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Fact Check Story: नीरव मोदी और माल्या समेत अन्य विलफुल डिफॉल्टर्स के कर्ज को बट्टा खाते में डाले जाने की पुरानी खबर भ्रामक दावे से वायरल

नीरव मोदी और माल्या समेत अन्य विलफुल डिफॉल्टर्स के कर्ज को माफ किए जाने को लेकर एक खबर इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। लेकिन विश्‍वास न्‍यूज की जांच में इस खबर को पूरी तरह से भ्रामक पाया गया।

By Praveen Prasad SinghEdited By: Published: Wed, 11 May 2022 06:42 PM (IST)Updated: Wed, 11 May 2022 06:42 PM (IST)
Fact Check Story: नीरव मोदी और माल्या समेत अन्य विलफुल डिफॉल्टर्स के कर्ज को बट्टा खाते में डाले जाने की पुरानी खबर भ्रामक दावे से वायरल
वायरल हो रही न्यूज साल 2020 के अप्रैल महीने से संबंधित है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): सोशल मीडिया पर किसी हिंदी अखबार में प्रकाशित खबर के स्क्रीनशॉट के हवाले से दावा किया जा रहा है कि जहां गरीबों को सरकार कुछ अनाज देकर बहला रही है, वहीं बैंक ने भगोड़े नीरव मोदी, मेहुल चौकसी समेत 50 विलफुल डिफॉल्टर्स का 68 हजार करोड़ रुपये का लोन माफ कर दिया है। वायरल पोस्ट को पिछले दो तीन दिनों के बीच सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने शेयर किया है, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि यह हाल का समाचार है और बैंकों ने विलफुल डिफॉल्टर्स के कर्ज को माफ भी कर दिया है।

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विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। वायरल हो रही न्यूज साल 2020 के अप्रैल महीने से संबंधित है, जब एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी सामने आई थी कि बैंकों ने 68,607 करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टा खाते में डाल दिया है, जिसमें नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे भगोड़े कारोबारियों की तरफ से बैंकों से लिया गया लोन भी शामिल है। वायरल पोस्ट से यह भी प्रतीत हो रहा है कि लोन को माफ कर दिया गया है, जो गलत है। बट्टा खाते में डालने का मतलब होता है कि बैंक अपने बचत खाते से इन कर्जों को बाहर कर देते हैं लेकिन इन खातों से वसूली की प्रक्रिया जारी रहती है। बट्टा खाते में डाले जाने का मतलब कर्ज को माफ करना नहीं होता है।

न्यूज सर्च में हमें कई पुरानी रिपोर्ट्स मिली, जिसमें वायरल पोस्ट में साझा की गई सूचना का जिक्र है। सभी न्यूज रिपोर्ट्स अप्रैल 2020 की है। बिजनेस समाचार पोर्टल मिंट की वेबसाइट पर 28 अप्रैल 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 'आरबीआई ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए बताया है कि विलफुल डिफॉल्टर्स के करीब 68,600 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज को बट्टा खाते में डाल दिया गया है और इसमें मेहुल चौकसी, विजय माल्या की कंपनियां की तरफ से लिया गया लोन भी शामिल है।'

गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने साल 2020 में आरटीआई डालकर यह जानकारी मांगी थी।

अब तक की जांच से यह स्पष्ट है कि वायरल हो रही न्यूज हाल की नहीं, बल्कि साल 2020 में डाली गई एक आरटीआई के जवाब से सामने आई जानकारी से संबंधित है। समान दावा पहले भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसकी पड़ताल के दौरान विश्वास न्यूज ने आरबीआई के प्रवक्ता से बात की थी। उन्होंने कहा था, 'यह कहना गलत है कि आरबीआई ने कर्ज को माफ किया। आरबीआई न तो कि किसी गैर सरकारी और गैर बैंकिंग संस्थानों को कर्ज देता है और न ही उसे बट्टा खाते में डालता है। यह काम बैंकों का होता है।'

सर्च में 29 अप्रैल 2020 को हिन्दुस्तान में प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली, जिसमें आरबीआई के प्रवक्ता ने इस मामले को लेकर स्पष्टीकरण दिया है। रिपोर्ट में प्रवक्ता के हवाले से बताया गया है, 'रिजर्व बैंक की तरफ से बताया गया है कि राइट ऑफ एक बैंकों की तरफ से की जाने वाली अकाउंटिंग की प्रक्रिया होती है। जहां कर्ज को एक अलग बट्टे खाते में डाल दिया जाता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं होता है कि कर्ज की वसूली ही बंद कर दी जाती है। जैसे ही बैंक कर्ज की वसूली कर लेते हैं, वो उनके मुनाफे में दिखाई देता है। पूर्व बैंकिंग सचिव राजीव टकरू ने भी हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि रिजर्व बैंक की आरटीआई को गलत तरीके के समझकर पेश किया जा रहा है।'

तो स्पष्ट है कि राइट ऑफ या बट्टा खाते में डाले जाने का मतलब कर्ज की वसूली को बंद करना नहीं होता है। इसकी पुष्टि के लिए हमने यह चेक किया कि बैंकों ने अब तक इन भगोड़े कारोबारियों की संपत्ति से कितने कर्ज की वसूली की है। सर्च में हमें ऐसी कई न्यूज रिपोर्ट्स मिली, जिसमें बैंकों की तरफ से की गई वसूली का जिक्र है। बिजनस स्टैंडर्ड की वेबसाइट पर 23 फरवरी 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 'सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि बैंकों ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से 18,000 करोड़ रुपये की वसूली की है।'

न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 दिसंबर 2021 तक इन भगोड़े कारोबारियों से वसूली गई रकम की मात्रा 13,100 करोड़ रुपये थी।

स्पष्ट है कि बैंक लगातार ऐसे विलफुल डिफॉल्टर्स की संपत्तियों को बेचकर अपने कर्ज की वसूली कर रहे हैं और वसूली की रकम प्रत्येक आवक के बाद बढ़ती जा रही है। दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 23 फरवरी 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की 18,000 करोड़ की संपत्तियां जब्त की गईं हैं और यह रकम बैंकों को लौटाई गई है। मालूम हो कि तीनों कारोबारी बैंकों का हजारों करोड़ रुपये का कर्ज बिना चुकाए विदेश भाग गए हैं। उन्हें प्रत्यर्पित कर भारत लाने के लिए विदेशी अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह जानकारी दी। पीठ प्रिवेंशन आफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत में ऐसी करीब 200 याचिकाएं लंबित हैं।'

भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या समेत 50 विलफुल डिफॉल्टर्स के करीब 68 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को माफ किए जाने का दावा भ्रामक है। अप्रैल 2020 में एक आरटीआई के जवाब के जरिए यह जानकारी सामने आई थी कि बैंकों ने इन भगोड़े कारोबारियों समेत 50 विलफुल डिफॉल्टर्स के 68 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कर्ज की रकम को बट्टा खाते में डाल दिया था उसे राइट ऑफ कर दिया था। बट्टा खाते में डाले जाने का मतलब कर्ज की माफी नहीं होती है और फरवरी 2022 तक बैंक इसमें से करीब 18 हजार करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली भी कर चुके हैं।

विश्वास न्यूज की इस फैक्ट चेक रिपोर्ट में इस दावे की विस्तृत पड़ताल और जांच की प्रक्रिया के बारे में पढ़ा जा सकता है।

www.vishvasnews.com/politics/fact-check-an-old-news-of-writting-off-68600-cr-loans-of-wilful-defaulters-is-being-shared-with-misleading-context/


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