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ट्रेंड से हटकर है फिल्म 'फटा पोस्टर निकला हीरो'

मुंबई। ट्रेंड बनाने में है यकीन 'अजब प्रेम की गजब कहानी' की सफलता ने मुझे प्रेरित किया। मुझे समझ में आया कि यूथ को किस तरह की फिल्में पसंद हैं। मैं कभी भी ट्रेंड के पीछे नहीं भागा। जो लोग यह कहते हैं कि मैंने अजब प्रेम..की सफलता को भुनाने के लिए 'फटा पोस्टर निकला हीरो' ब

By Edited By: Published: Thu, 12 Sep 2013 12:07 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2013 12:56 PM (IST)
ट्रेंड से हटकर है फिल्म 'फटा पोस्टर निकला हीरो'

मुंबई। ट्रेंड बनाने में है यकीन 'अजब प्रेम की गजब कहानी' की सफलता ने मुझे प्रेरित किया। मुझे समझ में आया कि यूथ को किस तरह की फिल्में पसंद हैं। मैं कभी भी ट्रेंड के पीछे नहीं भागा। जो लोग यह कहते हैं कि मैंने अजब प्रेम..की सफलता को भुनाने के लिए 'फटा पोस्टर निकला हीरो' बनाई है, वे यह क्यों भूल जाते हैं कि दुनिया जब रोमांटिक फिल्मों को इनकैश कराने में लगी थी, तब मैंने 'घायल' जैसी फिल्म बनाकर इंडस्ट्री की धारा ही बदल दी थी। उसके बाद सनी देओल एक्शन हीरो बन गए। मैंने उन्हें 'दामिनी' में एक ऐसे वकील की भूमिका दी, जो एग्रेसिव तो है लेकिन खून-खराबा नहीं करता। और फिर आप 'अंदाज अपना अपना' को क्यों भूल जाते हैं? उस समय तक मैंने कोई कॉमेडी नहीं फिल्म बनाई थी, लेकिन मेरी वह फिल्म सबको पसंद आई।

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यूथ की पसंद जानना जरूरी

यूथ को आप मूर्ख नहीं बना सकते और ना ही यह सामान्यीकरण कर सकते हैं कि उसको रोमांस ही पसंद आएगा। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर आज 'मदर इंडिया' या 'मुगल-ए-आजम' जैसी फिल्में बने तो आज युवा वे फिल्में भी देखने जाएगा। उसको सिर्फ अच्छी फिल्मों से मतलब है। मेरे कॅरियर को किसी एक खांचे में रखना ठीक नहीं होगा।

यूं शुरू हुई फटा पोस्टर..

मैंने हर दौर में अपने मन का लेकिन अलग काम किया है। 'अजब प्रेम की गजब कहानी' के बाद मैंने 'पावर' नामक एक मल्टीस्टारर फिल्म प्रारंभ की थी जिसमें अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, अनिल कपूर जैसे बड़े अभिनेता थे लेकिन कई वजहों के चलते उस फिल्म की शूटिंग मैं दस दिन से अधिक कर नहीं पाया। वह फिल्म बंद होने से मुझे निराशा हुई। मैं पूरी स्टारकास्ट के प्रति जवाबदेह था, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। फिर 'फटा पोस्टर निकला हीरो' का संयोग बना।

मां-बेटे के संबंधों पर फोकस

'फटा पोस्टर' उसी जॉनर की फिल्म है जिस तरह की 'अजब प्रेम की गजब कहानी' थी, लेकिन इसका इमोशनल एेंगल अधिक स्ट्रॉन्ग है। मां बेटे के संबंधों पर फिल्म में अधिक फोकस किया गया है। शाहिद की मां का किरदार निभा रही हैं पद्मनी कोल्हापुरी, जो लंबे अर्से बाद पर्दे पर वापसी कर रही हैं। शाहिद कपूर की प्रतिभा इस फिल्म में उभरकर आएगी।

रचनात्मकता से समझौता नहीं

इतने सालों के कॅरियर में लगभग सभी विधाओं की फिल्मों का निर्देशन करने के बाद मुझे एक चीज समझ में आ गई है कि मैं अपने लिए ही काम करके कंफर्टेबल हूं। मैं किसी और निर्देशक को अपने साथ मौका इस वजह से नहीं देता कि रचनात्मकता निहायत ही निजी चीज है। ऐसे में अगर हम किसी एक प्रोडक्ट के लिए काम कर रहे हैं, तो मतभेद नहीं होना चाहिए। इसी वजह से मैं 'घायल रिट‌र्न्स' के लिए इंकार किया, लेकिन मैं दिल से चाहता हूं कि 'घायल' का सीक्वेल उतना ही हिट हो जितनी कि मूल फिल्म हुई थी।

(सप्तरंग टीम)

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