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रमजान में सजते दस्तरख्वान

सहरी, जकात और पांचों समय की नमाज के साथ ही महिलाओं पर इफ्तार की एक और जिम्मेदारी होती है रमजान माह में। जिसके लिए किचन में महिलाओं को करनी होती है कड़ी मशक्कत...

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2016 12:57 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2016 04:19 PM (IST)
रमजान में सजते दस्तरख्वान

रमजान का महीना इबादत का महीना तो माना ही जाता है, साथ ही साथ इस महीने में अहम हो जाता है इफ्तार का बंदोबस्त। दिनभर रोजा रखने के बाद अल्लाह का शुक्र मनाते हैं रोजेदार, जब उन्हें चखने को मिलता है घर का बना इफ्तार का खाना। इस खाने को और खास बनाने में अहम भूमिका तो महिलाएं ही निभाती हैं। इन दिनों हर दिन विचार करना पड़ता है कि आज इफ्तार में क्या बनाया जाए? यही वह समय होता है जब महिलाएं अपनी पाक कला का नमूना पेश करती हैं और बनाती है तरह-तरह के लज्जतदार व स्वादिष्ट पकवान।

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झटपट बने सेहतमंद खाना

40 वर्षीया शमा खान बताती हैं, ''रमजान के महीने में खजूर का अपना अलग स्थान होता है। रोजेदार पूरे दिन रोजा रखने के बाद सबसे पहले खजूर खाकर ही अपना रोजा खोलते हैं। दरअसल, खजूर खाकर रोजा खोलना सुन्नत माना जाता है। इसके बाद ही कुछ खाया-पिया जाता है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी होती है कि हम ऐसा

क्या बनाएं कि घर में सभी लोगों को इफ्तार और सहरी के दौरान सेहतमंद खाना खाने को मिले। इसके अलावा कोशिश रहती है कि जल्दी और आसानी से बनने वाला नाश्ता तैयार किया जाए। जिससे शरीर को एनर्जी और स्फूर्ति तुरंत मिल जाए और रोजेदार अपना रोजा पूरी शिद्दत से पूरा कर पाएं।''

नमाज पढऩे में छिपा है सेहत का राजहरी के समय तो जो भी मन करता है उसको खा सकते हैं लेकिन इफ्तार के दौरान रोजा खोलने के बाद घर में हम लोग सबसे पहले शर्बत या जूस ही पीते हैं। इससे जल्दी रिफ्रेश होते हैं। चीनी और पानी से खाली पेट को राहत मिलती है। इसके अलावा हम लोग खाने

में फ्रूट चाट लेते हंै। दिनभर कुछ न खाओ और फिर अचानक से हैवी डाइट लो तो शरीर को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे में ताजे फल शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं। कभी-कभी हम इफ्तार के लिए घरवालों व दोस्तों के साथ बाहर जाकर निहारी कुल्चे भी खाते हैं। शाम को दोस्तों या परिवारजनों के साथ बाहर जाना रमजान का बेस्ट पार्ट लगता है।''

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पकौडिय़ां हैं मेरी खूबी

इन दिनों कुछ नया बनाने की जद्दोजहद हर घर में आम बात होती है। बात जब रोजेदार के लिए हो तो यह बेहद अहम हो जाता है। घर की महिलाओं की जिम्मेदारी होती है कि खाना हल्का और सुपाच्य हो और इसमें वैरायटी हो तो कहना ही क्या! 26 वर्षीया सूबिया बताती हैं, ''वैसे तो अम्मी ही इफ्तार के लिए सारा कुछ बनाती हैं।

जूस हो या फ्राइड चना, चिप्स आदि सब तो बन ही जाता है पर बात जब पकौडिय़ों की आती है तो घर में सभी को मेरे हाथ की बनीं करारी पकौडिय़ों के बगैर कुछ पसंद नहीं आता। मैं भी हर दिन कुछ नया बनाने के लिए परिवार के सदस्यों की फरमाइश सुनती हूं। हर दिन अलग-अलग फिलिंग मेरी बनाई पकौडिय़ों की खासियत है। मैं कई स्वाद की पकौडिय़ां बनाती हूं।''

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