वामन हुए विराट
भगवान विष्णु का वामन अवतार हमें बताता है कि किसी व्यक्ति को छोटा समझकर उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। वामन द्वादशी (6 सितंबर) पर.. मान्यता है कि 24 लीलावतारों में वामन के रूप में भगवान विष्णु ने अपना पंद्रहवां अवतार राजा बलि एवं देवताओं के उद्धार हेतु भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर श्रवण नक्षत्र में लिया था। पौराणिक
भगवान विष्णु का वामन अवतार हमें बताता है कि किसी व्यक्ति को छोटा समझकर उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। वामन द्वादशी (6 सितंबर) पर..
मान्यता है कि 24 लीलावतारों में वामन के रूप में भगवान विष्णु ने अपना पंद्रहवां अवतार राजा बलि एवं देवताओं के उद्धार हेतु भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर श्रवण नक्षत्र में लिया था।
पौराणिक कथा के अनुसार, देवलोक पर राजा बलि ने आधिपत्य कर लिया। उन्होंने अपनी तपस्या से पूरे त्रिलोक पर अधिकार जमा लिया। ऐसे में भगवान विष्णु वामन अवतार में बलि की यज्ञशाला में आए और उन्होंने तीन पग पृथ्वी मांग ली। दान का वचन देने पर वामन विराट हो गए और उन्होंने पहले कदम में पूरी पृथ्वी नाप ली और दूसरे कदम में पूरा देवलोक। तीसरे कदम के लिए बलि ने अपना सिर प्रस्तुत कर दिया।
यह कथा हमें प्रेरणा प्रदान करती है कि कभी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। हमारा सामर्थ्य ही हमें बड़ा या छोटा बनाता है। देखने में यदि कोई छोटा है, तो हो सकता है कि उसके भीतर विराट सामर्थ्य हो। विज्ञान ने भी परमाणु के माध्यम से सिद्ध किया है कि जो जितना लघु है, वह उतना ही विराट है। भगवान विष्णु का वामन अवतार हमें लघुता में विराटता के सिद्धांत को समझाता है।
दार्शनिक दृष्टि से देखें तब भी हमें प्रेरणा प्राप्त होती है। इसके अनुसार, तीन पग पृथ्वी का अर्थ वास्तव में सत्व, रज और तम इन तीनों गुणों का अर्पण करना है। इसका अर्थ यह है कि हम इन तीन गुणों के माध्यम से स्वयं को समर्पित कर देते हैं। किसी कार्य में हम तभी सफलता पा सकते हैं, जब हम संपूर्ण रूप से समर्पित होते हैं।
इस प्रकार वामन अवतार हमें सदाचार और समर्पण की तो शिक्षा देता ही है, यह हमें यह भी सिखाता है कि लघु भी विराट हो सकता है।
[पं. बृज बिहारी शर्मा]