Darlings Review: आलिया भट्ट और शेफाली शाह के शानदार अभिनय ने डाली 'डार्लिंग्स' में जान
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। Darlings Review: कोरोना काल के दौरान आलिया भट्ट अभिनीत फिल्म सड़क 2 डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज हुई थी। अब उनकी फिल्म डार्लिंग्स भी नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म से आलिया ने फिल्म निर्माण में भी कदम रख दिया है। शाह रुख खान की कंपनी रेड चिलीज के साथ मिलकर उन्होंने इस फिल्म का निर्माण किया है। यह फिल्म घरेलू हिंसा के मुद्दे पर आधारित है।
कहानी मुंबई के चौल में रहने वाली बदरू (आलिया भट्ट) और उसके पति हमजा (विजय वर्मा) की है। दोनों ने प्रेम विवाह किया है। बदरू की मां शमशुनीसा (शेफाली शाह) उसी चौल में बदरू की खोली के सामने रहती है। रेलवे में टीसी हमजा को उसका बॉस मजाक में टायलेट क्लीनर बुलाता है। दरअसल, वह उससे रोजाना अपना टॉयलेट कमोड साफ कराता है। (उसकी वजह कहानी में स्पष्ट नहीं है)। हमजा को शराब पीने की लत है। खाने में अगर कंकड़ निकल आए तो भी बीवी की पिटाई कर देता है। रात में शराब पीकर वहशी बनने के बाद अगले दिन पत्नी से माफी मांगना हमजा का स्वभाव है। हालांकि बदरू को यकीन है कि हमजा में बदलाव आएगा। इस बीच हमजा के दुर्व्यवहार को देखते हुए एक दिन जुल्फी (रौशन मैथ्यू) इसकी शिकायत पुलिस स्टेशन में कर देता है। हमजा की चिकनी चुपड़ी बातों में आकर बदरू पुलिस से शिकायत वापस ले लेती है। हमजा जानना चाहता है कि उसकी शिकायत किसने की। इसका पता चलने पर वह गर्भवती बदरू को सीढ़ियों से धक्का दे देता है। गर्भपात से तिलमिलाई और आक्रोशित बदरू हमजा को सबक सिखाना तय करती है। इसमें उसका साथ उसकी मां देती है। मां बेटी किस हद तक जाते हैं कहानी इस संदर्भ में हैं।
बतौर निर्देशक जसमीत के रीन की यह पहली फिल्म है। परवेज शेख के साथ मिलकर उन्होंने फिल्म की कहानी भी लिखी है। शुरुआत में हमजा और बदरू की प्रेम कहानी की झलक देते हुए फिल्म आगे बढ़ती है। पर शुरुआत में हमजा कैसा था? शराब पीने के बाद बीवी के साथ मारपीट करने की वजह क्या है? क्या बचपन में वह ऐसे माहौल में पला बढ़ा है इस वजह से बीवी को मामूली बातों में पीटना अपना अधिकार समझता है? इस मुद्दे पर फिल्म कोई बात नहीं करती है। फिल्म में मेंढक और बिच्छू की कहानी को सुनाने में भी दोहराव है। बदरू के गर्भपात के दृश्य को देखकर दर्द और वेदना का अहसास नहीं जगता है। हमजा एकतरफ बीवी को बुर्का में न रखने की बात करता है तो वहीं दूसरी ओर बीवी के नए जूते और मार्डन ड्रेस देखकर भड़क जाता है। उसका स्वभाव विरोधाभासी दर्शाया गया है। कसाई कासिम (राजेश शर्मा) के चरित्र में भी अधूरापन है। पुलिस का पक्ष बहुत कमजोर है। इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय और लेखक बनने के इच्छुक जुल्फी का पुलिस से पूछना अपहरण में बेल मिलती है बहुत बचकाना है।
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बहरहाल, फिल्म का खास आकर्षण है कलाकारों का अभिनय। पति को अंधा प्यार करने वाली से लेकर उसे सबक सिखाने वाली बदरू की भूमिका में आलिया भट्ट ने दमदार परफॉर्मेंस दी है। खाना बनाने से लेकर हमजा की पिटाई करने के सीन में उनके चेहरे के भाव तेजी से बदलते हैं। शेफाली शाह की आंखें उनके किरदारों की भावनाओं को व्यक्त करने का बेहतरीन जरिया है। किरदार कैसा भी हो वह उसमें सहजता से रची-बसी नजर आती हैं। आलिया साथ उनकी केमिस्ट्री काफी जमती है। शराबी पति के तौर पर विजय वर्मा अपने भावों को व्यक्त में बहुत ज्यादा मेहनत करते नजर नहीं आते। जुल्फी के तौर पर रौशन मैथ्यू प्रभावित करते हैं। गुलजार द्वारा लिखित प्लीज गाना कहानी के भावों को व्यक्त करता है।