फिल्म रिव्यू: हर मुठभेड़ में विद्युत का एक्शन 'कमांडो 2' (2 स्टार)
इस फिल्म का एक्शन प्रभावशाली है। विद्युत जामवाल उन एक्शन दृश्यों में विश्वसनीय लगते हैं। एक्शन के साथ में थोड़ी सी कहानी भी होती तो और मजा आता।
- अजय ब्रह्मात्मज
कलाकार: विद्युत जाम्वाल, फ्रेडी दारूवाला, अदा शर्मा, ईशा गुप्ता, ठाकुर अनूप सिंह आदि।
निर्देशक: देवेन भोजानी
निर्माता: विपुल अमृतलाल शाह
स्टार: ** (2 स्टार)
पिछले साल नोटबंदी लागू होने के बाद कहा जा रहा था कि काले धन को निकालने में वह मददगार होगी। काले धन पर बहस जारी है। अभी तक सही अनुमान नहीं है कि काला धन निकला भी कि नहीं और सभी के बैंक खातों में पंद्रह लाख रुपए आने की बात, बात ही रह गई। कहते हैं न,जो बातें रियल जिंदगी में संभव नहीं हो पातीं। वे फिल्मों में हो जाती हैं।
विपुल अमृतलाल शाह के निर्माण और देवेन भोजानी के निर्देशन में बनी ‘कमाडो 2’ में नोटबंदी सफल, काला धन वापस और किसानों के खातों में पैसे आ जाते हैं। फिल्म के टायटल में ही ‘द ब्लैक मनी ट्रेल’ जोड़ दिया गया है। फिल्म का उद्देश्य स्पष्ट था। यों निर्माता-निर्देशक का दावा था कि उन्होंने फिल्म की कहानी पहले सोच ली थी। नोटबंदी तो बाद में लागू हुई।
बहरहरल, इस बार कमांडो देश से बाहर गए काले धन को वापस लाने की मुहिम में शामिल है। वे सफल भी होते हैं। कमांडो विद्युत जामवाल हैं। उनमें गजब की स्फूर्ति है। वे एक्शन दृश्यों में सक्षम और गतिशील हैं। फिल्म की शुरूआत में ही पांच मिनट लंबे एक्शन दृश्य के साथ उनकी एंट्री होती हैं। हर मोड़ पर मुठभेड़ है और हर मुठभेड़ में विद्युत जामवाल का एक्शन है। हिंदी फिल्मों में हथियारों से लैस किरदार भी मुठभेड़ में हाथापाई करते नजर आते हैं। तय रहता है कि हीरो अपने विरोधियों को एक-एक कर मारेगा। ‘कमांडो 2’ क्षत-विक्षत हुए व्यक्तियों की गिनती करें तो यह अत्यंत हिंसक फिल्म कही जाएगी।
एक्शन हीरो हॉट होता है। लड़कियां उस पर फिदा होती हैं। न सिर्फ हीरोइन,बल्कि वैम्प और निगेटिव किरदार का भी उस पर दिल फिसलता है। गनीमत है कि देवेन भोजानी ने गानों के ड्रीम सिक्वेंस नहीं रखे। उन्होंने रोमांटिक गानों से भी राहत दी। लुक और गेटअप में इन दिनों युवा कलाकार एक जैसे ही दिखने लगे हैं। ‘कमांडो 2’ में विद्युत जामवाल के साथ फ्रेडी दारूवाला और ठाकुर अनूप सिंह भिन्न किरदारों में हैं। महिला किरदारों में मारिया (ईशा गुप्ता) और भावना रेड्डी (अदा शर्मा) हैं। भावना रेड्डी को हैदराबादी किरदार बनाने के साथ उन्हें ऐसा लहजा दिया गया है कि दर्शकों को हंसी आए। हंसी आती भी है, लेकिन कुछ दृश्यों के बाद अदा की अदाओं में दोहराव आ जाता है।
ईशा गुप्ता को दबंग किरदार मिला है, लेकिन वह इतनी समर्थ नहीं हैं कि मारिया को ढंग से निभा पाएं। अभिनय और परफारमेंस के लिहाज से इस फिल्म में सभी निराश करते हैं। किरदारों को गढ़ने की कोशिश ही नहीं की गई है। ज्यादातर को एक्शन दृश्यों में होना है। सपोर्टिंग भूमिका में आदिल हुसैन और शेफाली शाह आदतन बेहतर परफारमेंस करते हैं। फिल्म के अंत में भेद खुलने पर उनकी मुहिम जाहिर होती है। फिल्म मुख्य रूप से थाईलैंड और मलेशिया में शूट की गई है।
एरियल शॉट देखने पर लगता है कि हमारे महानगरों की ऊंची बिल्डिंगों की छतें इतनी सुदर क्यों नहीं होतीं? दोनों देशों के शहर साफ-सफ्फाक हैं। वहां के सिक्युरिटी गार्ड और गुंडों से लड़ते और जीतते भारतीय किरदार अलग सा सुकून देते हैं। इस फिल्म का एक्शन प्रभावशाली है। विद्युत जामवाल उन एक्शन दृश्यों में विश्वसनीय लगते हैं। एक्शन के साथ में थोड़ी सी कहानी भी होती तो और मजा आता।
अवधि- 123 मिनट