...और इतिहास हार गया, पचा नहीं पांच बार की विश्व चैंपियन का इस तरह से विदा होना
ब्राजील का विश्व कप से बाहर होना फैंस को मायूस कर गया।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। सम्मान व मर्यादा के बीच एक महीन रेखा होती है और बेल्जियम के खिलाडिय़ों व सहयोगी स्टाफ ने इन दिनों मर्यादा के साथ सम्मान पाने के लिए सबकुछ किया था। निश्चित तौर पर अगर इतिहास को निहारेंगे तो ब्राजील का जादू सिर चढ़कर बोलेगा। सिर्फ जिंगा शैली और उसके खेलने का तरीका ही नहीं बल्कि इतिहास के पन्ने इस टीम को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम बनाते हैं लेकिन बेल्जियम के खिलाडिय़ों ने उसकी सर्वश्रेष्ठता को चुनौती ही नहीं दी बल्कि उसे पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
पीली जर्सी, नीले शॉट्र्स और सफेद मोजे सिर्फ इनकी पहचान नहीं हैं बल्कि ये इतिहास की सर्वश्रेष्ठ टीम को दर्शाते हैं। जब आप पांच बार विश्व कप विजेता होने की बात के साथ पेले, रोनाल्डो, रोनाल्डीन्हो, जेरजीन्हो ओर रोमारियो जैसे नामों को याद करते हैं तो इस टीम का फीफा क्वार्टर फाइनल में हारना और भी दुखदायक हो जाता है। ये सिर्फ हर चार साल में होने वाले फीफा महाकुंभ में उभरने वाले नाम नहीं हैं, बल्कि लाखों बचपन को दिशा देने वाले आदर्श हैं। इस विश्व कप ने नेमार का जादू भले ही ढंग से न देखा हो लेकिन जब हम पेले, रोनाल्डो, रोमारियो और जेरजीन्हो के गोलों और उनके द्वारा जीती गई विश्व कप ट्रॉफियों को याद करते हैं तो उनकी महानता की कहानियां दिलो दिमाग में कौंधने लगती हैं। आप ब्राजील के प्रशंसक हों या न हों लेकिन वो औरों से अलग है। ब्राजील विशेष है। बेल्जियम के कोच रॉबर्टो मार्टिनेज का ब्राजील को हराने के बाद यह कहना सही है कि इस जीत और हार का अवचेतन की गहराइयों तक असर पड़ेगा। जिन्होंने इस टीम को हराया है वह वाकई में काबिल हैं और उनमें भी दुनिया के लाखों लोगों को प्रभावित करने की क्षमता है।
ब्राजील की जर्सी पर पांच बार चैंपियन होने का तमगा लगा हुआ है इस बार जिन्होंने उसको पहना वे उसे उसकी ऊंचाइयों तक नहीं ले जा पाए। पॉलिन्हो, कॉटिन्हो, नेमार, जीजस और सिल्वा...ऐसे कई नाम हैं जिनसे उम्मीद थी कि वे सबसे ज्यादा विश्व खिताब जीतने वाली टीम के माथे पर एक और तमगा जोड़ेंगे लेकिन शनिवार को कजान एरीना में हुए मुकाबले में बेल्जियम से मिली 1-2 से हार ने इस उम्मीद को तोड़ दिया। ब्राजील को अब इसे पाने के लिए कम से कम 2022 तक का इंतजार करना होगा। ब्राजील ने आखिरी बार विश्व विजेता ट्रॉफी 2002 में उठाई थी। हालांकि इसमें एक अच्छाई भी छिपी है। इससे यह पता चलता है कि ब्राजीली टीम भले ही पांच बार की चैंपियन हो लेकिन उसे भी इस खिताब को जीतने के लिए 20-20 साल तक इंतजार करना पड़ता है।
ऐसा नहीं है कि ब्राजील के प्रशंसकों ने रूस में ही अपमान का घूंट पिया है। 2006 और 2010 में भी इस टीम का सफर रूस की तरह क्वार्टर फाइनल तक ही रहा। 2014 में अपनी सरजमीं पर यह टीम एक कदम आगे तो बढ़ी लेकिन उसके प्रशंसकों को अपने घर में ही अपमान का घूंट पीना पड़ा। ब्राजील की सेना रूस में दुनिया की नंबर दो टीम की हैसियत से आई थी लेकिन अंतिम-आठ में ही शामिल हो सकी। अगर फुटबॉल प्रेमी देश ब्राजील की बात करें तो वहां हर हार के बाद सबकुछ एक तरीके से ही घटित होता है। देश में रोष होता है, कोच को हटाया जाता है, नया कोच आता है जो टीम को अधिक लचीला और दृढ़ बनाने का वादा करता है। और ये चक्र फिर से शुरू हो जाता है। हालांकि इस बार ऐसा होगा ये मानना मुश्किल है क्योंकि इस बार ब्राजील शर्मिंदा नहीं होगा क्योंकि टीटे की टीम ने बेल्जियम के खिलाफ मैच को अतिरिक्त समय में ले जाने का भरसक प्रयास किया।
वे खुद को दुर्भाग्यशाली मान सकते हैं कि जीजस पर हुए फाउल पर उन्हें पेनाल्टी नहीं मिली। वह इस बात का दुख मना सकते हैं कि पहले हाफ में बेल्जियम के प्रयासों से ज्यादा दुर्घटना की वजह से उनकी टीम पिछड़ गई। हर हार का मतलब यह नहीं कि कुछ गलत हुआ है। ऐसा नहीं है कि 2002 के बाद की ब्राजीली टीम में कोई गड़बड़ है। ऐसा नहीं है कि नेमार कोई मरीचिका हैं, जीजस, कॉटिन्हो और डगलस कोस्टा के साथ भी ऐसा नहीं है। इन पीली जर्सी वाले खिलाडिय़ों को पता है कि ब्राजील ने पांच विश्व कप जीते हैं। वे बाकी सबसे ज्यादा जानते हैं कि उनका योगदान कुछ कम रह गया लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए ये वह देश है जो पूरी दुनिया में हर साल हजारों खिलाडिय़ों का निर्यात करता है। यह एक ऐसा स्थान है जहां फुटबॉलर बढ़ते रहेंगे। साल दर साल, दशक दर दशक यहां स्टार आते रहेंगे और इतिहास को रचते हुए अपने पूर्ववर्तियों की जगह लेते रहेंगे।