मेरी फिल्मों की सच्चाई है अंग प्रदर्शन
महेश भट्ट पिछले कई सालों से निर्माता की पारी खेल रहे हैं। वे इसे एन्ज्वॉय कर रहे हैं। वे हाल-फिलहाल दोबारा निर्देशन की ओर मुड़ना भी नहीं चाहते। उनके बैनर तले इन दिनों जन्नत-2, राज-3 और जिस्म-2 पर काम चल रहा है, जबकि हाल ही में यानी 30 मार्च को ब्लड मनी रिलीज हुई है।
महेश भट्ट पिछले कई सालों से निर्माता की पारी खेल रहे हैं। वे इसे एन्ज्वॉय कर रहे हैं। वे हाल-फिलहाल दोबारा निर्देशन की ओर मुड़ना भी नहीं चाहते। उनके बैनर तले इन दिनों जन्नत-2, राज-3 और जिस्म-2 पर काम चल रहा है, जबकि हाल ही में यानी 30 मार्च को ब्लड मनी रिलीज हुई है।
निर्माता के तौर पर महेश भट्ट का पूरा फोकस मनोरंजक फिल्में बनाने की ओर है। वे बताते हैं, फिल्म राज, जिस्म या जन्नत जैसी फिल्मों की सीक्वल बनाने की वजह यह है कि दर्शकों को ऐसी फिल्में पसंद हैं। उन दर्शकों की तादाद काफी कम है, जो मनोरंजन के साथ-साथ मैसेज की खातिर फिल्में देखने सिनेमाघरों में जाते हैं।
निर्माता के तौर पर मेरी जिम्मेदारी बनती है कि फिल्म से जुड़े लोगों को हर लिहाज से सफलता हासिल हो। इसलिए बोल्ड सीन मेरी फिल्मों का अहम हिस्सा हैं। मेरी फिल्मों में दर्शकों को आकर्षित करने के लिए अंगप्रदर्शन होता है। मैंने कभी इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा है, लेकिन मेरा एक सवाल है। यह बताइए कि लोगों को आज इंटरनेट पर क्या उपलब्ध नहीं है। वे जो देखते हैं, उसकी तुलना में तो हमारी फिल्में बड़ी साफ-सुथरी होती हैं। ऐसे में मुझ पर अश्लीलता फैलाने के आरोप सही नहीं है।
अपनी फिल्मों में नए चेहरों को लॉन्च करने का महेश भट्ट का इतिहास पुराना है। ब्लड मनी के निर्देशन की कमान उन्होंने नवोदित विशाल महाडकर को सौंपी। जन्नत-2 की मेन लीड हीरोइन ईशा गुप्ता हैं। उनकी यह पहली फिल्म है। आमिर खान और शाहरुख खान सरीखे कलाकार भी जब फिल्म इंडस्ट्री में नए-नए आए थे, तब उन्होंने भट्ट कैंप की दिल है कि मानता नहीं, हम हैं राही प्यार के और डुप्लीकेट में काम किया था। जब ये स्थापित कलाकार बन गए, तब उन्होंने भट्ट कैंप की फिल्में नहीं कीं।
महेश भट्ट कहते हैं, हिंदी फिल्म जगत हमेशा से स्टार कल्चर से जूझता रहा है। इसके चलते किसी फिल्म की बजट का एक बड़ा हिस्सा इन कलाकारों की फीस भरने में खत्म हो जाता है। स्थिति यह है कि छोटे बजट के फिल्मकार बड़े कलाकारों के पास जाने की हिम्मत भी नहीं करते। यह ट्रेंड फिल्मों के लिए अच्छा नहीं है। मैं बड़े कलाकारों के साथ काम करना पसंद नहीं करता। उनके साथ काम करते हुए एक सुरक्षा की भावना आ जाती है। इससे काम करना बड़ा बोरिंग हो जाता है। मुझे चुनौतियां पसंद हैं और नए लोगों के साथ काम करना एक चैलेंज है। देश में टैलेंट की कमी नहीं है। नए लोगों में अगर यकीन दिखाया जाए, तो वे जबर्दस्त काम कर दिखाते हैं।
निर्माता की पारी एन्जॉय करने की महेश भट्ट वजह बताते हैं। उनके मुताबिक, निर्देशन के चलते दुनिया को देखने-सुनने और समझने का मौका नहीं मिल रहा था, इसलिए मैं निर्माण की ओर मुड़ गया। निर्देशन से अलग रखकर जिंदगी के दूसरे पहलुओं को देखा है। केवल मनोरंजन की दुकान से जुड़े रहने में रुचि नहीं है। पार्टियों में जाने से ज्यादा चाहता हूं कि किसी सोशल एक्टिविटी में शिरकत करूं। अब मुझे वे सारे काम करने का समय मिल रहा है, जो मैं चाहता हूं।
दुनिया घूम रहा हूं। विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करता हूं। नए विषयों की जानकारी हासिल होती है। यह सब मुझे फिल्म निर्देशक बनकर मयस्सर नहीं होता। वैसे भी अगर हम लोग डायरेक्टर की कुर्सी पर जमे रहे, तो नए लोग कैसे आएंगे? महेश भट्ट मिडिल क्लास से ताल्लुक रखने वाले युवाओं को केंद्र में रखकर फिल्में बनाना चाहते हैं। वे इस बारे में कहते हैं, आज के दौर के युवा बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं, जरूरतें और परिवार के प्रति जिम्मेदारियों के बीच अपनी प्राथमिकताएं तय नहीं कर पा रहे हैं। वे अपना सपना पूरा करने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। इस चक्कर में वे कई बार लक्ष्मणरेखा भी पार कर जाते हैं। उनके इन्हीं पहलुओं को मैं पर्दे पर उतारना चाहता हूं। उन्हें बताना चाहता हूं कि सही और गलत के बीच फर्क कैसे महसूस किया जाए? जन्नत-2, राज-3 और जिस्म-2 इसी पर बेस्ड है।
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