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मुझे पसंद हैं संजीदा लोग : अनिल कपूर

अभिनेता अनिल कपूर की उम्र भले ही छप्पन साल की हो गई है, लेकिन वे आज भी युवा की तरह एक्टिव हैं। उनका अभिनय सफर जारी है। उनसे बातचीत। आपकी उम्र 56 की हो गई है और आप ऐक्शन सीन मजे से करते हैं। आपकी फिटनेस का राज क्या है? मेरी फिटनेस का राज मेरे घर में मौजू

By Edited By: Published: Mon, 20 Jan 2014 01:50 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2014 02:18 PM (IST)
मुझे पसंद हैं संजीदा लोग : अनिल कपूर

मुंबई। अभिनेता अनिल कपूर की उम्र भले ही छप्पन साल की हो गई है, लेकिन वे आज भी युवा की तरह एक्टिव हैं। उनका अभिनय सफर जारी है। उनसे बातचीत।

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आपकी उम्र 56 की हो गई है और आप ऐक्शन सीन मजे से करते हैं। आपकी फिटनेस का राज क्या है?

मेरी फिटनेस का राज मेरे घर में मौजूद तीन स्त्रियां हैं। पत्नी सुनीता, बेटियां सोनम और रिया.. और डेजर्ट भी। मैं मीठा खा रहा हूं, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है? थोड़ी मेहनत की और थोड़ी सी ट्रेनिंग ली। मैंने 6-7 किलो वजन कम किया। बॉडी का फैट कम किया और मसल्स बढ़ाया। लोग कहते हैं, यार तू बड़ा यंग लग रहा है आजकल। सच यही है कि मैं यंग नहीं लग रहा, बल्कि फैट निकल गई है। एक उम्र के बाद आपको खुद पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। एक्सरसाइज की जरूरत होती है। आप क्या खा रहे हैं, इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है।

वैसे फिट रहने के लिए क्या-क्या चीजें मैटर करती हैं?

अपनी बॉडी को मैंने इस तरह से ट्रेन किया है कि कोई गड़बड़ी नहीं होती। तला-भुना, मीठा और हैवी मील अधिक लूंगा, तो गड़बड़ हो जाएगी। कभी-कभी यानी महीने में एक बार खाऊंगा, तो कुछ नहीं बिगड़ेगा। लगाम अपने पास होनी चाहिए। साथ में पाजिटिविटी भी जरूरी है। अगर आप खुश रहेंगे, अच्छा सोचेंगे तो सेहत भी अच्छी रहेगी। ज्यादा सोचेंगे तो नींद नहीं आएगी। आप थकान महसूस करेंगे। आप एक्सरसाइज नहीं कर पाएंगे। पूरा रूटीन बिगड़ जाएगा। फिट रहने के लिए ये बातें भी मैटर करती हैं।

माना जाता है कि एक सफल स्टार अपने रोल और करियर को लेकर काफी चूजी हो जाता है। क्या आपके साथ भी ऐसा है?

ऐसा भी नहीं है कि मैं बेचैन हूं करियर के लिए कि नहीं यार, यह मेरी इमेज के लिए ठीक नहीं है। इसमें कुछ चक्कर होना चाहिए, तो पब्लिसिटी मिलेगी। थोड़ा सा यह कर लेते हैं या वह कर लेते हैं। यह सब जो लाइफ में ट्विस्ट आते हैं, आपके चेहरे पर साफ नजर आते हैं। चेहरा तो आइना होता है। सीरियल '24' मेरे लिए चुनौतियों से भरा रहा। इसलिए मैं बहुत एक्साइटेड था। शूटिंग करता था तो सोचता था कि कब ब्रेक मिलेगा। बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। सुबह उठकर काम पर जाने में मजा आता है। खाना नहीं खा पाता हूं। सोचता हूं पूरा काम खत्म करके रात में खाऊंगा। ऐसे वक्त में कई तरह की चुनौतियां होती हैं।

आपने कई हीरोइनों के साथ काम किया है। सबसे ज्यादा मजा किसके साथ आया?

मुझे उन लोगों के साथ काम करना अच्छा लगता है, जो हार्ड वर्कर होते हैं। उनके साथ काम करने में सहजता होती है, जो काम को लेकर संजीदा होते हैं। फिर चाहे वह बड़ी या छोटी स्टार ऐक्ट्रेस हों, मायने नहीं रखता। अगर वह संजीदा है, उसे काम आता है और मेहनत के लिए तैयार है, तो मैं उसके साथ ऐसे पेश आऊंगा, जैसे वह सबसे सुंदर स्त्री है। जिससे मैं जिंदगी में पहली बार मिल रहा हूं, उसे भी इज्जत दूंगा, लेकिन जो काम में बेस्ट नहीं हैं, मेहनत नहीं करतीं और काम ठीक से नहीं आता, वे चाहे कितनी भी खूबसूरत हों, उनमें दिलचस्पी नहीं होगी। मैं उनके साथ ही सहज होता हूं, जिन्हें काम आता है, मेहनत करती हैं।

तो आपके हिसाब से ऐसी अभिनेत्रियां कौन हैं?

इस मामले में मैं लकी हूं, क्योंकि मुझे जो भी हीरोइनें मिलीं, जैसे अमृता सिंह, पद्मिनी कोल्हापुरे, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, मंदिरा बेदी, टिस्का चोपड़ा सभी अच्छी मिलीं। इन सभी को काम आता है। जिनके साथ मैं पहली बार काम कर रहा होता हूं, उनका काम देखकर भी मैं सोचता हूं कि फिल्मों में इन्हें क्यों नहीं लिया गया? मंदिरा और टिस्का थोड़ा भी काम करती हैं, तो मैं शॉक्ड हो जाता हूं। ये कमाल का काम करती हैं। ऐसा लगता है कि ये लोग बरसों से काम कर रही हैं।

आपकी पहचान लोगों में टपोरी टाइप के हीरो की भी है। यह अंदाज आपको निजी तौर पर कितना पसंद है?

इसमें काफी फन है। मुझे अच्छा लगता है जब लोग उसे पसंद करते हैं। 'वेलकम'में जो मेरा किरदार था, वह लिखा नहीं गया था। उसे मैंने क्रिएट किया था। दरअसल, मैंने बचपन ऐसे ही लोगों के साथ गुजारा है, जिनसे तरह-तरह के किरदार क्रिएट हो सकते हैं। उनकी बोली भी अलग थी। तब हमारे एक टपोरी दादा थे। वे बेहद दुबले-पतले थे, लेकिन चलते ऐसे थे, जैसे उनकी बॉडी बहुत जबर्दस्त है। एटीट्यूड और कॉन्फिडेंस ऐसा था कि कोई मसलमैन हो, तो उसे भी मार देंगे।

इतनी भागमभाग, मेहनत और जिंदगी के उतार-चढ़ाव के बीच आप खुद को तनावमुक्त कैसे रखते हैं?

मैं तनाव और गुस्से पर काबू इसलिए रख पाता हूं, क्योंकि पॉजिटिव सोचता हूं। अगर आप पर जिम्मेदारी है और उसे महसूस करते हैं, तो गुस्से पर नियंत्रण करना ही होगा। मैं अपने गुस्से को अंदर ही जज्ब कर लेता हूं। जिम्मेदारियां आपको सब कुछ सिखा देती हैं।

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आप जहां अभी हैं, उसे अपनी मेहनत का फल मानते हैं या किस्मत का..?

मुझे मेहनत और किस्मत दोनों पर भरोसा है। कहावत है न, कर्म करो और फल की इच्छा न करो.., लेकिन मेरा मानना है कि मेहनत का फल तो मिलना ही चाहिए। आगे बढ़ने के लिए यह फल खाना जरूरी है। कर्म करना आपके हाथ में है। अगर किस्मत साथ दे गई, तो समझो आप राजा हो गए। आज मैं जहां हूं, उसमें दोनों की भूमिका है।

रियल में आपको 24 घंटे मिल जाएं, तो क्या-क्या करेंगे?

अगर ऐसा होता है, तो मैं सो जाऊंगा। अब बहुत थक गया हूं। थोड़ा ब्रेक लेना चाहता हूं। 24 घंटे अपने परिवार के साथ बिताना चाहूंगा। वाइफ को हॉलीडे पर ले जाऊंगा।

कहते हैं कि कोई इंसान परफेक्ट नहीं होता। क्या आपकी भी कोई ऐसी कमजोरी है, जिसके आगे आप बेबस हो जाते हैं?

मैं तो यह मानता हूं कि मुझ में बहुत सारी कमजोरियां हैं। मैं सारी कमजोरियों को एक-एक करके दूर करने की कोशिश में जुटा हूं। जैसे मुझे बुक्स पढ़नी चाहिए, लेकिन मैं अच्छा रीडर नहीं हूं। मैं पढ़ता नहीं। जब मैं पढ़ूंगा नहीं, तो कैसे पता चलेगा कि दुनिया में क्या चल रहा है। मैं इसे भी दूर करने की कोशिश में हूं। (इला श्रीवास्तव)

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