हीरोइन ही बनना था
अभिनय की दुनिया में हुमा कुरैशी ने विज्ञापन फिल्मों के जरिये कदम रखा है। हालिया रिलीज फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर इनकी पहली फिल्म थी। वे फिल्म के दूसरे पार्ट में मोहसिना के रोल में नजर आएंगी।
अभिनय की दुनिया में हुमा कुरैशी ने विज्ञापन फिल्मों के जरिये कदम रखा है। हालिया रिलीज फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर इनकी पहली फिल्म थी। वे फिल्म के दूसरे पार्ट में मोहसिना के रोल में नजर आएंगी। बातचीत हुमा कुरैशी से..
. हीरोइन बनना शौक था या सपना? इसे पूरा करने में किन परेशानियों का सामना करना पड़ा?
यह मेरा बचपन का सपना था। चाहती थी कि फिल्मों में काम करने का मौका मिले। कभी सोचा नहीं था कि यहां तक आऊंगी, क्योंकि मेरा दूर-दूर तक फिल्मों से कोई कनेक्शन नहीं था। दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में पिताजी का रेस्टोरेंट है। भाई भी उसी में लगे हुए हैं। कंजर्वेटिव फैमिली से हूं। लिहाजा यह मुमकिन नहीं था कि लड़की काम करने के लिए घर से निकले। ऊपर से हीरोइन बनना तो नामुमकिन था, लेकिन पढ़ाई में तेज होने का एक फायदा मिला। माता-पिता ने मेरे फैसले का विरोध नहीं किया। उन्हें लगा कि अगर इस फील्ड में जाने का मन बना रही है, तो इसने कुछ सोचा होगा। लिहाजा उनके शुरुआती विरोध के अलावा कोई खास परेशानी नहीं झेलनी पड़ी।
कोई डेडलाइन थी कि फलां समय तक नतीजे देने हैं?
हां, पिताजी ने एक साल का वक्त दिया था। कहा, जाओ कोशिश करो, अगर हो जाए तो अच्छी बात है, वर्ना सीधे घर आ जाना। संयोग से यहां आते ही एक विज्ञापन फिल्म में काम करने का अवसर मिला। निर्माताओं ने कहा, 5000 रुपए मिलेंगे। मैंने कहा, कोई जरूरत नहीं है। आप न भी दें, तो चलेगा। खैर उसमें काम किया। काफी तारीफ मिली। वह विज्ञापन अभिषेक बच्चन के साथ था। टीवी पर अभिषेक के साथ मुझे देखा, तो घर वाले तो पागल हो गए। वॉक वेन यू टॉक बड़ा कैंपेन था। उसके बाद तो घरवालों से अभिनय में ही करियर बनाने की छूट मिल गई। मैं भी खुश थी।
गैंग्स ऑफ वासेपुर में काम कैसे मिला? चयन का आधार अपना किरदार था या अनुराग कश्यप जैसा बड़ा नाम?
कुछ साल पहले मैंने आमिर खान के साथ एक ऐड फिल्म की थी। वहां शूट पर अनुराग कश्यप से मुलाकात हुई थी। उन्होंने देखते ही कहा था कि तुम मेरी अगली फिल्म में काम करने जा रही हो। मैं भी ब्लैक फ्राइडे के बाद से उनके काम की दीवानी हो गई थी। मुंबई आने पर मेरा सपना था कि उनके और विशाल भारद्वाज के साथ काम करना है। आज मेरे दोनों सपने पूरे हो रहे हैं। मुझे विशाल भारद्वाज की फिल्म में भी कास्ट किया जा रहा है।
असल जिंदगी में आप लड़कों की किन चीजों से इंप्रेस होंगी?
उनकी स्टाइल से। चेहरे-मोहरे से ज्यादा उनके पॉवर से। जैसे इस फिल्म में भी है कि मोहसिना को फैजल खान का आत्मविश्वास काफी अच्छा लगता है। उसे उसकी बॉडी और हाइट से उसे कोई मतलब नहीं है। वह उसके टशन पर मरती है। रीयल जिंदगी में भी ऐसा ही होता है कि लड़कियां शक्तिशाली लोगों की ओर आकर्षित होती हैं। लड़कों के मामले में ऐसा नहीं है। लड़की अगर सुंदर है, तो लड़कों को पसंद आएंगी ही, चाहे वे कितनी भी मूर्ख क्यों न हो?
आपने कहा कि फिल्म अनुराग कश्यप के नाम पर की थी। क्या आपने स्क्रिप्ट भी नहीं पढ़ी?
देखिए, आपको पता होता है कि किसी इंसान की सेंसिबिलिटी क्या होती है? ऐसा भी नहीं था कि इस फिल्म की कहानी मुझे मालूम नहीं थी। अनुराग का कहना था कि अगर मैं स्टोरी पढूंगी, तो कहीं निराश न हो जाऊं। मेरा कैरेक्टर अनुराग ने लोकेशन पर बना दिया। ज्यादा रिसर्च नहीं की, लेकिन समय के साथ-साथ यह फिल्म का जरूरी हिस्सा बनता चला गया।
इंडस्ट्री में बाहर से आए लोगों के साथ आमतौर पर बर्ताव सही नहीं होता। आपके साथ कैसा व्यवहार हुआ?
मुंबई और फिल्म इंडस्ट्री दोनों ने मुझे बड़े अच्छे से ट्रीट किया है। मैं मानती हूं कि लड़कियों के साथ कास्टिंग काउच होती है, बदतमीजी झेलनी पड़ती है, लेकिन मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। मुंहफट भी हूं, तो लोगों को लगता है कि पता नहीं यह क्या बोल दे..?
आपका अगला प्रोजेक्ट क्या है?
लव, शव टे चिकन खुराना कर रही हूं। इसे डायरेक्ट किया है समीर शर्मा ने और प्रोड्यूसर हैं अनुराग कश्यप और यूटीवी मोशन पिक्चर्स। मेरी समझ से यह हिंदुस्तान की पहली फूड फिल्म है। इसमें कुणाल कपूर मेरे अपोजिट हैं। इसके अलावा एक और फिल्म है, जिसमें इमरान हाशमी मेरे अपोजिट हैं।
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