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बदला जमाने के साथ - अदनान सामी

लंबे समय बाद अदनान सामी की आवाज 'किल दिल' के गाने में सुनाई दी। 'साथिया' के बाद गुलजार, शाद अली और अदनान की तिकड़ी का जादू जगा। अदनान इन दिनों गायकी के फ्रंट पर कम एक्टिव हैं। जिंदगी की मुश्किलों और रिश्तों में आए बदलाव से वे बेअसर नहीं रहे।

By Monika SharmaEdited By: Published: Sun, 07 Dec 2014 12:43 PM (IST)Updated: Sun, 07 Dec 2014 12:57 PM (IST)
बदला जमाने के साथ - अदनान सामी

अजय ब्रह्मात्मज

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लंबे समय बाद अदनान सामी की आवाज 'किल दिल' के गाने में सुनाई दी। 'साथिया' के बाद गुलजार, शाद अली और अदनान की तिकड़ी का जादू जगा। अदनान इन दिनों गायकी के फ्रंट पर कम एक्टिव हैं। जिंदगी की मुश्किलों और रिश्तों में आए बदलाव से वे बेअसर नहीं रहे। इस दरम्यान उन्होंने कोर्ट से निकलकर स्टूडियो में रिकॉर्डिंग भी की।


नए जमाने के साथ कदम

अदनान का नाम जेहन में आते ही जो छवि कौंधती है, उससे वे काफी अलग हो गए हैं। उनका वजन कम हो गया है। अब वे अधिक स्फूर्ति महसूस करते हैं। खुद को बदलने के साथ ही अदनान सामी अपनी एक नई दुनिया रच रहे हैं, जिसमें गीत-संगीत और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट से उन्होंने घर को नए तरीके से सजाया है। नए जमाने के साथ कदम मिलाकर चल रहे अदनान को नए गैजेट और तरीकों से कोई दिक्कत नहीं होती। अगर कोई संगीतकार उन्हें व्हाट्सएप्प पर धुन भेजता है तो वे उसे सुनकर गायकी का रियाज कर लेते हैं। कई बार मोबाइल या फेसबुक के मैसेज के जरिए गीतों के बोल आ जाते हैं। अदनान कहते हैं, 'मैं उन लोगों के साथ कतई नहीं हूं, जो हमेशा बीते दिनों और गुजरे जमाने की आहें भरते हैं। मेरी नजर में अभी ज्यादा परफेक्ट काम हो रहा है। तकनीकी सुविधाओं से जिंदगी आसान हो रही है। बस एक ही खतरा है कि हम कहीं इनके आश्रित न हो जाएं।'

तकनीक से छुपती कमियां

आजकल म्यूजिक इंडस्ट्री में शौकिया फनकारों की बाढ़ आई हुई है। अदनान का मानना है कि तकनीक के इस्तेमाल से फनकार अपनी कमियां तो छिपा सकते हैं लेकिन एक्सप्रेशन और गुणवत्ता नहीं ला सकते। वह कहते हैं, 'शौकिया फनकारों ने तकनीकी सहूलियत से खुद को उस्ताद मानने का भ्रम पाल लिया है। अब तो वह जमाना आ गया है कि गायकी के लिए रूह के तड़पने की जरूरत नहीं रह गई है। कुछ भी तड़प रहा हो तो आप गायक बन जाइए। कहने का मकसद है कि तकनीकी सुविधाओं ने संगीत की गुणवत्ता बढ़ा दी। कई बार ऐसा होता है कि गाते समय एक्सप्रेशन एकदम सही आता है लेकिन सुर में कहीं लचक आ जाती है। कुछ पौना-बीस हो जाता है। तकनीक से आप इसे सुधार सकते हैं। पर रूहानी एक्सप्रेशन को दोहराया नहीं जा सकता। आज भी बड़े सिंगर गाते समय खुद को दोहरा नहीं पाते। आम श्रोताओं को यह फर्क समझ लेना चाहिए कि तकनीक से सिर्फ टेक्निकल चीजें ही सुधर सकती हैं। असल गायकी तो लंबे अभ्यास और प्रयास से आती है। तकनीक से एक्सप्रेशन नहीं आ सकता। की-बोर्ड और कंप्यूटर से बज रहे गिटार और सामने बैठकर किसी के बजते गिटार का असर अलग होता है। तकनीक का इस्तेमाल कमियां छिपाने और खूबियां बढ़ाने के काम आ सकता है।'

हो गई थी कोफ्त
अधिक वजन के लिए प्रसिद्ध रहे अदनान अब फिट और हेल्दी हो गए हैं। वजन घटाते समय उनके बारे में उठने वाली बातों पर वह कहते हैं, 'जब वजन घटाने का काम शुरू किया तो अलग-अलग कमेंट सुनाई पड़े। कुछ ने कहा किसी नई माशूका को खुश करने के लिए अदनान ऐसा कर रहा है। किसी के जेहन में बात आई कि मुझे कोई फिल्म मिल गई होगी। सच्चाई यह थी कि मैं अपने वजन से ही घबरा गया था। बिस्तर से उठने या कहीं भी आने-जाने में मुझे दो लोगों की जरूरत पड़ती थी। खुद पर कोफ्त होती थी। वजन कम हुआ तो मेरे साथ मेरे दोस्त, शुभचिंतक और प्रशंसक सभी खुश हुए। केवल एक बेला सहगल नाराज हुईं। मेरे मोटे शरीर को लेकर उन्होंने एक किरदार की कल्पना की थी। उस फिल्म की तैयारी चल रही थी। वजन कम होने से मैं उनके किरदार से बाहर आ गया। उन्होंने मुझे खूब सुनाया। मैंने सलाह दी कि प्रोस्थेटिक मेकअप से करते हैं। बेला और उनके निर्माता महंगे खर्च के लिए तैयार नहीं हुए।'

गुलजार का जवाब नहीं

गुलजार के प्रशंसक अदनान सामी उनके गीतों से विस्मित हैं। उनके गीतों में आए शब्दों पर वह कहते हैं, 'फिल्म 'किल दिल' में गाए मेरे गीत में आए रूहआफ्जा शब्द को ही ले लें। क्या कोई कल्पना कर सकता था कि महबूबा की तारीफ में इस शब्द का ऐसा इस्तेमाल हो सकता है। इसमें ठंडक, तरावट और मिठास एक साथ पाने का एहसास है। गुलजार साहब हंसी-मजाक में ही खूबसूरत मिसाल दे जाते हैं। हो सकता है कि सॉफ्ट ड्रिंक के इस दौर में किसी को इसका मर्म नहीं समझ में आए। इसे वही अच्छी तरह समझ सकता है, जो भारतीय तहजीब में पला-बढ़ा है, जिसने एक बार भी गलती या पसंद से इसे चख लिया है!'

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