नई दिल्ली, जेएनएन। Vadh Movie Review: 'हमने हत्या नहीं, वध किया है' ये एक लाइन ही संजय मिश्रा और नीना गुप्ता की फिल्म का पूरा सार है। एक मिडिल क्लास, दुबला- पतला, बेबस बुजुर्ग व्यक्ति है जिसके घर में चूहे को मारा नहीं जाता बल्कि पकड़ के कहीं छोड़ दिया जाता है, कि उनके हाथों कहीं हत्या न हो जाए। वो ही एक दिन एक निर्मम हत्या को अंजाम देता है। कहीं-कहीं ये फिल्म आपको 'दृश्यम' की याद दिलाएगी पर यकीन मानिए कि ये आपको उससे कहीं ज्यादा रियल और प्योर लगेगी।
कहानी
फिल्म की कहानी एक रिटायर्ड टीचर शंभुनाथ मिश्रा (संजय मिश्रा) की है जो ग्वालियर में अपनी पत्नी मंजू मिश्रा (नीना गुप्ता) के साथ रहता है। बेटे की पढ़ाई और उसके करियर के लिए उन्होंने प्रजापति पांडे (सौरभ सचदेवा) से ब्याज पर पैसे उधार लिए हैं। अपने हाथ-पैर पर खड़ा होने के बाद बेटे ने माता-पिता को किसी भी तरह की मदद करने से मना कर दिया। शंभुनाथ जी के पास बार-बार कर्ज लेने और प्रजापति पांडे से अपमानित होने के सिवा कोई चारा नहीं है।
प्रजापति पांडे भी इस दम्पति को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ता। कभी उन्हें सरेआम पीटता है तो कभी नशे की हालत में इनके घर पर लड़की लेकर आता है। इन सब से तंग आकर एक दिन शंभुनाथ मिश्रा का सब्र जवाब दे जाता है और फिर जो वो करते हैं वो आपको श्रद्धा वाकर मर्डर केस की याद दिला देगा। इस मर्डर के बाद शुरू होती है प्रजापति पांडे की असल चुनौती। तो क्या पुलिस कभी हत्यारे के पता लगा पाएगी? क्या प्रजापति पांडे और मंजू मिश्रा को जेल होगी?
एक्टिंग
गंभीर विषय पर संजय मिश्रा लाजवाब हैं, एक परेशान बुजुर्ग और हताश बाप की भूमिका में वो जबरदस्त हैं। किसी-किसी जगह अपने भाव शून्यता से वो आपको अन्दर तक दहला देंगे। नीना गुप्ता को अच्छी फिल्म मिली जिसमें वो पूरी तरह से घुल गईं। आम जिंदगी की परेशानियां और आपसी नोंकझोक आपको बहुत अपनी सी लगेगी। पति के कत्ल करने के बाद भी उसके साथ मजबूती से खड़ी रही बीवी के किरदार में नीना काफी दमदार हैं।
नीना गुप्ता के हिस्से डायलॉग्स भले ही संजय मिश्रा से कम आए पर वो अपने मौन में भी अभिनय करती हैं। सौरभ सचदेवा के किरदार से आपको नफरत हो जाएगी, अपने अभिनय से वो इतनी घृणा भर देते हैं कि देखने वाले को लगता है कि शंभुनाथ मिश्रा ने इसका वध पहले क्यों नहीं कर दिया। यहीं एक कलाकार के तौर पर उनकी जीता है। मानव विज पुलिस अफसर के किरदार में प्रभावी लग रहे हैं। बाकी कलाकारों ने भी ठीक अभिनय किया है।
निर्देशन
फिल्म की कहानी ग्वालियर की है, मध्य प्रदेश का एक शहर जिसकी झलक आपको पूरी फिल्म में देखने को मिलेगी। निर्देशक, लेखक की जोड़ी जसपाल सिंह संधू और राजीव बरनवाल ने फिल्म को रियल बनाने के लिए इसे शूट भी ग्वालियर में ही किया है। इन दोनों ने बैकग्राउंड की बारीकियों पर भी काफी ध्यान दिया है। पति का परेशान होना पर पत्नी के सामने मजबूत बने रहना आपके दिल को छू जाएगा।
मिडिल क्लास की मुश्किलें के साथ ही फिल्म के किरदार आपको अपने आस-पास के लगेंगे, ये लेखक-डायरेक्टर के दौर पर जसपाल और राजीव की मेहनत का नतीजा है। सपन नरूला ने भी सिनेमैटोग्राफी में अच्छा काम किया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक इसकी कहानी और थ्रिल को आगे बढ़ाने में मदद करता है। कुल मिला कर आप दो घंटे तक अपनी सांसें खींचे पर्दे से नजर नहीं हटा पाएंगे।
क्यों देखें: अगर अच्छे सब्जेक्ट वाली फिल्म देखना चाहते हैं, एक मर्डर और थ्रिल स्टोरी में इंटरेस्ट है तो ये आपके लिए अच्छा अनुभव रहेगा।
क्यों न देखें: फिल्म की कहानी मार खाती है सस्पेंस के मामले में। अगर स्टोरी में आप पहले से अनुमान लगाने लग जाए और वो सही निकले तो ये एक्साइटमेंट को खत्म कर देती है। वध में आपके साथ कई बार ऐसा होगा।
फिल्म: वध
निर्देशक: जसपाल सिंह संधू, राजीव बरनवाल
कलाकार: संजय मिश्रा, नीना गुप्ता, मानव विज, सौरभ सचदेवा, दिवाकर कुमार
रेटिंग: **** 3.5/5
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