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Kaagaz के ज़रिए निर्देशन में वापसी पर बोले सतीश कौशिक- 'निर्देशक के रूप में दोबारा जीवित हुआ'

ज़्यादातर कमर्शियल सिनेमा बनाते रहे सतीश ने काग़ज़ के रूप में इस बार एक असरदार कहानी चुनी है जिसमें मौजूदा दौर के सक्षम अभिनेता पंकज त्रिपाठी मुख्य भूमिका में हैं। सतीश इस फ़िल्म के ज़रिए निर्देशन में वापसी से ख़ुश हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 07:28 PM (IST)
सतीश कौशिक और पंकज त्रिपाठी। फोटो- पीआर

नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी सिनेमा के वेटरन एक्टर और निर्देशक सतीश कौशिक एक बार फिर निर्देशक के रूप में अपना दम-ख़म दिखाने आ रहे हैं। ज़्यादातर कमर्शियल सिनेमा बनाते रहे सतीश ने काग़ज़ के रूप में इस बार एक असरदार कहानी चुनी है, जिसमें मौजूदा दौर के सक्षम अभिनेता पंकज त्रिपाठी मुख्य भूमिका में हैं। सतीश इस फ़िल्म के ज़रिए निर्देशन में वापसी से ख़ुश हैं। ख़ास बात यह है कि इस फ़िल्म को बॉलीवुड के सबसे सफल एक्टर्स में शामिल सलमान ख़ान ने बतौर निर्माता सपोर्ट किया है, जिन्हें सतीश तेरे नाम में निर्देशित कर चुके हैं। 

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फ़िल्म के बारे में बात करते हुए कौशिक कहते हैं- "मैंने कई साल पहले लाल बिहारी मृतक के बारे में एक समाचार लेख पढ़ा था। जब मैंने उनके बारे में खोज की तो मुझे लगा कि उनकी कहानी को बताया जाना चाहिए और मैं ऐसा खुद करना चाहता था। इसलिए मैंने छह साल के अंतराल के बाद इस प्रोजेक्ट को करने का फैसला किया। समय बदल गया है और इसलिए फ़िल्म निर्माण के बहुत सारे पहलू हैं। इस फिल्म को निर्देशित करना मेरे लिए ना केवल एक कलाकार के रूप में, बल्कि एक निर्देशक के रूप में सीखने का बड़ा अनुभव था। मुझे खुशी है कि इसे प्रदर्शित करने के लिए हमें सलमान खान फिल्म्स को अपना प्रोडक्शन पार्टनर और ZEE5 मिला। मुझे यकीन है कि लोग कहानी से जुड़ेंगे और हमारे प्रयासों की सराहना करेंगे।”

कागज़ का ट्रेलर हाल ही में साझा किया गया है और ट्रेलर को सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं। फ़िल्म 7 जनवरी को ZEE5 ओरिजिनल के रूप में रिलीज़ होगी और साथ ही उत्तर प्रदेश के कुछ सिनेमाघरों में उतरेगी। पंकज त्रिपाठी ने फ़िल्म में भरत लाल मृतक की भूमिका निभायी है, वहीं सतीश कौशिक उनके वकील की महत्वपूर्ण भूमिका में नज़र आएंगे। 

काग़ज़ उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में स्थित एक सेटायरिकल फ़िल्म है। फ़िल्म की कहानी लाल बिहारी मृतक के वास्तविक जीवन की कहानी है, जिन्हें सरकारी काग़ज़ो में मृत घोषित कर दिया जाता है और फिर वो ख़ुद ज़िंदा साबित करने के लिए सिस्टम से लड़ते हैं।


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