Ek Villain Returns Review: एक तरफा प्यार की भटकी हुई कहानी है एक विलेन रिटर्न्स, सस्पेंस के नाम पर है फिसड्डी
Ek Villain Returns Review अर्जुन कपूर तारा सुतारिया जॉन अब्राहम और दिशा पाटनी स्टारर फिल्म एक विलेन रिटर्न्स सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। लेकिन अगर आप सस्पेंस से भरे ट्रेलर के बाद इस फिल्म को देखने थिएटर में जा रहे हैं तो उससे पहले ये पूरा रिव्यू जरुर पढ़ें।
प्रियंका सिंह, मुंबई।Ek Villain Returns Review: एक विलेन फिल्म की रिलीज के आठ वर्ष बाद इस फ्रेंचाइजी को आगे बढ़ाते हुए निर्माताओं ने एक विलेन रिटर्न्स बनाई है। इस फिल्म का पिछली फिल्म से कोई सरोकार नहीं है। कहानी चार किरदारों के बीच में घूमती है। फिल्म एक पार्टी से शुरू होती है, जहां एक शख्स सबको मारने लग जाता है। वह सीरियल किलर है। वह प्यार में धोखा खाए हुए लोगों का मसीहा है। वहां से कहानी आती है बड़े बिजनेसमैन के बिगड़ैल बेटे गौतम मेहरा (अर्जुन कपूर) पर। वह अपनी गर्लफ्रेंड की शादी में पहुंच कर तब तक मारधाड़ करता है, जब तक उसकी गर्लफ्रेंड सबके सामने कह नहीं देती है कि वह उससे प्यार करती है। उसके यह कहते ही वह उसे छोड़कर चला जाता है। गौतम का एक ही सिद्धांत है कि उसे मरना चलेगा, हारना नहीं। शादी की इस मारधाड़ पर संघर्षरत गायिका आरवी मल्होत्रा (तारा सुतारिया) गाना बनाकर वायरल कर देती है। गौतम की दिलचस्पी आरवी में बढ़ जाती है, वह आरवी को बड़ा सिंगर बनाने की कोशिश करता है।
इनकी लव स्टोरी के साथ एक तरफा प्यार की कहानी चल रही है भैरव पुरोहित (जॉन अब्राहम) और रसिका मापुसकर (दिशा पाटनी) की। भैरव एक टैक्सी ड्राइवर है, वह हर रोज उस कपड़े की दुकान में पहुंच जाता है, जहां सेल्सगर्ल रसिका काम करती है। वह रसिका द्वारा बेचे जा रहे हर महंगे कपड़े खरीद लेता है। वह उससे प्यार करता है, लेकिन क्या रसिका उससे प्यार करती है? कभी हार न मानने वाला गौतम, आरवी की जिंदगी में क्या तूफान लाता है? कौन है वह सीरियल किलर जो हर कत्ल के बाद स्माइली और स्टार दीवार या शीशे पर बनाकर चला जाता है। कहानी इसी पर आगे बढ़ती है। थ्रिलर फिल्मों की सबसे पहली डिमांड यही होती है कि थ्रिल और सस्पेंस फिल्म के अंत तक बने रहें। अफसोस कि एक विलेन रिटर्न्स इन दोनों ही कसौटियों पर खरी नहीं उतरती है।
लेखक असीम अरोड़ा और मोहित सूरी ने ये कोशिश की हैं कि परतें न खुलें, लेकिन आसानी से अंदाजा लग जाता है कि सीन में आगे क्या होने वाला है। सीरियल किलर का खुलासा भी इंटरवल से पहले हो जाता है। सबसे ज्यादा जो बात खटकती है वह यह है कि किसी भी किरदार के स्वभाव के पीछे कोई वजह, कोई बैकस्टोरी नहीं है। इसलिए कई जगह उनके रिएक्शन जरुरत से ज्यादा लगते हैं। गौतम का बैड ब्वाय से गुड ब्वाय बन जाना हो, खुद को विलेन कहने वाली आरवी का मासूम बन जाना, रसिका का बेवजह का गुस्सा और ओवरटेक करने पर बाइकसवारों को मार देना, भैरव के शांत स्वभाव के पीछे का खतरनाक इंसान इन सबके पीछे की वजहें साफ नहीं है। जब अर्जुन का किरदार जॉन के किरदार को धमकी देता है कि जान से मार दे, छोड़ दिया तो मैं मार दूंगा, ऐसे में क्लाइमेक्स से उम्मीद बढ़ती है। लेकिन सीक्वल फिल्में बनाने के लिए प्रख्यात मोहित सूरी क्लाइमेक्स को उस स्तर पर नहीं ले जा पाते हैं।
उससे बेहतरीन एक्शन तो दोनों के बीच इंटरवल से पहले मेट्रो ट्रेन में होता है। गौतम का आरवी को बड़ी गायिका बनाने के लिए स्थापित गायिका को डराने वाला सीन बचकाना लगता है। चारों कलाकारों में अर्जुन कपूर अपनी फिजिक, डायलॉग्स और स्वैग से ध्यान खींचते हैं। लगभग हर फिल्म की तरह जॉन अब्राहम अंत में अपनी फिटनेस का नजारा शर्ट उतारकर दिखाते हैं। दिशा पाटनी विलेन दिखने की असफल कोशिश करती हैं। तारा सुतारिया अपने किरदार में ठीक लगी हैं। जे.डी चक्रवर्ती का किरदार शुरुआत में जिज्ञासा पैदा करता है, लेकिन कमजोर पटकथा में खो जाता है। फिल्म के कुछ एक्शन सीन्स और डायलॉग्स जैसे धमकी वो दे जो पूरी कर सके..., तेरी कहानी का मैं हीरो हूं...तू हीरो तो मैं तेरी कहानी का विलेन... यह सिनेमाई ढांचे में फिट बैठते हैं। अंत में फिल्म एक विलेन के खलनायक रितेश देशमुख के किरदार की एंट्री इस फ्रेंचाइजी की तीसरी फिल्म की ओर इशारा करती है।
फिल्म – एक विलेन रिटर्न्स
मुख्य कलाकार – अर्जुन कपूर, जॉन अब्राहम, तारा सुतारिया, दिशा पाटनी, जे.डी चक्रवर्ती
निर्देशक – मोहित सूरी
अवधि – दो घंटा आठ मिनट
रेटिंग – दो