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फालतू ड्रामे का नहीं रहा जमाना, अब दर्शकों को चाहिए अपने बीच की कहानी

मिडिल क्लास की नब्ज़ टटोल रही हैं वेब सीरीज़। दर्शकों को मिल रही है ज़िंदगी के करीब ले जानी वाली बेहतरीन कहानियां...

By Rajat SinghEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 09:48 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 11:26 AM (IST)
फालतू ड्रामे का नहीं रहा जमाना, अब दर्शकों को चाहिए अपने बीच की कहानी
फालतू ड्रामे का नहीं रहा जमाना, अब दर्शकों को चाहिए अपने बीच की कहानी

नई दिल्ली, जेएनएन। 'बॉलीवुड में जो दिखाया जाता है, उसमें लगभग 90 फीसदी कंटेंट का वास्तविक दुनिया से लेना देना नहीं हैं। वहीं, वेब सीरीज़ के मामले यह अनुपात बिलकुल ही उल्टा है। वेब सीरीज़ असली दुनिया से कहीं ज्यादा करीब है।' कुछ ऐसा कहते हैं वेब सीरीज़ और फ़िल्मों के लेखक संजीव के झा। संजीव ने जी-5 के लिए वेब सीरीज़ बैरट हाउस और फ़िल्म जबरिया जोड़ी लिखी है।

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वहीं, हाल ही में  SEMrush ने भारत में बेव सीरीज़ के कंटेंट को लेकर स्टडी की। इस स्टडी के मुताबिक, भारतीय दर्शकों के पसंद में काफी सुधार हुआ है। वह ज्यादातर उस वेब सीरीज़ को देखना पसंद करते हैं, जिसका किरदार वास्तविक दुनिया की असली समस्याओं से जूझ रहा है। कुल मिलाकर सवाल यही है कि क्या वेब सीरीज़ ने आम आदमी की असली नब्ज़ को पकड़ लिया है?

वेब सीरीज़ में मिडिल क्लास को कहानी भी खूब दिखाई जा रही है। एक मिडिल क्लास फैमिली की अपनी आर्थिक और सामाजिक समस्याएं है। साल 2019 में आई टीवीएफ की गुल्लक में कस्बे में ख़ुशी-ख़ुशी जीते एक परिवार की कहानी दिखाई गई है। यह दिखाया गया है कि पैसों के किल्लत में रोज कि ज़िदगी कैसे चल रही है। वहीं, जूम स्टूडियोज़ की आने वाली वेब सीरीज़ हैप्पली एवर ऑफ्टर की कहानी भी कुछ ऐसी है। एक मीडिल क्लास परिवार है, जिसे डेस्टिनेशन वेडिंग करनी है। उसके सामने बजट की समस्या है।

ओटीट कंटेंट में शुद्ध भारतीय जुगाड़ की कहानी ने अपनी जगह बनाई है। कुछ सालों पहले आई 'ये मेरी फैमिली' ने 90 के दशक के उस परिवार की कहानी दिखाई, जो शायद आज का हर मिडिल क्लास युवक कभी ना कभी जिया होगा। इन कहानियों में एक किस्म का अपनापन है। हाथों में मोबाइल लिए वेब सीरीज़ देखता मिडिल क्लास दर्शक इससे खुद को आसानी से जोड़ पाता है। वहीं, मेकर्स सेंसरशिप ना होने की वजह से ऐसा बना पाते हैं। वह उन  मुद्दों को छू पाते हैं, जो सेंसरशिप की वजह से अनछुए रहे हैं।

पिछले कुछ समय से देखने को मिला है कि वेब सीरीज़ लगातार ज़िंदगी के नजदीक का कंटेंट बना रहा है। उसका क्रिमनल किसी तीसरी दुनिया नहीं आता है, बल्कि वह 'रंगबाज़' के श्रीप्रकाश शुक्ला जैसा रियल है।  इसके इतर, वह मिर्ज़ापुर के कालीन भाइया को पसंद करता है, जो उसकी भाषा बोल रहा है। वेब सीरीज़ के किरदार और कंटेंट में एक किस्म का रिएयलिस्टक सिनेमा देखने को मिल रहा है।

रोमांस का महौल भी बदला है। वेब सीरीज़ का हीरो इटली या यूरोप के गलियों में नाचते हुए प्रेम का इज़हार नहीं कर रहा है। बल्कि उसकी ज़िंदगी लिव-इन में फंसी हुई है। वह फ्लेमस के लीड किरदार रजत कि तरह किसी कोचिंग किनारे पर खड़ा होकर अपनी गर्लफैंड को निहा रहा है। कहीं, कोटा फैक्ट्री का प्यार है, जो पढ़ाई और असल जिंदगी में उलाझा है।  


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