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खुशहाली की होली

होली के त्योहार पर जब रंग बरसता है तो खिले हुए दिलों में भावनाओं के रंग आपस में मिलते हुए नजर आते हैं। तनाव पर उल्लास का गुब्बारा फूल जाता है। मिश्रित भावों के बीच मनाई जाने वाली होली में हर दिल पर मस्ती छा जाती है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 19 Mar 2016 02:39 PM (IST)Updated: Sat, 19 Mar 2016 02:46 PM (IST)

होली के त्योहार पर जब रंग बरसता है तो खिले हुए दिलों में भावनाओं के रंग आपस में मिलते हुए नजर आते हैं। तनाव पर उल्लास का गुब्बारा फूल जाता है। मिश्रित भावों के बीच मनाई जाने वाली होली में हर दिल पर मस्ती छा जाती है। सच पूछिए तो होली आती ही है गीत खुशी के गाने के लिए...

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बुरा न मानो होली है... कहते हुए रंजना ने मालिनी के गालों पर गुलाल मल दिया तो मालिनी

कहां मानने वाली थीं। उन्होंने भी अपने हाथों पर चढ़े रंग को रंजना के चेहरे पर ट्रांसफर कर दिया और कसकर गले लगा लिया। रंजना भी उतनी ही गर्मजोशी से लिपट गईं। यूं लगा जैसे उनके दिल का बोझ उतर गया, वे हल्की हो गईं होली के माहौल में।

मन के मैल धुल गए रंग और पानी में। दरअसल वे पक्की व सच्ची दोस्त थीं, लेकिन बहुत दिनों से एक भ्रम के चलते दोनों के बीच दूरियां बढऩे लगी थीं। आज रंजना ने साहस किया आपस में मिल जाने का तो मालिनी ने अपने दुख के रंग पर खुशी के इस गुलाल को सहर्ष स्वीकार कर लिया। यूं लगा जैसे होली के यह रंग उनके बीच के प्रेम को फिर जगाने आए हैं।

गुम हो जाते हैं तनाव

'होली पर होने वाली गेदरिंग्स को मैं कभी मिस नहीं करती। वास्तव में होली तो सबके साथ मिलकर एंजॉय करने वाला ही फेस्टिवल है। इंडिया के अलग-अलग शहरों में रही हूं। जब उटी में रहती थी तो साउथ की हल्की

होली देखी और दिल्ली, पानीपत की सॉलिड होली भी एक्सपीरियंस की। पहले ऑर्गेनिक कलर्स के बारे में इतनी अवेयरनेस नहीं थी।

जब बच्चे थे और नॉलेज नहीं थी तब तो सिल्वर पेंट भी लगाया, लेकिन अब सबसे मिलजुल कर, अपने दोस्तों के लिए समय निकाल कर और परिवार के साथ मौज-मस्ती के बीच हर तनाव को भूलकर होली सेलिब्रेट करती हूं।' फैशन डिजाइनर मृणालिनी अपने प्रोफेशन की कड़ी मेहनत और तनाव को भूलकर होली में मौजमस्ती करती हैं। सच पूछिए तो हर कोई होली के दिन खुद को हर काम से फ्री रखना चाहता है और होली को एंजॉय करना चाहता है।

बिखर गए खुशियों के रंग

होली के दिन लोग हर कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक-दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का जो दौर चलता है तो चारों ओर खुशियों के रंग बिखर जाते हैं। सारे फेस्टिवल शौक से मनाने वाली मनीषा रायजादा होली को लेकर कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड रहती हैं। कई दिन पहले उनकी प्लानिंग शुरू हो जाती है। कहती हैं मनीषा, 'ऐसा लगता है जैसे सब कुछ बदल गया है एक दिन के लिए। सारे तनाव कहीं भाग गए हैं। बस मौज और मस्ती ही जीवन में रह गए हैं। मुझे चेहरे पर रंग लगाना पसंद नहीं। मैं अपने कजंस को लालच देती थी कि अगर मेरे चेहरे पर कलर नहीं लगाओगे तो डिनर के लिए बाहर लेकर जाऊंगी। इसके बाद भी वे लगा देते तो फिर मैं उन्हें छोड़ती नहीं।' मनीषा की बॉन्डिग काफी अच्छी है अपने कजंस के साथ और होली का त्योहार

उन्हें इसी बॉन्डिग को मजबूत करने का मौका लगता है।

पति के चेहरे पर स्माइली

'जब मैं और मेरी बहन मोना साथ रहते थे तो हम लड़ते भी और एक भी हो जाते। मैं अपनी बहन के चेहरे पर मूंछें बना देती थी। हमारी कितनी भी लड़ाई हुई हो, हम होली के दिन जमकर रंग लगाते हैं और प्यार के रंग में मस्त हो जाते हैं। जब मेरी शादी नहीं हुई थी तो सोसाइटी के दोस्तों के साथ टोली बनाकर निकलते। आपसी तकरार तो जाने कहां खो जाती।' अपनी शादी के पहले के होली के किस्से और अपनी बहन के साथ मस्ती की यादें सुनाती हुई अपूर्वा श्रीवास्तव पर होली की मस्ती छाने लगती है। वह कहती हैं, 'पहली होली तो मायके में रही और दूसरी होली पर पति से थोड़ी खटपट थी। कॉमन इश्यू पर जिठानी भी अपने पति से नाराज थीं, लेकिन हमने सोचा कि फाइटिंग पोस्टपोंड करते हैं।

पहले होली एंजॉय करते हैं और रात को ही हम दोनों ने अपने-अपने पति के चेहरे पर काजल और लाइनर से मूंछ और स्माइली बना दिए। बस फिर क्या था पुरानी लड़ाई तो खत्म हुई नहीं, नई शुरू हो गई।' फुल टू मस्ती का एक दिन होली का मतलब मस्ती, अबीर, गुलाल, गुझिया, खूब सारी छेड़-छाड़ और शरारत। मिजाज शायराना हो जाता हर किसी का होली पर। दिल खिलते ही नहीं, बल्कि गीत उगलते हैं। रंगों का यह त्योहार बताता है कि भावनाओं

के इन रंगों ने ही तो जीवन में रंग घोले हैं अन्यथा जीवन कितना बदरंग और बेनूर हो सकता था। लाल, पीले, हरे, नीले रंग मूड में रंगीनियत ला देते हैं। आस्था चोपड़ा को लोगों का यह कहना खराब लगता है कि हमें रंगों से

नफरत है। वह कहती हैं, 'जब लोग रंगों से नफरत की बात करते हैं तो मुझे अच्छा नहीं लगता। अरे, कौन सा रोज होली खेलनी है? यही एक दिन है फुल टू मस्ती का। हर गम भुलाने का, हर शिकवा मिटाने का।'

यशा माथुर


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