबॉल के पावरहाउस में बदला जा सके।'