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फिल्म रिव्यू: सुपर नानी (2 स्टार)

'दिल' और 'बेटा' जैसी फिल्में दे चुके इंद्र कुमार पुराने स्कूल के माहिर निर्देशक के तौर पर जाने जाते हैं। हाल के बरसों में वे 'ग्रैंड मस्ती' जैसी सफल एडल्ट कॉमेडी भी दे चुके हैं। 'सुपर नानी' कमजोर फिल्म है। फिल्म का विषय भले मार्मिक और नीयत पाक है, मगर

By rohitEdited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 02:43 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 02:46 PM (IST)

अमित कर्ण

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प्रमुख कलाकार: रेखा, शरमन जोशी, रणधीर कपूर और अनुपम खेर।

निर्देशक: इंद्र कुमार

संगीतकार: हर्षित सक्सेना और संजीव-दर्शन।

स्टार: 2

'दिल' और 'बेटा' जैसी फिल्में दे चुके इंद्र कुमार पुराने स्कूल के माहिर निर्देशक के तौर पर जाने जाते हैं। हाल के बरसों में वे 'ग्रैंड मस्ती' जैसी सफल एडल्ट कॉमेडी भी दे चुके हैं। 'सुपर नानी' कमजोर फिल्म है। फिल्म का विषय भले मार्मिक और नीयत पाक है, मगर उसकी पटकथा गढऩे में चूक कर दी गई है। हिंदुस्तान में अधिकांश घरों में बच्चों व बुजुर्गों का खयाल नहीं रखा जाता है। उस मुद्दे को इंद्र कुमार ने उठाया, पर उसका ट्रीटमेंट सतही है।

भारती भाटिया रईस बिजनेसमैन आरके भाटिया की पत्नी है। परिवार की बेहतरी के लिए उसने अपनी महत्वाकांक्षाओं की तिलांजलि दे दी। अपनी जिंदगी के चालीस साल उसने किचन को दे दिए। उसके पति और बहू-बेटे को भारती के महान त्याग का एहसास नहीं है। कदम-कदम पर उसे लूजर और बेवकूफ कहा जाता है। घर-परिवार की नजरों में उसकी जगह सिफर है। ऐसे में उसके तारणहार के तौर पर उसका नाती मन अमेरिका से आता है। वह भारती भाटिया के भीतर का स्वाभिमान जगाता है। उन्हें विज्ञापन जगत का एक जाना-माना नाम बनाता है। परिवार में उसकी जगह को फिर से पुख्ता करता है। रिया और विज्ञापन फिल्मकार मिस्टर सैमी ऊर्फ बम्बू उसकी मदद करते हैं।

भारती भाटिया का किरदार रेखा ने निभाया है। फिल्म पूरी तरह उनके कंधों पर टिकी है। उन्होंने अपनी भूमिका के साथ न्याय भी किया है। मन की भूमिका में शरमन जोशी हैं। वे अमेरिका से लौटे प्रवासियों की तरह भ्रष्ट हिंदी बालते हैं। बिजनेसमैन आरके भाटिया को रणधीर कपूर ने प्ले किया। क्रूर पति के तौर पर वे निर्दयी नहीं नजर आ पाए हैं। रिया के किरदार में श्वेता कुमार हैं, जो इंद्र कुमार की बेटी हैं। उन्हें नाममात्र का स्पेस मिला है। वह ध्यान खींच पाने में नाकाम रही हैं। अनुपम खेर विज्ञापन बनाने वाले शख्स के तौर पर असर नहीं छोड़ सके हैं। श्रेया नारायण फिल्म में बहू की भूमिका में हैं। ग्रे शेड को उन्होंने ठीक ठाक निभाया है।

हर्षित सक्सेना और संजीव-दर्शन की संगीत प्रभावहीन है। समीर और संजीव चतुर्वेदी के गीत औसत हैं।

अवधि: 133 मिनट

आज रिलीज हुई दूसरी फिल्‍म का रिव्‍यू देखने के लिए क्लिक करें

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