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रोमांस किंग यश चोपड़ा के नाम पर स्विट्‍जरलैंड में है एक सड़क, जानिये रोचक सफ़र

हिंदी सिनेमा में उनके शानदार योगदान के लिए 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सिनेमा सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

By Hirendra JEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 09:18 AM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 09:37 AM (IST)
रोमांस किंग यश चोपड़ा के नाम पर स्विट्‍जरलैंड में है एक सड़क, जानिये रोचक सफ़र

मुंबई। हिंदी सिनेमा को एक अलग ही विस्तार देने वाले फ़िल्मकार यश चोपड़ा का आज बर्थडे है। आज वो हमारे बीच होते तो 86 साल के होते। यश चोपड़ा ने अपनी फ़िल्मों के जरिये बड़े पर्दे पर सपनों की एक ऐसी दुनिया रच दी, जिसने सबको अपने साथ जोड़ लिया। उनकी कहानियों में इतने गहरे इमोशन होते थे कि दर्शक उसकी जादू में बंध से जाते थे।

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भले ही 'लार्जर दैन लाइफ' रोमांस रचने के लिए उन्हें याद किया जाता है लेकिन, सच तो यह है कि उनकी फ़िल्में लोगों को छू लेती रही हैं! फ़िल्मफेयर पुरस्कार से लेकर राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और यहां तक की दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित पद्म भूषण यश चोपड़ा साहब का जन्म 27 सितंबर 1932 को लाहौर में हुआ था। वे अपने माता-पिता के आठ संतानों में सबसे छोटे थे। उनकी पढ़ाई लाहौर में ही हुई। 1945 में उनका परिवार पंजाब के लुधियाना में बस गया। यश चोपड़ा इंजीनियर बनने की ख्वाहिश लेकर बंबई आए थे। लेकिन, पढ़ाई के लिए लंदन जाने से पहले ही यश चोपड़ा बतौर सहायक निर्देशक अपने करियर की शुरुआत बड़े भाई बीआर चोपड़ा और आईएस जौहर के साथ कर दी। उसके बाद वो जैसे सिनेमा के होकर ही रह गए!

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यश ने अपने आखिरी इंटरव्‍यू में बताया था कि बड़े भाई बी. आर. चोपड़ा के साथ 1958 में 'साधना' फ़िल्म में काम करने के दौरान उनकी पहचान वैजयंतीमाला से हुई और उन्होंने कहा कि निर्देशन के क्षेत्र में मुझे ध्यान लगाना चाहिए। साल 1959 में उन्होंने पहली फ़िल्म धूल का फूल'' का निर्देशन किया। 1961 में 'धर्मपुत्र' और 1965 में मल्टीस्टारर फ़िल्म 'वक्त' बनाई। तब तक उन्होंने यह साबित कर दिया था कि वो इस इंडस्ट्री को कुछ देने के लिए आये हैं। 1973 में उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी 'यशराज फ़िल्म्स' की नींव रखी।

यश के फ़िल्मों की बात करें तो उन्होंने कभी घिसी-पिटी स्टाइल में लव स्टोरी नहीं बनाई। 'लम्हे' 'दाग' जैसी बोल्ड थीम वाली फ़िल्मों के प्रयोग से लेकर 'डर' की उन्माद से भरी दीवानगी के बीच 'वीर जारा' जैसी सब्र और लंबे इंतजार वाली लव स्टोरी सब था उनके तरकश में। यश चोपड़ा ने अपने दौर के सुपरस्टार रोमांटिक अभिनेता राजेश खन्ना को उनके करियर की एक यादगार रोमांटिक फ़िल्म दी- 'दाग'।

यश चोपड़ा ने ही अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन कैरेक्टर को 'दीवार' फ़िल्म में विस्तार दिया था। वहीं अमिताभ बच्चन को उन्होंने फिर 'कभी-कभी' में "मैं पल दो पल का शायर हूं" गाते हुए दिखाया तो 'सिलसिला' में उन्हें एक मैच्योर प्रेमी के रूप में सामने लेकर आए। यश चोपड़ा ने अपने प्रोडक्शन कंपनी से नए निर्देशकों और स्टार्स को लगातार मौके दिए।

यश चोपड़ा को रोमांटिक फ़िल्मों का जादूगर कहा जाता है। बता दें कि यश चोपड़ा के बड़े बेटे आदित्य चोपड़ा भी निर्देशक हैं जबकि उनके छोटे बेटे उदय चोपड़ा ‍‍बॉलीवुड एक्टर हैं। हिंदी सिनेमा में उनके शानदार योगदान के लिए 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सिनेमा सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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साल 2012 में डेंगू ने इस महान फ़िल्ममेकर को हम सबसे छीन लिया। फ़िल्मों की शूटिंग के लिए यश चोपड़ा का स्विट्‍जरलैंड फेवरेट डेस्टिनेशन था। अक्टूबर 2010 में स्विट्‍जरलैंड में उन्हें एंबेसेडर ऑफ इंटरलेकन अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। स्विट्‍जरलैंड में उनके नाम पर एक सड़क भी है और वहां पर उनके नाम से एक ट्रेन भी चलाई गई है।


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